रामनाथी – ‘द कश्मीर फाइल्स’ नामक चलचित्र में कश्मीरी हिन्दुओं पर आई भीषण परिस्थिति केवल ५ प्रतिशत ही दिखाई गई है । कश्मीर में केवल कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वसन का प्रश्न है, इस भ्रम में न रहें । कश्मीर में भारतीय राष्ट्रवाद निर्माण होना आवश्यक है । इसलिए ‘कश्मीरी हिन्दुओं का वंशविच्छेद हुआ’, यह मान्य करना चाहिए । अन्यथा भविष्य में संपूर्ण भारत में हिन्दुओं का पुनर्वसन करने का समय आ जाएगा । उस समय कौन किस से सहायता मांगेगा ? कश्मीर में हिन्दुओं का वंशविच्छेद मान्य करने पर ही उस विषय में कानून तैयार कर सकते हैं । तदुपरांत ही कश्मीरी हिन्दुओं का पूनर्वसन संभव होगा, ऐसा प्रतिपादन ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. राहुल कौल ने किया । दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के चौथे दिन (१५ जून) ‘जिहादी आतंकवाद का प्रतिकार’ इस उद्बोधन सत्र में ‘कश्मीर में वर्तमान स्थिति एवं हिन्दू संगठनों की भूमिका’ इस विषय पर उन्होंने भूमिका प्रस्तुत की ।
इस अवसर पर व्यासपीठ पर तमिलनाडु के हिन्दू मक्कल कत्छी के (हिन्दू जनता पक्ष के) संस्थापक अध्यक्ष श्री. अर्जुन संपथ, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे एवं कर्नाटक के बेंगळुरू के चलचित्र वितरक एवं उद्योगपति श्री. प्रशांत संबरगी भी उपस्थित थे ।
इस अवसर पर राहुल कौल बोले,
१. सरकार द्वारा कश्मीर को अलग दर्जा देनेवाली धारा ३७० हटाने का महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है । श्रीराममंदिर के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ की । यह विषय सरकार के घोषणापत्र में था ।
२. धारा ३७० रहित करने के उपरांत हमारे मन में आशा की किरण निर्माण हुई; परंतु कश्मीर की स्थिति वर्ष १९९० के समान ही है । वर्तमान में कश्मीर में मुसलमानों का तृष्टीकरण चालू है ।
३. ‘कश्मीर में कश्मीरी हिन्दुओं का वंशविच्छेद किया गया’, यह मानने के लिए सरकार आज भी तैयार नहीं ।
४. कश्मीर का धार्मिक विध्वंस नकारे जाने पर, भविष्य में ऐसी स्थिति संपूर्ण देश में निर्माण की जाएगी ।
५. ‘गत २ वर्षाें में कश्मीर में आतंकवादियों ने जिन्हें मारा, उनमें मुसलमान मी हैं’, ऐसा कहते हुए समतोल परिस्थिति दर्शाने का प्रयास किया जाता है; परंतु वास्तव में हत्या उन्हीं मुसलमानों की हो रही है, जो इस्लाम नहीं मानते ।
हिन्दुओं का वर्चस्व जब तक निर्माण नहीं होता, तब तक कश्मीर में जिहाद समाप्त नहीं होगा !
संसद में राजकीय नेताओं ने ६ सहस्र कश्मीरी हिन्दुओं को नौकरी देने पर ‘हमारा संकल्प पूर्ण होगा’, ऐसे कहा; परंतु घर एवं नौकरी के लिए कश्मीरी हिन्दुओं को खदेडा नहीं । यह धर्म की लडाई है । धर्म के नाम पर कश्मीर में वर्चस्व निर्माण किया गया है । कश्मीर का विषय राजकीय विषय नहीं है, अपितु धार्मिक विषय है । जब तक हिन्दुओं का वर्चस्व निर्माण नहीं होता, तब तक कश्मीर में जिहाद समाप्त नहीं होगा ।
…तो इस जिहाद का प्रतिकार कैसे करेंगे ?
कश्मीर में यह लडाई जिहादी वर्चस्व निर्माण करने के लिए है । कश्मीर में जो प्रशासकीय यंत्रणा है, पुलिस है, उन्हें कश्मीर की परिस्थिति सरकार को बतानी चाहिए । कश्मीर में राहुल भट नामक शासकीय अधिकारी की हत्या होने पर जब सरकार की आलोचना की गई, तब ‘आइ्.टी. सेल.’द्वारा उसका प्रतिवाद किया गया । कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या का प्रतिकार करने का आवाहन किया गया; परंतु देहली के शाहीनबाग के जिहाद का (नागरिकत्व सुधार कानून का विरोध करने के लिए शाहीनबाग में मुसलमानों द्वारा किया गया आंदोलन) प्रतिकार नहीं हो पाया, फिर कश्मीर में इस जिहाद का प्रतिकार कैसे संभव है ? यही जिहाद संपूर्ण देश में यदि आरंभ हो गया, तब इसका प्रतिकार कैसे करेंगे ?
हिन्दू जनजागृति समिति पिछले २ वर्षाें से कश्मीरी हिन्दुओं की आवाज सभी तक पहुंचा रही है !
हिन्दू जनजागृति समिति गत १२ वर्षाें से कश्मीर की परिस्थिति बताने का प्रयत्न कर रही है । हिन्दू जनजागृति समिति ने अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिकों की सहायता से कश्मीरी हिन्दुओं की समस्याओं को हिन्दुओं तक पहुंचाने का बीडा उठाया है । इसके लिए ‘एक भारत अभियान’ कार्यान्वित कर ‘पनून काश्मीर’ का कहना सभी सामान्यजनों तक पहुंचाने का कार्य किया है ।
तमिलानाडू को बचाने के लिए हिन्दू संगठनों को एकत्रित कार्य करना आवश्यक – श्री. अर्जुन संपथ, संस्थापक अध्यक्ष,हिन्दू मक्कल कत्छी, तमिलनाडू
तमिलनाडू पुण्यभूमि और शिवभूमि है । तमिलनाडू भारत का ही एक अंग है; परंतु यहां सनातन धर्म को मिटशने का कार्य चल रहा है । यहां हिन्दू धर्म के विरोध में पत्रकार परिषदें ली जाती हैं । राज्य के दक्षिणी क्षेत्र, सागरपट्टा, साथ ही कन्याकुमारी जिले में हिन्दू अल्पसंख्यक बन गए हैं । यहां प्रशासन का नहीं, अपितु चर्च का वर्चस्व है । तमिलनाडू में ‘नैशनल एज्युकेशन पॉलिसी’ लागू नहीं है और ‘तीनसूत्री’ भाषापद्धति नहीं है । केंद्र सरकार को यहां कोई विद्यालय खोलना होता है, तब उसमें अनेक समस्याएं आती हैं । मुघलों के काल में जिस प्रकार से मंदिर तोडे गए, उस प्रकार तमिलनाडू में मंदिर तोडे जा रहे हैं । वहां की स्थिति अत्यंत गंभीर है । तमिलनाडू में हिन्दुओं के नेताओं और राष्ट्रप्रेमी नागरिकों को लक्ष्य बनाया जा रहा है । राज्य में बडे स्तर पर नक्सली गतिविधियां चल रही हैं । तमिलनाडू में विभिन्न स्थानों पर छोटे कश्मीर बन गए हैं । भले ही स्थिति ऐसी हो; परंतु तब भी तमिलनाडू को बचाने का अवसर है । उसके लिए हिन्दुओं में जागृति लाना और हिन्दुओं का संगठन खडा कर एकत्रित धर्मकार्य करना आवश्यक है ।
हिंदू राष्ट्र स्थापन करने के लिए हम सिद्ध है !
१० वर्षों से मैं अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन में सहभागी हो रहा हूं । इस मंच को परात्पर गुरु डॉ. आठवले तथा भारतमाता इनका आशीर्वाद मिलता है । हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए यहां ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है । इन सभीं के आशीर्वाद से हिन्दू राष्ट्र स्थापन करने के लिए हम सभी सिद्ध है ।
बॉलिवूड में ‘लव जिहाद’को प्रोत्साहन देनेवाले फिल्में बनाई जाती हैं – श्री. प्रशांत संबरगी, फिल्म वितरक, उद्योगपति तथा हिन्दू नेता, बेंगलुरू, कर्नाटक
हम क्या खाते हैं और पीते हैं, यह सब बॉलिवूड पर निर्भर होता है । जिहादियों को हिन्दुओं पर संपूर्ण नियंत्रण स्थापित करना है । भारत के युवक-युवतियों का दिशाभ्रम करने के लिए बॉलिवूड में ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहन देनेवाली फिल्में बनाई जाती हैं, ऐसा प्रतिपादन श्री. प्रशांत संबरगी ने किया । ‘बॉलिवूड का ड्रग्स जिहाद’ इस विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।
उन्होंने आगे कहा कि…
१. ‘बॉलिवूड’में बनाई जानेवाली अधिकांश फिल्मों में मुसलमान और मुसलमानों के आस्था के केंद्रों को अच्छा ही िदखाया जाता है । फिल्मों में मुसलमान देवता को शक्तिशाली दिखाया जाता है । इसके साथ ही मुसलमानों को अच्छा और ब्राह्मणों को बहुत बुरा दिखाया जाता है ।
२. पाकिस्तान की सीमा से भारत में मादक पदार्थाें की तस्करी की जाती है । इन मादक पदार्थाें के माध्यम से देश के युवक-युवतियों को निष्क्रिय बनाने का उनका षड्यंत्र है ।
३. अभिनेता सुशांतसिंह राजपूत को ये सब बातें ज्ञात थी और उन्होंने इसका विरोध किया था । उसके कारण उन्हें मारा गया । उन्होंने आत्महत्या नहीं की थी ।
४. फिल्म निर्माण के लिए बॉलिवूड पर निर्भर न रहकर स्वयं ही निवेश करना पडेगा । उससे यह समस्या निश्चितरूप से अल्प होगी । इस दृष्टिकोण से अभीतक ६ फिल्में बनाई गई हैं ।
हलाल के विरुद्ध सडक पर उतरकर लडाई लडनी आवश्यक – प्रशांत संबरगी, उद्योगपती
सामान्य नागरिकों को हलाल जिहाद की वास्तविकता समझ में आए; इसके लिए बंगलुरू में १५० लोगों ने सडक पर उतरकर उसका विरोध किया था । निरंतर १५ दिनतक सवेरे ६ बजे से सायंकाल ५ बजेतक घर-घर और दुकानों में जाकर इस विषय में उद्बोधन किया । हमने प्रतिदिन १०-१० सहस्र हस्तपत्रकों का वितरण किया । इसका परिणाम यह हुआ कि कर्नाटक सरकार ने प्रत्येक प्रतिष्ठान से ‘क्या वे हलाल जिहाद के उत्पाद खरीदते हैं ?’, यह पूछकर उसकी सूची मंगवाई । हमारे पास इसकी संपूर्ण जानकारी है तथा हमने इसके विरोध में कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है और बहुत शीघ्र इसका निर्णय हमारे पक्ष में होगा, यह हमारा विश्वास है ।
भारतीय अर्थव्यवस्था को दुर्बल बनाने के लिए हलाल व्यवस्था एक षडयंत्र है – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
‘हलाल’ मांस की बढती मांग के कारण प्रतिवर्ष लगभग ३ लाख करोड रुपयों की मांसबिक्री का संपूर्ण व्यवसाय मुसलमानों के नियंत्रण में जा रहा है । हलाल व्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था को दुर्बल बनाने के लिए रचा गया एक षड्यंत्र है । केंद्र सरकार ने हलाल का प्रमाण लेने पर प्रतिबंध लगाया है । इसलिए व्यापारियों को अब हलाल प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया । वे ‘हलाल सर्टीफिकेट का आर्थिक जिहाद’ इस विषय पर बोल रहे थे ।
श्री. रमेश शिंदे आगे बोले,
१. ‘हलाल’ शब्द का अर्थ है, इस्लामनुसार वैध, सम्मत, मान्यता प्राप्त; तो उनके विरुद्धार्थी शब्द है, ‘हराम’ अर्थात इस्लामनुसार अवैध, निषिद्ध अथवा वर्जित ! ‘हलाल’ पद्धति ही सबसे अल्प वेदनादायक है, ऐसा वर्ष १९७८ में सिद्ध होने का दावा मुसलमानों द्वारा किया जाता है । प्रत्यक्ष में इस संदर्भ में आगे हुए शोध में यह दावा असत्य प्रमाणित हुआ ।
२. ‘हलाल अर्थव्यवस्था’की मूल संकल्पना ‘खेत से ग्राहक तक’ (From farm to fork) थी । ‘हलाल’ उत्पादनों से लाभ प्राप्त करना और वह निधि ‘इस्लामिक बैंकों ’में जमा करनी, तदुपरांत ‘इस्लामिक बैंकों’के उन पैसों से ‘हलाल’ उत्पादकों को आर्थिक सहायता कर उनका व्यवसाय बढाने में सहायता करना, इसप्रकार की व्यवस्था है । हलाल व्यापार पर नियंत्रण रखने से मलेशिया के ‘इस्लामिक बैंकों’की संपत्ति में भारी मात्रा में वृद्धि होने लगी ।
३. वर्ष २०१७ मध्ये ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ २.१ ‘ट्रिलीयन अमेरिकी डॉलर्स’ (१ ‘ट्रिलीयन’ अर्थात १ पर १२ शून्य) इतनी थी, जबकि २०१९ में भारत की अर्थव्यवस्था २.७ ‘ट्रिलीयन अमेरिकी डॉलर्स’ थी । ‘हलाल अर्थव्यवस्था’का वेग देखते हुए वह शीघ्र ही भारत की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड सकती है ।
४. ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देनेवाली प्रत्येक इस्लामी संस्था अपने ही नियम बनाती है । इन नियमों का कहीं भी मानक प्रमाणीकरण (स्टैंडर्डायजेशन) निर्धारित नहीं है । इसलिए वह संस्था जिस मुसलमान पंथ से (शिया, सुन्नी, देवबंदी आदि) संबंधित होती है, उससे संबंधित मुसलमान देश उनके ‘हलाल प्रमाणपत्र’को वैध मानते हैं; परंतु वही प्रमाणपत्र दूसरे इस्लामी देश की ‘शरीयत बोर्ड’ अवैध बताती है, उदा. भारत के ‘हलाल प्रमाणपत्र’ संयुक्त अरब अमिराती में अवैध माने जाते हैं ।
५. अमेरिका के ‘मिडल ईस्ट फोरम’की पूछताछ में उजागर हुआ कि ‘इस्लामिक फूड एंड न्यूट्रीशन कौन्सिल ऑफ अमेरिका (IFANCA)’ नामक ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देनेवाली संस्था वर्ष से ‘जमात-ए-इस्लामिया’, ‘हमास’, ‘अल्-कायदा’ आदि जिहादी आतंकवादी संगठनों को निधि की आपूर्ति कर रही है ।
६. भारत में ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देनेवाली ‘जमियत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट’ एक मुख्य संगठन है । दिसंबर २०१९ में ‘जमियत उलेमा-ए-हिन्द’का बंगाल के प्रदेशाध्यक्ष सिद्दीकुल्ला चौधरी ने नागरिकत्व सुधार कानून का विरोध करते हुए ‘केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को कोलकाता विमानतल के बाहर नहीं निकलने देंगे’, ऐसी धमकी दी थी । यही संगठन उत्तरप्रदेश के हिन्दुत्वनिष्ठ नेता कमलेश तिवारी की हत्या करनेवाले आरोपी का अभियोग लडने के लिए कानूनसंबंधी सहायता कर रहा है ।