पूर्वजों के कष्ट, साथ ही अन्य विविध कष्टों के लिए ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप उपयुक्त ! – सद्गुरु (सुश्री (कु.) स्वाती खाडयेजी, सनातन संस्था
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आज लगभग प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत स्तर पर और सामाजिक स्तर पर विविध कष्टों का सामना करना पड रहा है । विवाह हुआ, तो समय पर संतति न होना, विविध शारीरिक कष्ट और घर में अनेक समस्याओं का सामना करना पड रहा है । इनमें से अधिकांश कष्ट पूर्वजों और अनिष्ट शक्तियों के कष्टों के कारण होते हैं । अतः पूर्वजों के कारण होनेवाले विविध कष्टों के लिए ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप बहुत उपयुक्त है । उसके लिए आज के इस कलियुग में प्रत्येक व्यक्ति को न्यूनतम १ घंटा ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप करना चाहिए, ऐसा मार्गदर्शन सद्गुरु (सुश्री (कु.) स्वाती खाडयेजी ने किया । सोलापुर में आयोजित हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला के समापन के अवसर पर वे ऐसा बोल रही थीं ।
दूसरे दिन के प्रथम सत्र में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. मनोज खाडये और श्रीमती सुनीता पंचाक्षरी ने ‘हिन्दू राष्ट्र संगठक की आदर्श आचारसंहिता’ के विषय में मार्गदर्शन किया । श्री. मनोज खाडये ने कहा कि जब हम समाज में प्रसार के लिए जाते हैं, तब हमारा आचरण आदर्श ही होना चाहिए । हम जहां-जहां संपर्क के लिए जाएंगे, वहां हमें उनमें घुलमिलकर उनके साथ धर्मबंधुता का गहरा नाता बनाने के लिए प्रयास करने आवश्यक है।
सद्गुरु (सुश्री (कु.)) स्वाती खाडयेजी के मार्गदर्शन में अंतर्भूत बहुमूल्य सूत्र
भारत को समृद्धि दिलानेवाली पितृशाही पद्धति आवश्यक !
१. प्राचीन काल में जो सक्षम होता था, वही राजकर्ता बनता था । राजतंत्र व्यवस्था में राजा प्रजा की ओर ध्यान देता था । पहले भारत में पितृशाही होने के कारण समृद्धि थी । इसके विपरीत आज के समय में जो जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं, उनके लिए किसी प्रकार के मापदंड नहीं हैं ।
२. प्राचीन काल में भारत में गुरुकुल शिक्षापद्धति थी । उस शिक्षापद्धति में उच्च-नीच, निर्धन-धनवान, साथ ही अन्य किसी प्रकार का भेदभाव नहीं था; परंतु इसके विपरीत आज के लोकतंत्र में जिसके पास पैसा है, वही अच्छी गुणवत्ता की उच्च शिक्षा ले सकता है, ऐसी स्थिति है ।
३. आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था में जिस व्यक्ति को राजभार चलाने की कोई जानकारी और प्रशासनिक व्यवस्था का कोई भी अनुभव नहीं होता, ऐसा व्यक्ति राज्य का मुख्यमंत्री होता है, उसके साथ ही जिन्हें रक्षा-अर्थ जैसे विभागों का ज्ञान नहीं है और जो अल्पशिक्षित हैं, उन्हें भी ऐसे विभागों का मंत्रीपद मिलता है ।
४. लोकतंत्र में निहित दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध कैसे लडना चाहिए, इस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज के अधिकांश राजकर्ता जनता को लूटने का काम करते हैं । आज की राजव्यवस्था में प्रत्येक क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैला हुआ है; इसलिए हमें इसके विरुद्ध अपनी-अपनी क्षमता के अनुरूप आवाज उठानी चाहिए ।
इस अवसर पर अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर ने भी मार्गदर्शन किया ।
समापन के अवसर पर धर्मप्रेमी श्री. बलभीम देवकर (बाईं ओर) और श्री. सुजल मुशन (दाहिनी ओर) द्वारा किए गए विशेषतापूर्ण प्रयासों के लिए उन्हें व्यासपीठ पर बुलाकर उनका विशेष अभिनंदन किया गया ।
21 मार्च
सोलापुर (महाराष्ट्र) में २ दिवसीय हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला का उत्साहित वातावरण में आरंभ !
हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए आवश्यक अधिष्ठान साधना से ही उत्पन्न होनेवाला है – सद्गुरु सुश्री (कु.) स्वाती खाडयेजी, सनातन संस्था
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सोलापुर : पांच पांडवों के साथ साक्षात भगवान श्रीकृष्ण थे, साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ भवानीमाता के आशीर्वाद थे । छत्रपति शिवाजी महाराज सदैव ही अपना राज्य हिन्दवी स्वराज्य अर्थात ‘श्री’ के राज्य के रूप में चलाते थे । आनेवाले समय में हमें जिस हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी है, उसका पहला चरण साधना है; इसलिए हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए आवश्यक साधना से ही उत्पन्न होनेवाला है, ऐसा मार्गदर्शन सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु सुश्री (कु.) स्वाती खाडयेजी ने किया । १९ मार्च को यहां के टाकळीकर मंगल कार्यालय में आयोजित २ दिवसीय हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर वे ऐसा बोल रही थीं ।
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इस कार्यशाला में सोलापुर, धाराशिव, बीड एवं लातूर इन जनपदों से ८० हिन्दुत्वनिष्ठ सहभागी हुए हैं । आरंभ में शंखनाद होने के उपरांत सद्गुरु सुश्री (कु.) स्वाती खाडयेजी के करकमलों से दीपप्रज्वलन किया गया । इस अवसर पर पू. (कु.) दीपाली मतकरजी और पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण एवं गुजरात राज्य समन्वयक श्री. मनोज खाडये उपस्थित थे । हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. मिनेश पुजारे ने सूत्रसंचालन किया । समिति की कु. वर्षा जेवळे ने इस कार्यशाला का उद्देश्य स्पष्ट किया । इस २ दिवसीय कार्यशाला में उपस्थित धर्मप्रेमियों को साधना, हिन्दू राष्ट्र, आदर्श वक्ता कैसे बनना चाहिए और संपर्क कैसे करने चाहिएं, इसके सहित विविध विषयों का मार्गदर्शन मिलनेवाला है ।
इस अवसर पर सद्गुरु सुश्री (कु.) स्वाती खाडयेजी ने कहा कि,
१. भारत में हिन्दुओं के लिए कार्य करनेवाले अनेक संगठन होते हुए भी अपेक्षित ऐसा हिन्दुओं का शक्तिशाली संगठन है । इसका मूलतक जाकर विश्लेषण किया जाए, तो इसका कारण धर्मशिक्षा का अभाव ही है, यही ध्यान में आता है ।
२. यदि हिन्दू संगठित होते, तो वर्ष १९९० के दशक में कश्मीरी हिन्दू पंडितों पर अत्याचार हुए ही नहीं होते ।
३. धर्मशिक्षा के अभाव के कारण हिन्दुओं की स्थिति इतनी दयनीय है कि उन्हें नमस्कार कैसे करना चाहिए ?, यह भी ज्ञात नहीं है । ऋषिमुनियों द्वारा बताया गया धर्मशास्त्र समझ लेकर साधना की, तो हमें निश्चितरूप से ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है ।
४. सत्ययुग में सात्त्विकता बहुत थी, तो इस कलियुग में सात्त्विकता अल्प होने से कलियुग के लिए भक्तियोग ही महत्त्वपूर्ण है । उसके लिए साधना का पहला चरण है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी-अपनी कुलदेवता का नामजप करना आवश्यक है ।