इस्लामी कट्टरपंथियों ने फेंके पत्थर, तलवार दिखा लगाई आग
कर्नाटक के मांड्या जिले के नागमंगला कस्बे से गणपति विसर्जन के दौरान पथराव की घटना सामने आई है। 11 सितंबर 2024 की रात हुई इस पत्थरबाजी के बाद इलाके में तनाव फैल गया। दो पक्ष आमने-सामने आ गए। झडप हुई, दुकानों और वाहनों में आग लगा दी गई। पुलिस ने हालात संभालने के लिए इलाके में कुछ प्रतिबंध लगाए। साथ ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू कर दी। अब पूरा क्षेत्र हाई अलर्ट पर है।
मीडिया में सूत्रों के हवाले से दी जा रही खबर के अनुसार, घटना तब हुई जब बदरीकोप्पलु गांव के युवक कस्बे में गणेश प्रतिमा विसर्जन यात्रा निकाल रहे थे। यात्रा जैसे ही एक दरगाह के पास पहुंचकर सड़क पार करने वाला था, तभी मैसूर रोड पर यात्रा निकालने को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। इस विवाद को देखते हुए उपद्रवियों ने यात्रा के ऊपर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके अलावा लोगों को हथियार भी दिखाए गए।
पुलिस ने घटना की सूचना होते ही भीड़ को इधर-उधर किया। हालाँकि विसर्जन के बीच भड़की इस तरह की हिंसा को देखते हुए यात्रा में शामिल लोगों ने पुलिस थाने के सामने गणेश मूर्ति रख दी और न्याय की मांग करने लगे। इस बीच कुछ जगह दुकानों को जलाने और टायर फूँककर आक्रोश दिखाने भी खबरें मीडिया में आई हैं।
टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में मांड्या के एसपी मल्लिकार्जुन बालडंडी ने बताया- मस्जिद के सामने यात्रा के पहुँचने के बाद बहस हुई। पुलिस ने मामले में हस्तक्षेप किया। जरूरत पड़ने पर लाठीचार्ज की। कुछ लोग थाने के सामने आ गए और विरोध करने लगे। सड़क पर खड़ी 4-5 बाइकों में आग भी लगाई गई। अब स्थिति नियंत्रण में हैं। इलाके में दमकल गाड़ियाँ और पुलिसकर्मी तैनात हैं।
वहीं केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इस हिंसा के लिए कॉन्ग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस राज्य में एक समुदाय के तुष्टिकरण के कारण ये सब हुआ। उन्होंने इस घटना को शांति और व्यवस्था के विरुद्ध हुई घटना बताया।
उन्होंने कहा कि जब गणपति विसर्जन के समय लोग आराम से यात्रा निकाल रहे थे तो पत्थर और चप्पल पहनने की जरूरत क्या थी। क्या जरूरत थी पेट्रोल बम फोड़ने की, तलवार दिखाने की। वहीं भाजपा नेता सीटी रवि ने इस मामले को पत्थर आतंकवाद का नाम दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का इलाज को सिर्फ यूपी सरकार वाले अंदाज में होना चाहिए।
बता दें कि कर्नाटक के मांड्या से पहले भी गणपति विसर्जन के दौरान हिंसा की घटनाएँ घटी। गुजरात के सूरत में भी पंडाल पर मुस्लिम नाबालिगों ने पथराव किया था। इसके अलावा लखनऊ में भी इस्लामी भीड़ने अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाते हुए पंडाल पर अटैक किया था। वहीं वडोदरा में भी गणेश पंडाल का विरोध करते हुए मुस्लिमों ने अपने घर के बाहर अरबी झंडे लगा लिए थे। इसके अलावा कच्छ में भी भगवान गणेश की प्रतिमा पर हमला हुआ था। वहीं भरूच में भी गणेश चतुर्थी के मौके पर मजहबी झंडे लगाने को लेकर बवाल हुआ था।
स्रोत : ऑपइंडिया