वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच कर रही संसदीय समिति को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने शुक्रवार को 120 से अधिक स्मारकों की सूची पेश की। एएसआई ने कहा कि, स्मारक उनके संरक्षण में हैं, लेकिन विभिन्न राज्य वक्फ बोर्ड स्मारकों पर अपना दावा करते हैं। विपक्षी सदस्यों ने एएसआई की दलील की आलोचना की कि मुस्लिम निकाय किसी भी संपत्ति पर अपना दावा कर सकते हैं। बताया जाता है कि, बैठक के पहले सत्र में विपक्ष और भाजपा के कुछ सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई। इस दौरान एएसआई को दोनों पक्षों की ओर से तीखे सवालों का सामना करना पड़ा।
The Archaeological Survey of India (ASI) on Friday lent its support to New Waqf bill at the third meeting of the joint committee examining the draft legislation, says
Over 120 protected historical monuments illegaly claimed by Controversial Waqf Boardhttps://t.co/CkfzZY4zOy pic.twitter.com/mzn9M3iXPG
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) September 7, 2024
संस्कृति मंत्रालय ने इसमें दावा किया है कि, वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर स्वामित्व घोषित कर सकता है। एएसआई संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करता है। एएसआई ने अपनी प्रस्तुति में 53 स्मारकों की सूची दी, जिन पर वक्फ अपना दावा करता है। इनमें से कुछ को देश की आजादी से पहले का इतिहास रखने वाले एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने के लगभग एक सदी बाद वक्फ की संपत्ति घोषित किया गया।
सूची में महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित निजाम शासक अहमद शाह की कब्र को शामिल किया गया। इसे एएसआई ने 1909 में संरक्षित स्मारक घोषित किया था, जबकि 2006 में इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया। जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया और इंटरफेथ कोलिशन फॉर पीस का प्रतिनिधित्व सैयद जफर महमूद ने किया। दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एवं एएमयू के पूर्व कुलपति जमीर उद्दीन शाह तथा पैकियम सैमुअल भी संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए।
तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड भी समिति के सामने पेश हुआ। एएसआई ने कहा कि विभिन्न वक्फ निकायों ने उसके स्मारकों पर अतिक्रमण किया है और मदरसा-शौचालय जैसे निर्माण किए हैं। इसका कुछ विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया कि और कहा कि ये सुविधाएं मुसलमानों के इबादत स्थलों में मौजूद होनी चाहिए।
बताया जाता है कि एक विपक्षी सांसद ने एएसआई पर आरोप लगाया कि अकेले दिल्ली में 172 वक्फ संपत्तियों पर उसका कब्जा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सर्वेक्षण निकाय का अधिनियम उसे किसी भी स्मारक के धार्मिक चरित्र को बदलने की अनुमति नहीं देता। सांसद ने यह भी आरोप लगाया कि हिंदू धार्मिक स्थानों के मामले में एएसआई का रवैया कुछ और है।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में संसद की संयुक्त समिति की बैठक में भाग लेने वाले सांसदों में भाजपा के निशिकांत दुबे, बृजलाल, तेजस्वी सूर्या और संजय जायसवाल, कांग्रेस के गौरव गोगोई, मोहम्मद जावेद, सैयद नसीर हुसैन और इमरान मसूद, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह मौजूद रहे।
स्रोत : अमर उजाला