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धुळे (महाराष्ट्र) में २ दिवसीय हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला हुई संपन्न !

जीवन में आध्यात्मिक मित्र का होना आवश्यक ! – सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी, सनातन संस्था

कार्यशाला के उद्घाटन के समय दीपप्रज्वलन करते हुए सद्गुरु नंदकुमार जाधव, श्री. सुनील घनवट तथा कु. रागेश्री देशपांडे

धुळे : अर्जुन की दुविधापूर्ण मन की स्थिति को दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गीता विशद कर अर्जुन से धर्मसंस्थापना का महान कार्य करवा लिया । इसी प्रकार से अपने मन के विचार दूसरे को बताने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक मित्र का होना आवश्यक है । अपने मन में चल रहे विचार और चिंता किसी मित्र के सामने प्रकट की, तो उससे हमारा मन हल्का बन जाता है और मन का तनाव भी दूर होता है, ऐसा मार्गदर्शन सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से धुले में आयोजित २ दिवसीय प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर वे ऐसा बोल रहे थे । सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी के करकमलों से दीपप्रज्वलन कर कार्यशाला का आरंभ हुआ । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट, साथ ही धुले जिला समन्वयक कु. रागेश्री देशपांडे उपस्थित थीं । इस कार्यशाला में जलगांव, धुले, नंदुरबार और नासिक जिलों से आए धर्मप्रेमी बडी संख्या में उपस्थित थे ।

कार्यशाला के द्वितीय सत्र में खुलेमन से बोलने के कारण होनेवाले लाभ और न बोलने के कारण होनेवाली हानि, जीवन को आनंदित बनाने हेतु स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन प्रक्रिया उचित पद्धति से कैसे अपनानी चाहिए ?, मन का कार्य, साथ ही मन को नामजप का संस्कार किस प्रकार करना चाहिए ?, इस विषय में मार्गदर्शन किया गया ।

कार्यशाला के समापन सत्र में हिन्दू राष्ट्र संगठन की आचारसंहिता कैसी होनी चाहिए ?, राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन का आयोजन, उसकी नियमावली और तैयारी के विषय में श्री. सुनील घनवट ने मार्गदर्शन किया, तो सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने आगामी भीषण आपातकाल कैसा होगा ?, उसके लिए औषधिय वनस्पतियों का रोपण कैसे करना चाहिए ?, सब्जियों का रोपण कैसे करना चाहिए ?, जीवनयोग्य वस्तुओं का संग्रह कैसे करना चाहिए ?, प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण, अग्निशमन प्रशिक्षण, प्राणवहनशक्ति उपचार इत्यादि विषयों का प्रशिक्षण लेना आवश्यक है । इसके साथ ही जीवन सुखमय होने हेतु तथा आनंदित रहने हेतु और आनेवाले आपातकाल का सामना करने हेतु अखंड साधना और भक्ति करना आवश्यक होने पर बल दिया । राष्ट्रगान ‘वन्दे मातरम्’ के गायन से इस कार्यशाला का समापन किया गया ।

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