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कोल्हापुर : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले में बना अवैध मदरसा प्रशासन द्वारा ध्वस्त

5 जनवरी 2024 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पावनगड में स्थित एक अवैध मदरसा राज्य सरकार ने जमींदोज कर दिया। मौके पर पुलिस प्रशासन की भारी मौजूदगी रही। मदरसे को गिराए जाने के वक्त किसी को भी उसके आसपास जाने की अनुमती नहीं दी गई।

हिन्दू संगठनों ने भी इस मामले में प्रशासन से शिकायत की थी, जिसके बाद यह मदरसा गिराया गया। मदरसे को चुपचाप 5-6 जनवरी 2024 को गिरा दिया गया। मदरसा गिराने की कार्रवाई रात 2 बजे चालू हुई और सुबह 9 बजे तक चलती रही। इस अवैध कब्जे को खाली करवाने के लिए कोल्हापुर के एसपी समेत अन्य बड़े अधिकारी पावनगड किले में एक दिन पहले से ही रुके हुए थे। यह इलाका राजस्व विभाग के अंतर्गत आता है।

पावनगड के जिस किले में यह मदरसा बनाया गया है, उसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने वर्ष 1673 में बनाया था, यहाँ अब काफी बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। इस मदरसे को 1979 में मुस्लिम आबादी के सहारे इस्मा सैयद ने बनवाया था। वर्तमान में यहाँ बिहार और पश्चिम बंगाल के 45 बच्चे दीनी तालीम ले रहे थे। इन्हें शिरोली में स्थित एक मदरसे में 5 जनवरी की शाम को भेज दिया गया।

इस इलाके की सुरक्षा के लिए 400 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। इस मदरसे को गिराने को लेकर प्रशासन ने चुपचाप काम किया। मदरसे को 6 जनवरी 2024 की दोपहर तक पूरी तरह जमींदोज कर दिया गया। इस दौरान इलाके के तहसीलदार समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

स्थानीय हिन्दू समुदाय इस मदरसे के बारे लगातार शिकायतें कर रहा था। उनका कहना था कि ‘मदरसा जामिया अरबिया जीनतुल कुरान’ यहाँ सरकारी जमीन पर बनाया गया था और इसमें पढ़ने वाले सभी छात्र दिल्ली, बंगाल और बिहार जैसे राज्यों से आते हैं।

बजरंग दल ने भी इस मामले में आवाज उठाई थी। उसने अपने पत्र में लिखा था, “पावनगढ़ के ऐतिहासिक किले पर बना मदरसा अवैध है और यहां पढने वाले छात्र महाराष्ट्र के नहीं हैं। इस तरह के अवैध अतिक्रमण से किले का ऐतिहासिक महत्व प्रभावित हो रहा है। किले पर मुस्लिमों ने भी घर बना लिए हैं। हम अवैध कब्जे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं और किले की पवित्रता बनाए रखने के लिए इस कब्जे को हटाने की भी मांग करते हैं।”

महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि मदरसा सरकारी जमीन पर ही बना है और इस मामले में जांच जारी है। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पावनगड का अतिक्रमण हटाने पर बधाई ! इसी तरह की कार्यवाही विशालगड में भी शीघ्रता से की जानी चाहिए! – सुनील घनवट, समन्वयक, महाराष्ट्र गड-दुर्ग रक्षण समिति

प्रशासन ने पावनगड में अतिक्रमण को सफलतापूर्वक हटा दिया है, इस पर सरकार को बधाई! सरकार ने पहले ही प्रतापगड़ और संग्रामगड़ के अतिक्रमणों को हटा दिया है। हाल ही में, माहिमगड़ के अतिक्रमणों को भी हटा दिया गया है। महाराष्ट्र में और भी 30-35 किले ऐसे हैं जिनमें अतिक्रमण हैं, और इन अतिक्रमणों को हटाने की प्रक्रिया को तेजी से करना चाहिए। विशालगड़ में अतिक्रमण हटाने के लिए कोई स्थित योजना नहीं है, लेकिन इसे शीघ्रता से शुरू करना महत्वपूर्ण है। मॉनसून की शुरुआत के कारण, अतिक्रमणों को हटाने में देरी हो रही है, और अब कानूनी प्रक्रियाएं इसे रोक रही हैं। हालांकि, सरकार ने विशालगड़ में अतिक्रमण हटाने के संदर्भ में एक प्रभावी वकील को उच्च न्यायालय में नियुक्त किया है ताकि आवश्यक कदम त्वरितता से उठाए जा सकें।

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