हिन्दू जनजागृति समिति का विशेष संवाद : ‘चर्च द्वारा संचालित आश्रयकेंद्र कि अत्याचारकेंद्र ?’
देश के विभिन्न भागों की चर्च में जब छोटे बच्चों के यौन शोषण की, महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं होती हैं; तब शहर में कुछ संख्या में यह प्रकरण सामने तो आते हैं । सामने आए सभी प्रकरण हिमशिखर की नोंक हैं; परंतु आदिवासी बहुल एवं ग्रामीण भाग में जब चर्च से संबंधित इस प्रकार की घटनाएं होती हैं, तब किसी को कानों-कान खबर नहीं होती । भारत में चर्च द्वारा किए जा रहे अनुचित प्रकारों को देखते हुए चर्च द्वारा संचालित सभी आश्रयकेंद्रों की राज्य सरकार नियमित जांच एवं निगरानी करे, ऐसी मांग भारत रक्षा मंच के राष्ट्र्रीय महामंत्री श्री अनिल धीर ने की । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ऑनलाइन विशेष संवाद में ‘चर्च द्वारा संचालित आश्रयकेंद्र कि अत्याचारकेंद्र ?’ इस विषय पर वे बोल रहे थे ।
श्री. अनिल धीर ने आगे कहा, जब चर्च में अत्याचार होते हैं, तब मुख्यधारा के प्रसारमाध्यम चुप रहते हैं; परंतु हिन्दू साधु संत पर जब आरोप लगते हैं, तब उस विषय को बहुत प्रसिद्धि दी जाती है । यह दोहरी नीति है । भारत की चर्च के लिए बडी मात्रा में विदेश से पैसा आता है । सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है ।
तेलंगाना स्थित ‘क्रिश्चियन स्टडीज’ की अध्ययनकर्ता ईस्टर धनराज ने कहा, ईसाई संस्थाएं महिलाएं एवं छोटे बच्चों के शोषण का केंद्र बन रही हैं । यह नई बात नहीं है । १९८० के दशक से पूरे विश्व से चर्च में हो रहे अत्याचार के प्रकरण सामने आए । चर्च में हो रहे इन अत्याचारों के कारणभूत बने पादरियों को विभिन्न चर्च प्रबंधन ने दंड ना देते हुए उनका समर्थन किया । भारत सहित पूरे विश्व में फैली इन सभी चर्च से बडी संख्या में आर्थिक घोटाले किए जा रहे हैं; पर इस विषय में कोई चर्चा होती दिखाई नहीं देती । इसके विपरीत मंदिरों के धन में अनियमितता होगी, यह कारण देते हुए आज भी मंदिरों को सरकार ने अपने नियंत्रण में रखा है ।
हिन्दू जनजागृति समिति की ‘रणरागिनी’ शाखा की कुमारी प्रतीक्षा कोरगांवकर ने कहा, नवी मुंबई स्थित बेथेल गॉस्पेल चैरिटेबल ट्रस्ट’ की चर्च के छात्रावास में रहनेवाली अवयस्क लडकियों पर हो रहे यौन अत्याचार के प्रकरण हाल ही में सामने आए । इस प्रकरण के साथ पूरे देश में सर्वत्र चर्च के अंतर्गत आनेवाले आश्रयकेंद्रों की जांच के लिए सरकार समिति गठित करे । साथ ही जहां अनुचित प्रकार हो रहे हैं, उन चर्च के आश्रयकेंद्रों का पंजीकरण स्थायी रूप से निरस्त कर दिया जाए, ऐसी ‘रणरागिनी’ की मांग है ।