कश्मीरी मुसलमानों ने जिहादी आतंकवादियों को सहायता की, इसीलिए हिंदुओं का नरसंहार करना सरल हुआ ! – डॉ. क्षमा कौल, साहित्यकार, जम्मू
कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार का सत्य अंत में समाज को स्वीकार करना ही पडा । ‘दि कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के कारण यह संभव हुआ । वर्ष 1990 की भयानक कालरात्रि के पश्चात तत्कालीन सरकार कश्मीरी हिन्दुओं के लिए कुछ करेगी, ऐसा लग रहा था; परंतु वैसा नहीं हुआ और कश्मीरी हिन्दुओं सहित महिलाओं पर अत्याचार होते ही रहे । कश्मीर के मुसलमान पुरुषों सहित मुसलमान महिलाओं ने भी जिहादी आतंकवादियों को सहायता की, इसीलिए जिहादी सहजता से कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार कर पाए, ऐसी धक्कादायक वास्तविकता जम्मू की साहित्यकार डॉ. क्षमा कौल ने प्रस्तुत की । वे हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘दि कश्मीर फाइल्स’- हिन्दू महिलाओं के मन के घाव !’ इस ऑनलाइन विशेष संवाद में बोल रही थीं ।
इस समय ‘दि न्यू इंडियन’ की संस्थापक-संपादक आरती टिक्कू ने कहा कि, 1990 के दशक में कश्मीरी हिन्दुओं का सामूहिक हत्याकांड किया गया, यह वास्तविकता एक बार पुनः सामने आई है । कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार का सत्य किसने छिपाया और उसे आगे नहीं आने दिया, इसकी खोज करने की आवश्यकता है । इसके लिए सर्वदलीय राज्यकर्ता उत्तरदायी हैं । वर्ष 1990 में कश्मीरी हिन्दू महिलाओं पर बलात्कार हुए । उनकी हत्या की गई । हिन्दू स्वयं का परिचय भुला दें, ऐसा आतंक निर्माण किया गया । इस्लामी आतंकवाद के कारण जिनको लाभ हो रहा था, उनकी इच्छा थी कि इस्लामी आतंकवाद और कश्मीरी हिन्दुओं के हत्याकांड की वास्तविकता सामने न आए और सामूहिक आतंकवाद का कारखाना ऐसा ही चलता रहे ।
‘पनून कश्मीर’ की प्रा. शैलजा भारद्वाज ने कहा कि, कश्मीरी मुसलमान समाज ने कट्टर आतंकवादियों को आमंत्रित किया और उनकी सहायता की । इसलिए वर्ष 1990 में कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार किया गया । इसी समय ‘आजाद कश्मीर’ के नाम पर लगाए गए नारों में आतंकवादी, ‘जे.के.एल.एफ.’ जैसे उग्रवादी संगठन के साथ मुसलमान नागरिक भी सम्मिलित हुए थे । भारत की सेना ने उस समय हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो कश्मीर भारत से अलग हो गया होता । अभी भी भारत की सेना के कारण ही कश्मीर पर भारत का नियंत्रण है ।