Menu Close

उत्तराखंड के कई गांवों में मुस्लिमों का प्रवेश प्रतिबंध, ग्रामीणों ने बोर्ड लगा कर जारी की चेतावनी

घर की इज्जत बचाने के लिए निर्णय, विरोध में उतरे वामपंथी-इस्लामी

उत्तराखंड के कई गांवों में ग्रामीणों ने लगाए मुस्लिमों की नो प्रवेश वाले बोर्ड

उत्तराखंड के कुछ गांवों में स्थानीय निवासियों ने मुस्लिमों का प्रवेश प्रतिबंध करने का फैसला किया है। तमाम ग्रामीणों ने एकमत हो कर गांव के बाहर इस आशय का बोर्ड लगा दिया है। बोर्ड में मुस्लिम फेरीवालों को गांव में न घुसने की हिदायत दी गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर कोई बाहरी मुस्लिम वहाँ सामान बेचने आया तो उस से जुर्माना वसूला जाएगा। रविवार (8 सितंबर, 2024) से यह बोर्ड सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालाँकि स्थानीय निवासियों ने अपनी सफाई में इसे सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया निर्णय बताया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चमोली जिले के नंदप्रयाग इलाके में एक नाबालिग हिन्दू लड़की से मुस्लिम समुदाय के सैलून संचालक द्वारा की गई अश्लील हरकतों के बाद लोगों में काफी गुस्सा है। अब हिन्दू संगठनों की पहल पर गांव स्तर पर लोगों ने बाहर से आने वाले मुस्लिमों का प्रवेश प्रतिबंध करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय का सबसे ज्यादा असर रुद्रप्रयाग जिले में देखा जा सकता है। यहाँ के ग्रामसभा गौरीकुंड, त्रियुगीनारायण, मेखंडा, शेरसी और नयालसू आदि में ग्रामीणों ने गांव के बाहर बड़े-बड़े बोर्ड लगा कर चेतावनी जारी कर दी है।

इस बोर्ड में लाल रंग से मोटे शब्दों में हेडलाइन के तौर पर ‘चेतावनी’ लिखा हुआ है। इसके बाद गौरीकुंड ग्रामसभा के बोर्ड में लिखा, “गैर हिन्दू/रोहिंग्या मुसलमानों व फेरी वालों का गांव में व्यापार करना/घूमना वर्जित है। अगर गांव में कहीं भी मिलता है तो दंडात्मक व कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” इस बोर्ड में आदेश समूची ग्रामसभा द्वारा लिया जाना बताया गया है। बहरी व्यक्तियों को हिदायत देता लगभग यही बोर्ड न्यालसू, मेखंडा, त्रियुगीनारायण और शेरसी आदि ग्रामसभाओं में भी लगाया गया है।

बताया जा रहा है कि बोर्ड पर दी गई हिदायत का उल्लंघन करने वालों पर ग्रामीणों की तरफ से 5000 रुपए के जुर्माने का भी एलान किया गया है। ग्रामीणों की इस पहल का कई इस्लामी और वामपंथी हैंडलों द्वारा विरोध किया जा रहा है। आए दिन हिन्दू विरोधी पोस्ट करने वाले अली त्यागी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माँग की है कि वो बोर्ड लगाने वालों पर कार्रवाई करें। हालाँकि, ग्रामीणों ने मीडिया से बात करते हुए यह बोर्ड लगाने के पीछे की वजह स्पष्ट कर दी है।

गांव शेरसी के एक स्थानीय निवासी ने राजसत्ता पोस्ट से बताया कि अधिकतर समय गांव के पुरुष घरों के बाहर रह कर विभिन्न शहरों में कमाई करने चले जाते हैं जिसके बाद घरों में सिर्फ महिलाएं रह जाती है। स्थानीय निवासी ने आगे कहा, “जिनका सत्यापन नहीं है वो गांव में जाते हैं। उनके पास कोई परिचय पत्र नहीं है। घरों में महिलाएँ हैं। गांव में हमारे मंदिर है जिसमें कभी ताले नहीं लगते। पूर्व में भी हमारे मंदिर में चोरी हुई है।”

गोंडाल में और स्थानीय गढ़वाल ज्वेलर्स की दुकान में ताला तोड़ कर हुई चोरी का उदहारण भी ग्रामीण द्वारा दिया गया। स्थानीय निवासी ने आगे बताया कि ऐसी घटनाओं के चलते लोग सचेत हुए हैं। बोर्ड को ग्रामीण ने जागरूकता के लिए लगा बताया है। बताया गया कि लोगों को समझाया गया है कि बिना पहचान पत्र के दिखने वाले किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ कर पुलिस के हवाले करें। ग्रामीणों ने इसे सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया सामूहिक निर्णय बताया है।

स्त्रोत: ऑप इंडिया

Related News