उर्दू भाषा के लिए 32 करोड, तो फिर संस्कृत की उपेक्षा क्यों ?
वर्ष 2015 से महाराष्ट्र राज्य सरकार ने ‘महाकवि कालिदास संस्कृत साधना’ पुरस्कार का अनुदान नहीं दिया है । वर्ष 2015 से 2021 की समयावधि में ‘कवि कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय’ ने स्वखर्च से ये पुरस्कार प्रदान किए थे । इसके लिए खर्च की हुई 18 लाख 17 हजार 958 रुपए राशि वापस मिले, इसलिए इस विश्वविद्यालय ने अनेक बार अनुवर्ती प्रयास करने पर भी राज्य सरकार द्वारा अभी तक यह राशि नहीं दी गई है । इसके विपरीत उर्दू घर एवं उर्दू अकादमीके लिए वर्ष 2015 से राज्य सरकार ने 32 करोड 29 लाख 15 हजार रुपए अनुदान के रूप में दिए हैं । पिछले 9 वर्षों में उर्दू के लिए करोडो रुपए खर्च; परंतु संस्कृत भाषा के पुरस्कार के लिए प्रतिवर्ष आवश्यक डेढ लाख रुपए भी सरकार ने नहीं दिए, यह भेदभाव क्यों ? संस्कृत भाषा की यह उपेक्षा क्यों ?, ऐसा प्रश्न ‘सुराज्य अभियान’ द्वारा सरकार से पूछा गया है । 19 अगस्त को संस्कृतदिन है । इस वर्ष तो भी संस्कृतदिन के दिन संस्कृत पुरस्कारों के वर्ष 2015 से प्रलंबित अनुदान दिए जाएं तथा 2021 से प्रलंबित पुरस्कार न्यूनतम घोषित करें, ऐसी मांग सुराज्य अभियान के महाराष्ट्र समन्वयक श्री. अभिषेक मुरुकटे ने विश्वविद्यालय के कुलपति एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल मा. सी.पी. राधाकृष्णन को पत्र भेजकर की है ।
संस्कृत भाषा का प्रचार, प्रसार, अनुसंधान, प्रकाशन, अध्यापन एवं संस्कृत भाषा के विषय में अन्य उल्लेखनीय कार्य किए हुए मान्यवरों को महाराष्ट्र सरकार की ओर से ‘महाकवि कालिदास संस्कृत साधना’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है । ‘महाकवि कालिदास संस्कृत साधना’ पुरस्कार के अंतर्गत प्राचीन संस्कृत पंडित, वेदमूर्ति, संस्कृत शिक्षक, संस्कृत प्राध्यापक, संस्कृत कार्यकर्ता आदि 8 पुरस्कार महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रदान किए जाते हैं । इनमें प्रत्येक पुरस्कार हेतु 25 हजार रुपए दिए जाते हैं । पिछले 12 वर्षों में इस पुरस्कार की राशि में सरकार द्वारा १ रुपए की भी वृद्धि नहीं की गई हैं । इसके विपरीत उर्दू भाषा के लिए सरकार प्रतिवर्ष करोडों रुपयों का अनुदान देती है । यह अंतर क्यों ? ‘अनुदान की बकाया राशि मिले’, इसलिए कवि कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय ने सरकार से पत्र एवं दूरभाष द्वारा संपर्क कर अनेक बार अनुवर्ती प्रयास किए हैं । सुराज्य अभियान ने भी इस विषय में सरकार से सदैव अनुवर्ती प्रयास किए हैं; परंतु सरकार द्वारा कोई प्रतिसाद नहीं मिला । इसलिए हम राज्यपाल से पत्र भेज रहे हैं, ऐसा श्री. मुरुकटे ने कहा ।
12 वर्षों में संस्कृतदिन के दिन एक बार भी पुरस्कार नहीं !
महाराष्ट्र सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा इस पुरस्कार का वितरण किया जाता है । वर्ष 2012 में ‘महाकवि कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार’ के विषय में सरकार ने शासकीय आदेश दिया था । इसमें पुरस्कार ‘संस्कृतदिन पर’ अर्थात ‘श्रावण पूर्णिमा’ के दिन दिया जाए, ऐसा स्पष्टता से कहा गया है । प्रत्यक्ष में वर्ष 2013 से अर्थात पिछले 12 वर्षों में एकबार भी यह पुरस्कार संस्कृतदिन के दिन दिया नहीं गया है, जबकि वर्ष 2015 से 2021 की समयावधि के पुरस्कार वर्ष 2021 में एक ही समय दिए गए थे ।
‘संस्कृत’ भाषा ने भारत को ही नहीं, अपितु विश्व को अध्यात्म, संस्कृति, आयुर्वेद, साहित्य, कला आदि की अमूल्य धरोहर दी है । इस विषय में कृतज्ञता संजोकर सरकार, संस्कृत भाषा के पुरस्कारों में सम्मानजनक वृद्धि करे, साथ ही यह पुरस्कार नियोजित समय में दिया जाए, इस संदर्भ में भी राज्यपाल से विनति की गई है ।