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वाहनों की ‘हेडलाइट’ में नियमविरुद्ध परिवर्तन करने वालों पर कार्रवाई के राज्य के सभी परिवहन अधिकारियों को आदेश

सुराज्य अभियान’ की शिकायत का परिणाम

वाहनों की हेडलाइट की रोशनी कैसी होनी चाहिए? इस संबंध में ‘केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989’ के तहत मानक निर्धारित किए गए हैं। इन मानकों को नजरअंदाज कर कुछ वाहन चालक अपनी गाड़ियों की हेडलाइट में ऐसी लाइट लगाते हैं, जो आँखों के लिए हानिकारक होती है। ऐसी हानिकारक प्रकाश किरणों के कारण राज्य में कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कुछ लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है। इस गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, सुराज्य अभियान ने राज्य के परिवहन आयुक्त के पास शिकायत दर्ज की थी। इस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए 23 अगस्त को परिवहन आयुक्त ने इस मामले में कार्रवाई कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश राज्य के सभी क्षेत्रीय और उपक्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को दिया है, यह जानकारी हिंदू जनजागृति समिति के ‘सुराज्य अभियान’ के महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. अभिषेक मुरुकटे ने दी है।

वाहन चलाते समय चालक की आँखें सामने के वाहन की हेडलाइट की रोशनी से प्रभावित न हों, इसके लिए ‘केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989’ के अंतर्गत केंद्र सरकार ने वर्ष 2005 में सुरक्षा मानकों में आवश्यक सुधार किए हैं। सुराज्य अभियान के ध्यान में आया कि इन नियमों के अनुसार कार्रवाई नहीं हो रही थी, इसलिए परिवहन आयुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई गई थी। इस शिकायत के आधार पर परिवहन आयुक्त ने आदेश जारी किए हैं। उन्होंने राज्य के सभी क्षेत्रीय और उपक्षेत्रीय अधिकारियों को एक परिपत्रक के माध्यम से सूचित किया है कि हेडलाइट में नियमविरुद्ध परिवर्तन करने वाले वाहनों की जांच कर दोषी वाहन चालकों पर कार्रवाई की जाए और इसके बारे में जनजागृति भी की जाए, ऐसा श्री. मुरुकटे ने कहा।

वास्तविक कार्रवाई हो, नहीं तो हम न्यायालय का रुख करेंगे!

दरअसल, मोटर वाहन कानून में दोषियों पर कार्रवाई के प्रावधान होने के बावजूद, परिवहन विभाग गंभीरता से कार्रवाई नहीं कर रहा है, यह देख कर हमें परिवहन आयुक्त के पास शिकायत दर्ज करनी पड़ी। परिवहन आयुक्त ने क्षेत्रीय और उपक्षेत्रीय अधिकारियों को सिर्फ आदेश देकर न रुकें, बल्कि इस मामले में वास्तव में कार्रवाई हो रही है या नहीं, इस पर गंभीरता से ध्यान दें। इससे राज्य में कई लोगों की जान बच सकती है। अगर इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो हमें इस मामले में न्यायालय का जाना पड़ेगा, ऐसी श्री. अभिषेक मुरुकटे ने चेतावनी दी है।

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