देवस्थान की भूमि वापस लेने के लिए संघर्ष की जानकारी देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया कार्यक्रम !
गोंदवाड (जनपद बेलगांव) : मुघलों के काल में मंदिरों पर केवल आक्रमण ही नहीं हुए, अपितु स्वतंत्रता के उपरांत भी हाल ही के समय में भी मंदिरों पर आक्रमण हुए हैं । आंध्र प्रदेश में मूर्तिभंजन की घटनाएं हुई हैं, तो गोवा में भी मूर्तिचोरी की घटनाएं हुई हैं । हिन्दुओं के मंदिर चैतन्य के स्रोत हैं । मंदिरों के माध्यम से ही हिन्दुओं का संगठन होता है और वही से उन्हें धर्मकार्य करने की शक्ति मिलती है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के कोल्हापुर जनपद समन्वयक श्री. किरण दुसे ने किया । यहां के कालभैरव देवस्थान में श्रद्धालुओं ने देवस्थान की भूमि वापस मिलने हेतु चल रही लडाई की जानकारी देने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया था । उस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में श्री. किरण दुसे ऐसा बोल रहे थे ।
श्री. विनायक पाटिल ने अतिथियों का परिचय करवा दिया । कालभैरव मंदिर के भक्त एवं ग्रामवासी श्री. सतीश राजेंद्र पाटिल ने पिछले २ वर्षाें से देवस्थान की भूमि वापस लेने हेतु किस प्रकार लडाई खडी की गई और अब न्यायालयीन संघर्ष किस स्तर पर है, इसकी जानकारी दी । कंग्राळी बुद्रुक के ग्रामपंचायत सदस्य श्री. यल्लोजीराव पाटिल ने भी मनोगत व्यक्त किया । इस अवसर पर सनातन संस्था के श्री. बापू सावंत, देवस्थान पंच समिति के सदस्य सर्वश्री नंदू निलजकर, बाळू पा टिल, लक्ष्मण पाटिल, जोतिबा पाटिल, मधू पवार, महेश पिंगट एवं हरि चौगुले उपस्थित थे । इस कार्यक्रम में १ सहस्र ग्रामवासी उपस्थित थे ।
श्री. किरण दुसे ने आगे कहा, ‘‘इस संदर्भ में चल रहे संघर्ष के लिए मैं गांव के युवकों का अभिनंदन करता हूं । इस संघर्ष को निश्चितरूप से सफलता मिलेगी । यदि कोई देवस्थान की भूमि हडपने का प्रयास कर रहा हो, तो भगवान उसे कभी क्षमा नहीं करेंगे । कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी मंदिर के मनकर्णिका कुण्ड पर शौचालय बनाया गया था, उसके संदर्भ में समिति ने संघर्ष कर आंदोलन खडा किया । अब प्रशासन ने यह कुण्ड श्रद्धालुओं के खुला किया है । यह समिति की सफलता है तथा इसी प्रकार संपूर्ण देश में स्थित मंदिरों के लिए हिन्दू जनजागृति समिति विविध माध्यमों से लडाई लड रही है ।’’
क्षणिकाएं
१. मार्गदर्शन समाप्त होने पर श्री. सतीश पाटिल ने मंदिरों के लिए लडी गई लडाई के विषय में एक वीडियो क्लिप दिखाई ।
२. कार्यक्रम के समापन के समय विधायक सतीश जारकिहोळी के सचिव श्री. मलगौडा पाटिल उपस्थित थे । उन्होंने भी मनोगत व्यक्त किया ।
क्या है यह प्रकरण ?
वर्ष १९५० में तत्कालीन सांगली संस्थान ने कालभैरव देवस्थान की २७ एकर भूमि गांव के ६ लोगों को ‘इनाम’ के रूप में कसने के लिए दी थी । उससे मिलनेवाली आय से मंदिर के धार्मिक कार्यक्रम होते थे । कालांतर से ६ परिवारों ने इस भूमि को हडपकर अपने नाम पर कर ली । एक बार देवस्थान ने अन्य स्थान पर जाने के लिए सडक बनाने के लिए भूमि मांगी जाने पर इनमें से कुछ परिवारों ने उसे देना अस्वीकार किया । उस समय भक्तों ने जब अधिक जानकारी ली, तब वास्तविकता सामने आई और भूमि हडपने की घटना सामने आई । यह लडाई लडते समय श्रद्धालुओं को कभी-कभी प्राणघात क आक्रमणों का भी सामना करना पडा । अंततः ग्रामवासियों ने आवाहन का प्रत्युत्तर देते हुए ३ अप्रैल के दिन ६ में से २ परिवारों ने ग्रामवासियों के सामने उनके पास की भूमि देवस्थान को वापस लौटाने की घोषणा की ।