देवीमां की सीख प्रत्येक माता अपनी बेटी को दे ! – श्रीमती क्षितिजा देशपांडे
नवरात्रि में देवी ने केवल नौ दिन ही नहीं, अपितु नौ रात्र असुरों से युद्ध किया । यह सीख प्रत्येक मां ने अपनी बेटी को देनी चाहिए । आज की युवा पीढी पाश्चात्त्यों समान ‘डे’ मनाने में व्यस्त है; परंतु अपने धर्म में एकत्र कुटुंबपद्धति होने से हमें पाश्चात्त्यों समान माता-पिता के लिए अलग दिन नहीं निकालना पडता, अपितु जीवनभर उनकी सेवा करनी है । हमारी संस्कृति यही हमें सिखाती है । इसलिए ऐसे ‘डे’ मनाने की आवश्यकता नहीं । स्त्रियों को उपभोग की वस्तु के रूप में न देखते हुए आदर और नम्रता से देखनेवाला समाज यदि हमें निर्माण करना है, तो अपने आचरण में परिवर्तन करना चाहिए । ऐसा मार्गदर्शन तायक्वांदो प्रशिक्षित श्रीमती क्षितिजा देशपांडे ने किया । वे जलगांव में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित शौर्यजागृति प्रशिक्षण शिविर में बोल रही थीं । गत अनेक दिनों से देशभर में युवतियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ रही हैं । इसी पार्श्वभूमि पर हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से स्वसंरक्षणार्थ ‘शौर्यजागृति प्रशिक्षण शिविर’ आयोजित किया गया था । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से स्वसंरक्षणार्थ ‘शौर्यजागृति प्रशिक्षण शिविर’ जलगांव जिले के महाबल परिसर में आयोजित किया गया था ।
शिविर से स्वरक्षा के लिए कराटे के प्रकार और स्वयं को छुडवाने की कुछ युक्तियां युवतियों को सिखाई गईं । इस कार्यक्रम में उपस्थित १०० से अधिक युवतियों ने निर्धार किया कि ‘अब रोना नहीं है, अपितु लडना है’ । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति प्रणीत रणरागिनी शाखा की रणरागिनियों ने विविध विषयों पर युवतियों को संबोधित किया ।
सम्मिलित युवतियों के अभिप्राय !
‘‘वर्तमान की घटनाओं के कारण हम सभी जो क्षात्रावास में रहते हैं और हमारे माता-पिता व सगे-संबंधियों को हमारी चिंता रहती है । शिविर के माध्यम से हममें अपनी रक्षा कर पाने का आत्मविश्वास निर्माण हुआ है । अब से होनेवाले प्रशिक्षणवर्गों में हम नियमित उपस्थित रहकर स्वरक्षा के लिए पूर्णरूप से सक्षम बनेंगे ।’’