‘विशेष संवाद’ : ‘पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध क्यों लगाना चाहिए ?’
नागरिकों द्वारा चुनी गई सरकारने बनाए हुए कानून का बडी संख्या में विरोध कर हिंसाचार एवं दंगे किये जा रहे है । वर्ष 2014 के उपरांत आतंकवाद का स्वरूप बदल गया है । आज ‘एजीटेशनल टेररिजम’ (आंदोलनात्मक आतंकवाद) के माध्यम से भारत देश को अधिक हानि पहुंचाने का काम ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ.आई.) कर रही है । आतंकवादी आक्रमणों की अपेक्षा दंगे कराना, हिंसाचार करना, लोगों को उग्रवादी बनाना, इनसे अधिक हानि हो रही है, यह इन लोगों को समझ में आ गया है । इसलिए पी.एफ.आई. की गहन जांच होनी चाहिए और उनपर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए, ऐसा प्रतिपादन सैन्य दल से सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध क्यों लगाना चाहिए ?’ इस विषय के ऑनलाइन विशेष संवाद में बोल रहे थे ।
ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने आगे कहा, उग्रवादी संगठन अथवा आतंकवादी संगठन को काम करने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है । पी.एफ.आई. को इस्लामी राष्ट्रों से फंडिंग हो रही है । यह फंडिंग बंद होनी चाहिए । तभी ये आतंकवादी गतिविधियां रुकेंगी । जो इस्लामी देश तथा देश के अन्य संगठन पी.एफ.आई. की आर्थिक सहायता कर रहे हैं, उन पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अंतर्गत कार्यवाही होनी चाहिए । जब तक पी.एफ.आई. की ओर आनेवाले आर्थिक मार्ग बंद नहीं होते, तब तक आतंकवादी गतिविधियां नहीं रुकेंगी ।
जिन्ना की भांति ‘पी.एफ.आई.’ भी भारत को खंडित कर इस्लामी राष्ट्र बनाना चाहता है ! – प्रवीण दीक्षित, सेवानिवृत्त पुलिस महासंचालक
महाराष्ट्र के सेवानिवृत्त पुलिस महासंचालक प्रवीण दीक्षित ने कहा, वर्ष 1947 में मोहम्मद जिन्ना ने अखंड भारत का विभाजन कर पाकिस्तान बनाया । इसी पृष्ठभूमि पर पी.एफ.आई. का भी इस्लामी राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र है । खाडी देश पी.एफ.आई. को प्रतिमाह करोडों रुपए भेजते हैं । भारत में धर्म द्वेष एवं जाति द्वेष फैलाकर अराजकता निर्माण करने का प्रयास करते हैं । इसलिए केवल पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध लगाने से यह गतिविधियां बंद नहीं होंगी; क्योंकि यह एक विचारधारा है । वह एक भिन्न नाम से पुनः आतंकवादी गतिविधियां करेंगे । इसके लिए केंद्र में ‘गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम’ (UAPA) लागू किया है और इसके आधार पर संगठन का नाम बदलकर गतिविधियां करनेवाले व्यक्तियों पर कार्यवाही की जा रही है । इस कानून के माध्यम से तत्काल कठोर कार्यवाही होने पर ही आतंकवादी आगे बडे देशद्रोही कृत्य करने का साहस नहीं करेंगे । आतंकवादियों पर न्यायोचित पद्धति से कार्यवाही होती है; तब भी ‘मुसलमानों पर अत्याचार किए जा रहे हैं’, ऐसा दुष्प्रचार आतंकवादियों के समर्थक करते हैं । इस प्रकार के झूठे प्रचार के विरोध में जनजागरण करना आवश्यक है, ऐसा भी दीक्षित ने कहा ।