देवस्थानों की रक्षा हेतु संयुक्त संघर्ष आवश्यक ! – पुजारी श्रीहरि नारायण दास अस्रण्णा
मंगलुरु (कर्नाटक) – “हिन्दू धर्म की रक्षा करने में मंदिरों का अनन्य साधारण महत्त्व है । मंदिरों का व्यवस्थापन सरकार के नियंत्रण में जाने पर अर्थात मंदिरों का सरकारीकरण होने पर मंदिर भावपूर्ण पद्धति से नहीं, अपितु सरकार की दृष्टि से चलाया जाता है । धर्मशास्त्र का नाश कर धर्मादाय कानून के माध्यम से सरकार हिन्दू धर्म पर राज करने लगी है । यदि अब हम जागृत नहीं हुए, तो देवस्थानों में नमाजपठन आरंभ होगा । हमें अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए, एकजुटता की एवं संगठन की आवश्यकता है । इसलिए सभी संगठित होकर संघर्ष करेंगे” , ऐसा आवाहन कटीलु क्षेत्र के दुर्गापरमेश्वरी मंदिर के वंश परंपरागत पुजारी श्री. श्रीहरि नारायण दास अस्रण्णा ने किया । वे २६ जनवरी को शहर के श्रीनिवास कल्याण मंडप में आयोजित दक्षिण कन्नड जिलास्तरीय मंदिर परिषद में बोल रहे थे । सनातन संस्था के धर्मप्रचारक पू. रमानंद गौडा, रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी जितकामानंदजी, श्री. श्रीहरि नारायण दास अस्रण्णा, श्रीविष्णु मूर्ति मंदिर के श्री. श्रीकृष्ण संपिगेताय एवं ‘कर्नाटक मंदिर-मठ एवं धार्मिक संस्थाओं का महासंघ’ के राज्य संयोजक श्री. मोहन गौडा ने दीपप्रज्वलन कर इस परिषद का उद्घाटन किया ।
मंदिरों के न्यासियों को कानूनन मार्गदर्शन मिले, इस उद्देश्य से प्रश्नोत्तर का कार्यक्रम लिया गया । साथ ही आगे अपने परिसर के मंदिरों से संबंधित कार्य कैसें करें, इस विषय में गुट-चर्चा ली गई एवं मंदिरों में वस्त्रसंहिता (मंदिर में प्रवेश करते समय परिधान करने योग्य वस्त्रों के संदर्भ में नियम) लागू करना, धार्मिक शिक्षा फलक लगाना आदि के संदर्भ में निर्णय लिए गए ।