सर्वोच्च न्यायालय ने कोलकाता रेप मर्डर मामले पर सख्त रुख अपनाया है। मंगलवार (20 अगस्त) को सर्वोच्च न्यायालय ने ममता सरकार और राज्य पुलिस से कड़े सवाल किए। इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई से भी स्टेटर रिपोर्ट मांगी है। बता दें कि इस मामले पर अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने कीं ये कड़ी टिप्पणियां…
- सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने कहा कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ जानवरों जैसा कृत्य हुआ।
- हम एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन कर रहे हैं। इस फोर्स का काम होगा कि ये अस्पतालों के हालात और डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर अध्यय करें और इसके सुझाव हमको दें। साफतौर पर एक टास्क फोर्स का गठन कर दिया गया है।
- मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘परिवार को शाम 8:30 बजे शव मिला और रात 11:45 पर पिता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई। अस्पताल क्या कर रहा था?’
- मौजूदा मामले में एफआईआर में देरी क्यों हुई ?
- शुरुआत में आत्महत्या बनाने की कोशिश क्यों हुई ?
- परिवार को पीडिता से मिलाने में देरी क्यों ?
- शव परिजनों को सौंपने के घंटो बाद एफआईआर क्यों ?
- अस्पतालों में सीसीटीवी काम क्यों नहीं कर रहे है ?
- महिला डॉक्टरों की सुरक्षा ना देना उन्हें संवैधानिक अधिकार से वंचित करने जैसा।
- क्या अस्पताल के बाहर पुलिस चौकी है?
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सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार से किए कई सवाल
सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से अस्पताल के प्रिंसिपल के कंडक्ट को लेकर सवाल किया साथ ही केस दर्ज करने में देरी को लेकर सवाल किया और जिस तरह से अस्पताल में तोड़फोड़ मचाई कई और क्राइम सीन को प्रभावित किया गया उसको लेकर तमाम सवाल सर्वोच्च न्यायालय ने उठाए। सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात को लेकर भी गंभीर चिंता जाहिर की है कि विक्टिम के नाम, फोटोग्राफ और वीडियो क्लिप और डेड बॉडी को मीडिया में दिखाया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह बेहद गंभीर चिंता का मसला है। इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले ही फोटोग्राफ लिए गए थे और उसे सर्कुलेट कर दिया गया।चीफ जस्टिस ने कहा कि जब अपराध के बारे में जानकारी सुबह के समय ही हो गई थी। अस्पताल के प्रिंसिपल ने इस घटना को आत्महत्या बताने की कोशिश की। यहां तक कि पेरेंट्स को विक्टिम की बॉडी तक देखने के लिए कुछ घंटे इंतजार करना पड़ा। सिब्बल ने तक कहा कि इस तरह की जानकारी गलत फैलाई गई है। राज्य सरकार रेकॉर्ड पर सही तथ्यों की जानकारी पेश करेगी।
चीफ जस्टिस ने इस पर सवाल किया कि प्रिंसिपल ने जब केजी कर अस्पताल से इस्तीफा दिया तो उन्हें किसी और अस्पताल में कैसे चार्ज दिया गया? बेंच ने केस दर्ज करने के टाइमिंग पर भी सवाल किया। सिब्बल ने कहा कि अप्राकृतिक मौत के बारे में तुरंत केस दर्ज कर लिया गया था। एफआईआर दर्ज करने में कोई देरी नहीं हुई। चीफ जस्टिस ने तब सवाल किया कि ऑटोप्सी उसी दिन एक बजे दोपहर से लेकर पौने पांच बजे तक चली। डेड बॉडी पेरेंट्स को रात 8.30 बजे दी गई और केस रात के पौने बारह बजे दर्ज किया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि रात पौने बारह बजे केस दर्ज किया गया? शिकायती कौन था? सिब्बल ने कहा कि पैरेंट्स की शिकायत पर केस दर्ज हुआ। चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या अस्पताल में कोई नहीं था जो केस दर्ज करवाता। डॉक्टर अस्पताल में थी और अस्पताल अथॉरिटी की जिम्मेदारी बनती है।
स्रोत : नवभारत टाइम्स