सरकार को सबसे पहले मदरसों को मिलने वाली सब्सिडी बंद करनी चाहिए और उन पर ताला लगाना चाहिए ! – संपादक
नई देहली – मदरसे अच्छी शिक्षा के लिए गलत जगह हैं। मदरसों का संचालन मनमाने ढंग से होता है। मदरसे संवैधानिक आदेश, शिक्षा का अधिकार अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम २०१५ का उल्लंघन कर रहे हैं। मदरसा शिक्षा बोर्ड को शैक्षिक प्राधिकरण नहीं माना जाना चाहिए। वह बोर्ड केवल एक जांच संस्था है और उसमें समान क्षमता है। इस शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा एन.सी.ई.आर.टी.और एस. सी.ई.आर.टी.द्वारा बनाई गई विवरणिका के बिल्कुल खिलाफ हैं । इसलिए मदरसों में पढ़ने वाले छात्र शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं । राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में साफ कहा है कि उन्हें उचित शिक्षा नहीं मिल रही है ।
Madr@ss@s are not the right place for providing quality education – @NCPCR_ to the Supreme Court
The Government should first stop grants to Madr@ss@s and shut them down.@KanoongoPriyank #RTE #SupremeCourtOfIndia #WaqfAmendmentBill_2024 pic.twitter.com/7zqGVfilvC
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) September 13, 2024
मदरसे छात्रों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करते हैं।
अंजुम कादरी ने उत्तर प्रदेश में मदरसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया है । २२ मार्च २०२४ को उस दिन, इलाहबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, २००४ के प्रावधानों को निरस्त करने का आदेश दिया था।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी । सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से लिखित बयान देने को कहा था । तदनुसार, आयोग ने मदरसों में शिक्षा के संबंध में एक लिखित बयान प्रस्तुत किया है।
शिक्षा के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन
इस समय, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि मदरसे बच्चों के शिक्षा के मौलिक संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं। वहां केवल धार्मिक शिक्षा दी जाती है । मदरसे शिक्षा के मौलिक अधिकार २००९ या किसी अन्य लागू कानून की आवश्यकताओं और प्रावधानों का पालन नहीं करते हैं। मदरसे उचित शिक्षा पाने की गलत जगह हैं। वे शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा १९,२१,२२,२३, २४,२५ और २९ का उल्लंघन करके छात्रों को उनके अधिकारों से वंचित करते हैं। मदरसे शिक्षा का एक असंतोषजनक और अपर्याप्त मॉडल हैं। उनके पास उचित पाठ्यक्रम और कार्यप्रणाली का अभाव है ।
स्त्रोत: दैनिक सनातन प्रभात