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‘सेक्युलर’ शब्द की आड में शिक्षा का इस्लामीकरण प्रारंभ – डॉ. नील माधव दास

‘भारत मे शिक्षा जिहाद ?’ इस विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद

प्राचीन भारत में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली थी । उसे नष्ट करने के लिए स्वतंत्रता के पूर्व ही गांधीजी के प्रोत्साहन से देश की शिक्षा व्यवस्था का इस्लामीकरण प्रारंभ हो गया । तब से विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों में अकबर, टीपू सुल्तान आदि मुसलमान आक्रमणकारियों के पाठ पढाए जाने लगे । वे आज तक चल ही रहे हैं । कुल मिलाकर ‘सेक्युलर’ शब्द की आड में शिक्षा क्षेत्र का इस्लामीकरण चल रहा है । यह शिक्षा जिहाद ही है । जब तक भारत संवैधानिक दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र नहीं बनता, तब तक देश की शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में इस्लामीकरण चलता ही रहेगा, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन झारखंड के ‘तरुण हिन्दू’ के संस्थापक डॉ. नील माधव दास ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘भारत में शिक्षा जिहाद ?’ इस ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में बोल रहे थे ।

झारखंड के ‘पांचजन्य’ के पत्रकार श्री. रितेश कश्यप ने कहा कि, झारखंड में राजधानी रांची सहित दुमका, जामताडा, गढवा, पलामू, पाकूर, बोकारो आदि जिलों में सरकारी विद्यालयों में रविवार के स्थान पर शुक्रवार को छुट्टी देना, हिन्दी के स्थान पर उर्दू को प्राथमिकता देना आदि बातें सामाजिक माध्यमों तथा प्रसारमाध्यमों से प्रकाश में आई हैं । सरकारी आदेश के बिना केवल संख्याबल के आधार पर मुसलमानों द्वारा सैकडों विद्यालयों में गत 10 से 25 वर्षाें से यह हो रहा है । मुसलमानों की चापलूसी करने के लिए ही यह सर्व हो रहा है । झारखंड सहित बिहार और बंगाल में भी अनेक विद्यालयों में यह चल रहा है; परंतु इससे संबंधित समाचार लोगों तक पहुंचे ही नहीं हैं ।

हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य समन्वयक श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी ने कहा कि, हमारा देश स्वतंत्र होने के उपरांत अधिकांश शिक्षा मंत्री मुसलमान अथवा मुसलमान समर्थक थे । इसलिए शिक्षा में गलत बातें पढाई गईं । एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों में आक्रमणकारी मुगलों का उदात्तीकरण करने के लिए अनेक पृष्ठ भरे गए हैं । एन.सी.ई.आर.टी. की 5 वीं की अंग्रेजी पुस्तक में ‘दि लिटिल बुली’ पाठ में ‘हरि’ नामक विद्यार्थी लडकियों को छेडनेवाले तथा ‘अब्दुल’ नामक विद्यार्थी अच्छे काम करनेवाला दिखाया गया है । इस प्रकार वामपंथी विचारधारा के लोगों ने योजनाबद्ध हिन्दू धर्म के प्रति द्वेष फैलाने का काम किया है । बालभारती की पुस्तक में भी ‘अफजलखानवध’ का चित्र नहीं है; परंतु ‘ईदगाह’ यह पाठ पढाया जा रहा है । गोवा की एक पाठ्यपुस्तक में बार्देश प्रांत में छत्रपति शिवाजी महाराज ने तीन दिन आक्रमण कर जनता पर अत्याचार किया, ऐसा झूठा इतिहास पढाया जा रहा था । कुल मिलाकर अभिभावकों को जागृत होकर बच्चों के पाठ्यक्रम में निश्चित रूप से क्या पढाया जाता है, इसकी जांच भी करनी चाहिए ।

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