हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित विशेष संवाद : ‘भारत के विभाजन का काला इतिहास !’
भारत विभाजन के समय हिन्दू और सिख बंधुओं को मारा गया । हिन्दू और सिख महिलाओं पर, लडकियों पर जो भयंकर अत्याचार किए गए, उसका शब्दों में वर्णन तक नहीं कर सकते । स्वयं को बुद्धिवादी और इतिहास के विशेषज्ञ समझे जानेवाले अब तक झूठ बोलते आए हैं कि, ‘दोनों ओर से हिंसाचार हुआ ।’ यह हिन्दू मृतकों के प्रति अन्याय के साथ-साथ इतिहास की चूक भी है । इतिहास एवं संस्कृति के अध्ययनकर्ता और लेखक अधिवक्ता सतीश देशपांडे ने आवाहन किया है कि, ‘विभाजन के समय का सत्य इतिहास जानकर हिन्दू आत्मपरीक्षण करें ।’ हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा स्वतंत्रता अमृत महोत्सव के निमित्त आयोजित ‘भारत के विभाजन का काला इतिहास !’ विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में वे बोल रहे थे ।
अधिवक्ता देशपांडे आगे बोले, ‘मुस्लिम लीग की ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ की घोषणा ने दंगे करवाए, हिन्दुओं पर अत्याचार कर और भूमि हडपकर विभाजन करवाया । पश्चिम बंगाल प्रांत और तब का पूर्व बंगाल (अभी का बांगलादेश) में श्री. गोपाल पाठा के नेतृत्व में हिन्दुओं द्वारा किए गए प्रतिकार के कारण मुस्लिम लीग ने उस समय करवाए दंगे रोक लिए गए; पर यह गोपाल पाठा कौन है, इसकी जानकारी आज की पीढी को नहीं है । इसलिए कि भारत के विभाजन के समय हिन्दू भाई-बहनों पर हुए अत्याचार और बलिदान का सत्य इतिहास अब तक बताया ही नहीं गया है । आज के पाकिस्तान के लाहौर, रावळपिंडी में हिन्दुओं की नृशंस हत्या, स्त्रियों पर अमानवीय अत्याचार किए गए । रेलगाडियों में हिन्दुओं के मृतदेह ‘आजादी का तोहफा’ कहते हुए अमृतसर और देश के अन्य स्थानों पर भेजे गए ।’
अधिवक्ता देशपांडे ने यह भी बताया कि, वीर सावरकरजी ने वर्ष 1942 में अपने भाषण द्वारा पहले ही सावधान किया था कि ‘देश का विभाजन होगा’; परंतु सावरकरजी ही देश के विभाजन के लिए उत्तरदायी हैं, ऐसा दुष्प्रचार अब तक किया जाता है । मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मुसलमान नेताओं ने विभाजन किया, यह सत्य सुस्पष्टता से नहीं बताया जाता ।’