‘औषधियों के अवास्तव मूल्यों से जनता की लूट’ इस विषय पर ‘आरोग्य साहाय्य समिति’का विशेष संवाद !
औषधियों का अधिकतम मूल्य (एम.आर.पी.) अधिक हो, इसके लिए थोक औषधि विक्रेताओं, खुदरा औषधि विकेताओं का औषधि निर्मिति तथा बिक्री करनेवाली फार्मा कंपनियों पर बडा दबाव है । इसी प्रकार चिकित्सालय, डॉक्टर्स आदि भी इस शृंखला में सम्मिलित हैं तथा ‘एम.आर.पी.’ पर केंद्र शासन का कोई नियंत्रण नहीं । इस कारण औषधियां मनमाने ढंग से बढी दरों में ग्राहकों को बेची जा रही हैं । लोग भी ‘एम.आर.पी.’ पर केंद्र शासन का नियंत्रण है, इस भ्रम में औषधियां खरीद रहे हैं । कर्करोग की औषधियों पर 30 प्रतिशत का ‘ट्रेड मार्जिन कैप’ लगाया गया है । इसका अर्थ है 100 रुपयों की औषधि अधिकतम 130 रुपयों में बेची जा सकती है । परंतु अन्य औषधियां बहुत बढी हुई दरों में बेची जा रही हैं । सामान्य जनता की यह लूट रोकने के लिए केंद्र शासन सर्व प्रकार की औषधियों तथा वैद्यकीय उपकरणों पर ‘ट्रेड मार्जिन कैप’ लागू करे । इससे औषधियां 80 से 90% सस्ती मिलेंगर, ऐसी मांग तेलंगाना के उद्योगपति तथा ‘निजामाबाद चेंबर्स ऑफ कॉमर्स’के अध्यक्ष श्री. पुरुषोत्तम सोमानी ने की । वे हिन्दू जनजागृति समिति की ‘आरोग्य साहाय्य समिति’ तथा ‘सुराज्य अभियान’ की ओर से आयोजित ‘औषधियों के अवास्तव मूल्य से जनता की लूट’ इस ‘विशेष संवाद’ में बोल रहे थे । इस कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. नरेंद्र सुर्वे ने श्री. सोमानी से संवाद किया ।
‘लोगों को सस्ती तथा अच्छी औषधियां पाने के लिए क्या करना चाहिए’, इस विषय में श्री. सोमानी ने कहा, ‘अधिकांश जनता को यह ज्ञात नहीं होता कि बाजार में अनेक औषधियां जेनरिक हैं; परंतु अनेक प्रसिद्ध औषधि निर्माता प्रतिष्ठान उन औषधियों को अपना नाम (ब्रांड) लगाकर अधिक मूल्यों में बेचते हैं । ये ब्रांडेड औषधियां ऊंची दर में बेची जाती हैं, जिसमें दुकानदार अधिक से अधिक 5 से 10% की छूट देता है । जेनरिक औषधियां ब्रांडेड औषधियों की ही भांति उच्च गुणवत्ता की होती हैं; परंतु लोगों का डॉक्टरों पर अतिविश्वास होता है । इसलिए लोग डॉक्टर द्वारा लिखी गई औषधियां लेते हैं । जेनरिक औषधियों पर छूट भी अधिक मात्रा में मिलती है । अब सर्वत्र ‘प्रधानमंत्री जनऔषधि दुकान’ हैं । इन दुकानों में ‘एम.आर.पी.’ सस्ती दर में रखकर औषधियां दी जाती हैं । लोग ये महंगी ब्रांडेड औषधियां खरीदने के स्थान पर ‘प्रधानमंत्री जनऔषधि दुकानों’ से औषधियां खरीदें अथवा जेनरिक औषधियां खरीदें ।’ उन्होंने आगे कहा हमारे देश में लोगों में जागरूकता नहीं है । इसलिए फार्मा कंपनियां समाज को भ्रमित कर रही हैं । परिणामतः सामान्य जनता का बहुत नुकसान हो रहा है । साथ ही केंद्र शासन का भी 5.50 लाख करोड का नुकसान हो रहा है । इससे काला धन निर्मित हो रहा है । इसके विषय में मैंने अर्थमंत्री निर्मला सीतारामनजी से पत्र व्यवहार भी किया है । ऊंची दरों में बेची जानेवाली औषधियों की लूटमारी के विषय में हम पिछले कुछ वर्षाें से संघर्षरत हैं ।जनता तथा विविध संगठन भी जिलाधिकारी, तहसीलदार तथा जनप्रतिनिधियों को निवेदन देकर शासन पर दबाव डालें, ऐसा भी श्री. सोमानी ने कहा ।