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योगी अरविंद को अपेक्षित राष्ट्रनिर्मिति के कार्य के लिए हिन्दू जनजागृति समिति कटिबद्ध – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे

ध्वज स्तंभ का पूजन करते हुए सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

उज्जैन (मध्यप्रदेश) – महर्षि अरविंद की दिव्यता एवं योग्यता सर्वसामान्य की समझ के परे है । उन्हें अपेक्षित राष्ट्रनिर्मिति का कार्य करने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति कटिबद्ध है । वर्तमान में शिक्षा, समाज, राज्य, न्याय आदि व्यवस्थाओं में आमूलाग्र परिवर्तन लाने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना, यह हमारा उद्देश्य है । भारत की स्वतंत्रताप्राप्ति के ७५ वर्षों पूर्व योगी अरविंद का अवतरण होना एवं उनकी १५० वीं जयंती को भारत का ७५ वां स्वतंत्रता दिन होना, यह एक विलक्षण बात है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने किया ।

वन्दे मातरम् कहते हुए अनुयायी
मार्गदर्शन करते हुए सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, प्रा. प्रफुल्लकुमार मिश्रा, पू. अतुलकृष्ण भारद्वाज

महर्षि योगी अरविंद की १५० वीं जयंती एवं स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में उज्जैन के श्री अरविंद सोसाइटी के आश्रम में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । उसमें वे मार्गदर्शन कर रहे थे ।

कार्यक्रम में उपस्थित महर्षि अरविंद के अनुयायी

१. इस अवसर पर व्यासपीठ पर सांदिपनी वेद-विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रा. प्रफुल्लकुमार मिश्रा, पू. अतुलकृष्ण भारद्वाज महाराज एवं मध्यप्रदेश जनकल्याण परिषद के उपाध्यक्ष श्री. विभाष उपाध्याय उपस्थित थे । इस प्रसंग में उपर्युक्त मान्यवरों ने भी मार्गदर्शन किया । कार्यक्रम का प्रारंभ ध्वजारोहण, ‘वन्दे मातरम्’ गायन एवं ध्यान से किया गया । इस कार्यक्रम का लाभ अनेकों ने लिया ।

२. पू. अतुलकृष्ण भारद्वाज बोले, ‘‘भगवान श्रीकृष्ण सबसे बडे योद्धा हैं । आज उनका पराक्रम उधृत होना आवश्यक है । उज्जैन ऐसा शहर है कि जहां भगवान श्रीकृष्ण को भगवान परशुराम से सुदर्शन चक्र मिला था । ७ घोडे चलाने का सामर्थ्य भगवान परशुराम एवं महर्षि सांदिपनी के उपरांत केवल भगवान श्रीकृष्ण में था ।’’

३. मध्यप्रदेश जनकल्याण परिषद के उपाध्यक्ष श्री. विभाषजी उपाध्याय बोले, ‘‘वर्तमान में कलियुग शुरू है । इसमें दुष्ट शक्ति प्रबल है एवं सज्जनों की समस्याएं बढती जा रही हैं । ऐसे समय पर हमें क्षात्रतेज वृद्धींगत करने की आवश्यकता है । योगी अरविंद के बताए अनुसार संपूर्ण जग एक रूपांतर की ओर जा रहा है । योगी अरविंद को हम समझ नहीं सकते हैं; परंतु उनके विचारों का स्पर्श एवं सेवा हमें मिली है, यह हमारा सद्भाग्य है ।’’

४. प्रा. प्रफुल्लकुमार मिश्रा ने भी योगी अरविंद के विषय में विचार प्रकट किए ।

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