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मदरसों की दी जा रही आर्थिक सहायता बंद की जाए – अधि. मोतीसिंह राजपुरोहित, राजस्थान उच्च न्यायालय

 विशेष संवाद  : ‘क्या मदरसे बन रहे हैं आतंकवाद के केंद्र ?’

राजस्थान में कन्हैय्यालाल तथा अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या करनेवाले मदरसों से तैयार हुए थे । केवल इतना ही नहीं,  देश के सभी कैदियों की जानकारी ली जाए, तो उनमें से अधिकांश मुसलमानों ने मदरसों में शिक्षा ली है, यह बात सामने आनेपर ‘क्या मदरसों में आतंकवादी तैयार होते हैं ?’, यह प्रश्न ही नहीं होगा । ‘मदरसे शिक्षा के अथवा प्राथमिक शिक्षा के केंद्र नहीं हैं, अपितु वे धार्मिक प्रथा-परंपराओं की शिक्षा देनेवाले केंद्र हैं’, यह स्पष्ट निर्णय सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है । उसके आधार पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को शिक्षा के नाम पर मदरसों की आर्थिक सहायता करना, मदरसे खोलना और बच्चों को एकत्रित करना जैसे कार्य पूर्णतः बंद करने चाहिए । साथ ही संपूर्ण देश में सभी को समान शिक्षा देनेवाली शिक्षा नीति कठोरता के साथ लागू करनी चाहिए । इससे देश में कट्टर मानसिकता के आक्रमणकारी तैयार नहीं होंगे । राजस्थान उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा अध्येता मोतीसिंह राजपुरोहित ने ऐसा प्रतिपादित किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘क्या मदरसे बन रहे हैं आतंकवाद के केंद्र ?’, विषय पर आयोजित ‘ऑनलाइन’ संवाद में वे बोल रहे थे ।

इस अवसर पर नई देहली के पत्रकार तथा सामाजिक कार्यकर्ता श्री. दीपक शर्मा ने कहा कि देहली के मुसलमानबहुल क्षेत्र सीलमपुर में स्थित मदरसों का सर्वेक्षण करने गए एक राष्ट्रीय समाचारवाहिनी के पत्रकार को धर्मांधों ने बंदी बनाकर उसे पीटा  । उसका यह सौभाग्य रहा कि कन्हैयालाल की भांति उसकी हत्या नहीं हुई । इसी स्थान पर वर्ष 2020 में भीषण दंगे हुए थे । उसमें ‘आम आदमी पार्टी’ के पार्षद ताहिर हुसैन को मुख्य आरोपी के रूप में पकडा गया था । मदरसों में शिक्षा लेनेवाले बच्चों का बाहरी विश्व से संबंध तोड दिया जाता है तथा उन्हें कट्टरतावाद की शिक्षा दी जाती है । इसके कारण भविष्य में नई दिल्ली में भीषण स्थिति बननेवाली है ।

इस अवसर पर ‘सनातन संस्था’ के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने कहा कि 9/11 के प्रकरण में सत्यशोधन समिति द्वारा किए गए अध्ययन में आतंकवादी आक्रमणों का मदरसों से संबंध उजागर हुआ है । असम राज्य में भी कुछ मदरसों के आतंकी संगठन ‘अल्-कायदा’ के साथ संबंध होने की बात उजागर होने पर वहां के मदरसों को गिराया गया । वहां के मुख्यमंत्री ने मदरसों के संबंध में नया कानून बनाकर सभी मदरसों का विद्यालय में रूपांतरण किया है । वास्तव में देश की सभी राज्य सरकारों को इसका अनुकरण करना चाहिए; क्योंकि अकेले उत्तर प्रदेश में 40 हजार मदरसों के अवैध होने की बात सामने आई है । संपूर्ण देश में अवैध मदरसों की संख्या इससे कई गुना अधिक होगी । उत्तर प्रदेश के मदरसों का डिजिटलाइजेशन करने पर वहां 100 करोड रुपए का घोटाला सामने आया है; इसलिए देश के सभी मदरसों का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए ।

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