तिस्ता सेटलवाड का प्रकरण बहुत बडा हो गया है अत: उसे ‘एन्आईए’ को सौंपा जाए – आरवीएस. मणि, पूर्व अवर सचिव, केंद्रीय गृहमंत्रालय

‘तिस्टा सेटलवाड का दंगों के साथ क्या संबंध ?’ इस विषय पर ‘विशेष संवाद’ !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिन्दू समाज की अपकीर्ति करने के लिए ‘भारत में मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है’, ऐसा भ्रम फैलाकर तिस्ता सेटलवाड ने गुजरात दंगों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग किया । तिस्ता सेटलवाड ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘हिन्दू आतंकवाद के पी.आर्. एजेंट’ के रूप में काम किया । उन्होंने इस दंगे के विषय में दुष्प्रचार कर अनेक इस्लामी राष्ट्रों से अपने स्वयंसेवी संगठनों के लिए हजारों करोड रूपए का चंदा इकट्ठा किया । उन्होंने इस चंदे का अपने व्यक्तिगत कार्याें के लिए दुरुपयोग तो किया ही है; इसके साथ ही समय-समय पर प्राप्त ब्योरों से उनके द्वारा हिन्दू समाज को आतंकवादी प्रमाणित करने के लिए बडे-बडे प्रसारमाध्यमों, न्यायपालिकाओं, फिल्मी जगत और अन्य माध्यमों को खरीदे जाने की भी बात सामने आई थी । कांग्रेस के तत्कालीन अर्थमंत्री और गृहमंत्री ने मनी लॉड्रींग के द्वारा तिस्ता सेटलवाड की बहुत कुछ सहायता की है । अब यह सब उजागर होनेवाला है, साथ ही और भी बातें बाहर आनेवाली हैं; इसलिए यह प्रकरण व्यापक होने से उसे गुजरात ए.टी.एस्. को न सौंपकर ‘राष्ट्रीय अन्वेषण विभाग’ को (NIA) सौंपा जाना चाहिए, यह मांग केंद्रीय गृहमंत्रालय के पूर्व अवर सचिव (अंडर सेक्रेटरी) श्री. आरवीएस. मणि ने की है । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘तिस्ता सेटलवाड का दंगों से क्या संबंध ?’ इस विषय पर ऑनलाइन पद्धति से आयोजित विशेष संवाद में वे ऐसा बोल रहे थे ।

पूर्व अधिकारी श्री. मणि ने आगे कहा कि मनमोहन सिंह सरकार ने तिस्ता सेटलवाड को केवल 80 करोड रुपए ही नहीं दिए, अपितु अलग-अलग मंत्रालयों से भी बडे स्तर पर धन की आपूर्ति की है । उससे नक्सलवाद, साथ ही यासिन मलिक जैसे विभाजनवादियों को आधार दिया जा रहा था । उनके पक्ष में समाचार प्रसारित करने के लिए पत्रकारों को फ्लैट, विदेश यात्रा और धन दिया जा रहा था ।

इस विशेष संवाद में इतिहास के अध्येता तथा लेखक अधिवक्ता सतीश देशपांडे ने कहा कि तिस्ता सेटलवाड ने ‘सबरंग’ और ‘सिटीजन फॉर जस्टीस एंड पीस’ जैसी स्वयंसेवी संगठनों के माध्यमों से अपनी दुकान ही खोली है । गुजरात दंगे में मदीनाबीबी नाम की मुसलमान महिला के साथ बलात्कार की कोई घटना नहीं हुई थी; परंतु तब भी उससे झूठा शपथपत्र बनवाकर उसे न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, यह बात नानावटी आयोग के सामने उजागर हुई । इसके साथ ही तिस्ता के यहां काम करनेवाले उसके सहयोगी रईस पठाण ने तो उस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जब तिस्ता सेटलवाड की सोनिया गांधी से भेंट हुई, तब सोनिया गांधी ने उसे कार्य करते रहने के लिए निरंतर धन की आपूर्ति करते रहने का आश्वासन दिया था, तो दूसरी ओर उन्होंने स्वयंसेवी संगठन को मिलनेवाली धनराशि में से 25 प्रतिशत धनराशि पीडितों के लिए व्यय करने के लिए कहा था । उस पर ‘50 प्रतिशत धनराशि तो दलाल ही लेते हैं और शेष 50 प्रतिशत धनराशि हमारे कार्य के लिए लगती है’, ऐसा तिस्ता ने बताया था । अतः रईस खान की व्यापक जांच करने से और बहुत कुछ बाहर आ सकेगा, ऐसा अधिवक्ता देशपांडे ने बताया है ।

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