बेंगलुरु : कर्नाटक के राज्यपाल ने मंदिरों से आने वाले धन को सामान्य संग्रह निधि में एकत्रित करने का संशोधन विधेयक सरकार को वापस भेज दिया है। विपक्ष के कड़े विरोध के बीच सरकार ने पिछले महीने बजट सत्र में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया।
बाद में विधेयक को राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन भेजा गया। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 14 मार्च को और स्पष्टीकरण मांगते हुए विधेयक को वापस भेज दिया। राजभवन कार्यालय ने अधिक जानकारी और स्पष्टीकरण के साथ विधेयक को राज्यपाल के कार्यालय में फिर से जमा करने की बात कही।
कर्नाटक सरकार को बड़ा झटका, राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने मंदिर टैक्स बिल पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार.
उन्होंने टिप्पणी की, "अन्य धार्मिक निकायों पर भी टैक्स क्यों नहीं, केवल मंदिरों पर ही क्यों??" pic.twitter.com/dTAc2Sd1lW
— हम लोग We The People 🇮🇳 (@ajaychauhan41) March 21, 2024
राज्यपाल द्वारा बिल वापस भेजने का क्या कारण है ?
उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ पहले ही कर्नाटक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1997 और 2011 और 2012 में किए गए संशोधनों को रद्द कर चुकी है। धारवाड़ उच्च न्यायालय पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की।
सर्वोच्च न्यायालय ने धारवाड़ उच्च न्यायालय बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है और राज्यपाल ने मामले की सुनवाई अंतिम चरण में होने का हवाला देते हुए राज्य सरकार से अधिक जानकारी मांगी है। इस बारे में और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है कि क्या सर्वोच्च न्यायालय में मामला लंबित रहने के दौरान इस संबंध में कोई संशोधन विधेयक लाया जा सकता है।
उन्होंने सवाल किया है और अधिक जानकारी और स्पष्टीकरण मांगा है कि उच्च न्यायालय पहले ही इस पहले अधिनियम को रद्द कर चुका है, और अब जब अपील की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में अंतिम चरण में है, तो क्या इसमें संशोधन किया जा सकता है।
क्या आप अन्य धार्मिक संस्थानों को शामिल करेंगे?
संशोधन विधेयक को लेकर पूछे गए स्पष्टीकरण में राज्यपाल ने राज्य सरकार से यह भी सवाल किया कि क्या अन्य धार्मिक संस्थानों को शामिल करते हुए कोई विधेयक बनाने का विचार है। राजभवन के अधिकारियों ने सरकार से कहा है कि वह अधिक जानकारी और स्पष्टीकरण के साथ वापस भेजे गए संशोधन विधेयक को राज्यपाल के पास दोबारा जमा करे।
इस बिल पर विपक्षी बीजेपी ने दोनों सदनों में कड़ी आपत्ति जताई थी। विधेयक को परिषद में वोट दिया गया। बाद में कांग्रेस सरकार ने इसे दूसरी बार विधानसभा और विधान परिषद में पेश किया और विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद इसे मंजूरी दिला दी। कर्नाटक मंदिर महासंघ ने इस बिल को खारिज करने के लिए राज्यपाल को याचिका सौंपी थी।
24 फरवरी
मंदिरों को मिले दान से कमाई करने का कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा बनाया बिल विरोध के चलते नहीं हुआ पास
भाजपा-जदयू तथा सोशल मीडिया से हुए विरोध का परिणाम
कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार के मंदिरों की कमाई पर अधिक टैक्स वसूलने के मंसूबों पर पानी फिर गया है। इस सम्बन्ध में लाया गया विधेयक कर्नाटक के विधान परिषद में पारित नहीं हो पाया। भाजपा और जेडीएस के गठबंधन ने इस विधेयक को संयुक्त रूप से विधान परिषद में गिरा दिया।
75 सदस्यों वाली कर्नाटक विधान परिषद में मन्दिरों की कमाई पर टैक्स लगाने वाले इस विधेयक को ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया। कर्नाटक विधान परिषद में कॉन्ग्रेस सरकार अल्पमत में है। कर्नाटक के इस उच्च सदन में भाजपा के पास 35 और जेडीएस के पास 8 सदस्य हैं। एक सदस्य निर्दलीय भी है जबकि कॉन्ग्रेस के पास यहाँ मात्र 30 ही सदस्य हैं। एक पद अभी रिक्त है।
#BreakingNews: कर्नाटक में कांग्रेस को बड़ा झटका, मंदिर विधेयक विधानसभा में पास नहीं हुआ. #Karnataka #TempleBill @jaspreet_k5 pic.twitter.com/CNhlW2Sp9U
— News18 India (@News18India) February 24, 2024
ऐसे में कॉन्ग्रेस सरकार का ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ विधान परिषद में पारित नहीं हो सका। कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार इस विधेयक के जरिए वार्षिक ₹1 करोड़ से अधिक दान पाने वाले मंदिरों से उनकी कमाई का 10% जबकि ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक दान पाने वाले मंदिरों से 5% टैक्स वसूलना चाहती थी।
इससे पहले यह विधेयक कर्नाटक विधानसभा में लाया गया था। सत्ता में होने के चलते विधानसभा में कॉन्ग्रेस सरकार को बहुमत है, इसलिए यहाँ यह विधेयक बिना किसी समस्या के पारित हो गया था। 224 सदस्यों वाली इस विधानसभा में इसे 135 कॉन्ग्रेस विधायकों का समर्थन हासिल हुआ था। इसके बाद इसे विधान परिषद के समक्ष रखा गया, जहाँ यह पारित नहीं हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि विधान परिषद में इस विधेयक के समर्थन में सत्ता पक्ष के 7 सदस्यों ने ‘हाँ’ कहा, जबकि 18 विपक्षी सदस्यों ने ‘ना’ कहा। इसके बाद भाजपा विधान परिषद सदस्यों ने सदन में जय श्री राम के नारे भी लगाए। हालाँकि, इस विधेयक को सरकार दोबारा इस सदन में पेश कर सकती है, लेकिन इसकी संभावना कम मानी जा रही है। यह भी कयास लग रहे हैं कि इसे अब लोकसभा चुनावों के बाद ही लाया जाएगा।
मंदिरों की कमाई से सबंधित इस विधेयक का राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा और जेडीएस लगातार विरोध कर रहे थे। उन्होंने सरकार पर हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगाया था। कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बी वाई विजयेन्द्र ने इस मामले में कहा था कि सरकार हिन्दू मंदिरों के दान से अपना खजाना भरना चाहती है।
स्रोत : ऑप इंडिया
22 फरवरी
मंदिर को अगर दान-चढावे में मिले ₹1 करोड तो सरकार को देना होगा ₹10 लाख : कर्नाटक में कॉन्ग्रेस ने किया बिल पास
भाजपा ने कहा – केवल हिंदू धर्म क्यों?
क्या यही है कांग्रेस सरकार की धर्मनिरपेक्षता ? हिन्दुओं ने संगठित होकर इस निर्णय का विरोध कर यह बिल रद्द करने के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहिए ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
कर्नाटक सरकार ने हाल में ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ पारित किया है। यह विधेयक सरकार को अधिकार देता है कि वह मंदिरों से टैक्स वसूल सकें।
इस बिल के अनुसार अगर किसी हिंदू मंदिर का राजस्व 1 करोड़ है तो सरकार उनसे 10 फीसद टैक्स ले सकती है और जिनका राजस्व 1 करोड़ से कम है लेकिन 10 लाख रुपए से ज्यादा है तो उनसे सरकार 5 प्रतिशत कर ले सकती है।
The Karnataka Hindu Religious Charitable Institutions and Charitable Endowments (Amendment) Bill, 2024 https://t.co/BSshEPcVNS. In the constitution of the Board of Directors referred to in point 25 – it is mentioned that 'members may be appointed from both Hindu and https://t.co/bjteuh3Jlf pic.twitter.com/sbMTDJBF7N
— Kumar Sampath Shet (Modi's Family) (@ShetSampath) February 21, 2024
बताया जा रहा है कि इस बिल में ये भी कहा गया है कि एक निगमित निकाय के मामले में सदस्यों को हिंदू और अन्य धर्मों दोनों से नियुक्त किया जा सकता है।
Karnataka govt passes the Hindu Religious institutions & charitable Endowments amendment bill
Sub clause under Sec 25
'In Case of composite institution members from both Hindu and Other Religions may be appointed to the Management Committee'Here's more
As per a new…— Pranesh Kumar Roy (@roypranesh) February 22, 2024
इस विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश के भाजपा नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने कहा कि कॉन्ग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियाँ अपनाकर अपना खाली खजाना भरना चाहती है।
उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि कॉन्ग्रेस सरकार राज्य में लगातार हिंदू विरोधी नीतियाँ अपना रही है। अब उसकी हिंदू मंदिरों के राजस्व पर टेढ़ी नजर है। सरकार ने अपने खाली खजाने को भरने के लिए हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक पारित किया है। सरकार हिंदू मंदिरों से धन जुटाकर अपने दूसरे उद्देश्य पूरा करेगी।
ರಾಜ್ಯದಲ್ಲಿ ಸರಣೀ ರೂಪದಲ್ಲಿ ಹಿಂದೂ ವಿರೋಧಿ ಧೋರಣೆ ಅನುಸರಿಸುತ್ತಿರುವ ಕಾಂಗ್ರೆಸ್ ಸರ್ಕಾರ ಇದೀಗ ತನ್ನ ಬರಿದಾಗಿರುವ ಬೊಕ್ಕಸ ತುಂಬಿಸಿಕೊಳ್ಳಲು ಹಿಂದೂ ದೇವಾಲಯಗಳ ಆದಾಯದ ಮೇಲೂ ವಕ್ರ ದೃಷ್ಟಿ ಬೀರಿ ಹಿಂದೂ ಧಾರ್ಮಿಕ ಸಂಸ್ಥೆಗಳ ಮತ್ತು ಧರ್ಮಾದಾಯ ದತ್ತಿಗಳ ವಿಧೇಯಕವನ್ನು ಮಂಡಿಸಿ ಅಂಗೀಕಾರ ಪಡೆದು ಕೊಂಡಿದೆ.
ಇದರ ಅನುಸಾರ ಇನ್ನು ಮುಂದೆ 1… pic.twitter.com/UwcN7yjjss
— Vijayendra Yediyurappa (Modi Ka Parivar) (@BYVijayendra) February 21, 2024
विजयेंद्र ने कहा कि सरकार 1 करोड़ से अधिक कमाई वाले मंदिरों से आय का 10% टैक्स लेगी। भक्तों द्वारा भगवान को चढ़ाए गए धन का इस्तेमाल मंदिर और भक्तों की सुविधा के लिए होना चाहिए। यदि इसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए आवंटित किया जाता है, तो यह लोगों के साथ हिंसा और धोखाधड़ी होगी। येदियुरप्पा ने आश्चर्य जताया कि कर्नाटक सरकार केवल हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बना रही है। अन्य धर्मों को क्यों नहीं?
बीजेपी द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने विजयेंद्र पर पलटवार किया। उन्होंने भाजपा पर धर्म को राजनीति में लाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा- “हिंदुत्व की सच्ची समर्थक तो कॉन्ग्रेस है। लेकिन भाजपा हमेशा कॉन्ग्रेस को हिंदू विरोधी दिखाकर लाभ लेती है। पर, हिंदू धर्म के सच्चे समर्थक हम हैं, क्योंकि वर्षों से कॉन्ग्रेस ने मंदिर और हिंदू हितों की रक्षा की है।”
स्रोत : ऑप इंडिया