देश में समाज एवं संस्कृति सुरक्षित रखने के लिए देवायलों की रक्षा होना अत्यावश्यक ! – डॉ. प्रभाकर कोरे, कार्याध्यक्ष, के.एल.ई. संस्था, बेलगांव
चिक्कोडी (कर्नाटक) – ‘के.एल.ई. संस्था’ के कार्याध्यक्ष डॉ. प्रभाकर कोरे ने वक्तव्य देते हुए कहा, ‘संपूर्ण राज्य में भिन्न भिन्न स्थानों पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर मंदिरों का संगठन करना चाहिए । वर्तमान सरकार मंदिरों के अर्पण पर लक्ष्य रखती है । यह अच्छी बात नहीं है । भगवान का धन अग्नि समान है । उसका उपयोग भगवान की सेवा के लिए ही करना चाहिए । आज देश में केवल मंदिरों के कारण ही अल्प मात्रा में परंपरा एवं संस्कृति सुरक्षित है । इसी कारण देश, समाज, परंपरा एवं संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए मंदिरों की रक्षा करना अत्यावश्यक है ।’ कर्नाटक देवस्थान, मठ एवं धार्मिक महासंघ तथा हिन्दू जनजागृति समिति के तत्त्वावधान में आयोजित अंकली के अनुभव मंडप (सभागृह) में मंदिर परिषद में वे ऐसा बोल रहे थे । इस कार्यक्रम में श्री. मल्लिकार्जुन कोरे, श्री. बाबासाहेब बिसले महाराज, श्री. भरतेश बनवणी, श्री वीरभद्र स्वामीजी, श्री. विठ्ठल सालीयान, अधिवक्ता विजयलक्ष्मी सोलापुरमठ आदि हिन्दुत्वनिष्ठों के साथ १५० से अधिक न्यासी एवं पुजारी उपस्थित थे ।
धर्मशिक्षा के माध्यम से हिन्दू समाज को संगठित करना चाहिए ! – श्री श्री श्री शिवशंकर स्वामीजी
सनातन धर्म त्रिकाल (भूत, भविष्य एवं वर्तमान) में नष्ट होने की अपेक्षा जीवित है । मंदिर महात्मा एवं सत्पुरुषों द्वारा संकल्प कर प्रतिष्ठा किए गए केंद्र हैं । मंदिरों में किया जा रहा पंचामृत अभिषेक, साथ ही अन्य अनेक पूजा करने के पीछे अनन्य भक्तिभाव की शक्ति निहित रहती है । धर्मशिक्षा के माध्यम से समाज को यह सब बताकर हम सभी को अपने एकत्रित प्रयासों द्वारा हिन्दू समाज को संगठित करने का कार्य करना चाहिए ।
क्या वक्फ बोर्ड कभी मदरसा तथा चर्च के धन का उपयोग हिन्दुओं के लिए करेंगे ? – मोहन गौडा, राज्य संयोजक; कर्नाटक देवस्थान, मठ एवं धार्मिक महासंघ
‘प्राचीन काल से ही हिन्दू मंदिर केवल पूजा अथवा धार्मिक केंद्र नहीं, अपितु राज्य की रीढ के रूप में स्वास्थ्य, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास के केंद्र के रूप में भी कार्यरत रहे हैं । हमारे राजा-महाराजाओं ने मंदिरों को धार्मिक शिक्षा के केंद्र बनाए थे । बादामी के चालुक्य एवं राष्ट्रकूट साम्राज्य द्वारा निर्मित मंदिर धर्मशिक्षा के केंद्र थे, ऐसे प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं । ऐसा होते हुए भी वर्तमान सरकार मंदिरों का धन लेकर हिन्दू धर्मशिक्षा एवं धर्मप्रसार के लिए उसका उपयोग करने की अपेक्षा अन्य धर्मियों के विकास के लिए कर रही है । यही सरकार वक्फ बोर्ड, मदरसा तथा चर्च में स्थित धन का उपयोग हिन्दुओं के लिए कभी नहीं करती । इसका निषेध करने के लिए हम सब को संगठित होकर संघर्ष करना चाहिए ।’
मंदिरों के माध्यम से धर्मप्रसार कर हिन्दू समाज को जागृत करना महत्त्वपूर्ण ! – गुरुप्रसाद गौडा, कर्नाटक राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
‘मंदिरों’ की संस्कृति की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है । यदि हम संगठित होकर संघर्ष नहीं करते, तो जिस प्रकार मुगलों ने मंदिर लूटकर नष्ट किए तथा ब्रिटिशों ने कानून बनाकर मंदिर नियंत्रण में लिए, ठीक उसी प्रकार आगे भी हम पर आक्रमण होते रहेंगे । अभी तक करोडों रुपए की लूट हुई है । भविष्य में ऐसा न हो; इसलिए मंदिरों के माध्यम से धर्मप्रसार कर हमें हिन्दू समाज को जागृत करना चाहिए ।’
स्त्रोत : सनातन प्रभात