भाविकों का बहते पानी में श्री गणेशमूर्ति के विसर्जन का झुकाव !
पुणे (महाराष्ट्र) – श्री गणेशचतुर्थी से अनंत चतुर्दशी, इन १० दिनों के श्रीगणेशोत्सव का समापन १७ सितंबर को श्रीगणेशमूर्ति के विसर्जन से हुआ । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से प्रति वर्ष समान इस बार भी एस्.एम्. जोशी पुल, ओंकारेश्वर पुल, इसके साथ ही वृद्धेश्वर सिद्धेश्वर घाट में श्री गणेशमूर्ति का बहते पानी में विसर्जन करने के लिए जनजागृति की । विविध प्रबोधनात्मक फलक हाथ में लेकर हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता तीनों विसर्जन घाटों पर थे । ये फलक श्रद्धालुओं का ध्यान आकृष्ट कर रहे थे ।
सकारात्मक प्रतिसाद
१. उपरोक्त तीनों घाटों पर हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता हाथ में प्रबोधनात्मक फलक लेकर खडे थे । श्रीगणेशभक्तों ने सकारात्मक प्रतिसाद दिया । उन्होंने कहा कि,‘फलकों पर जो लिखा है, वह एकदम योग्य है ।’
२. अनेक श्रद्धालु मूर्ति विसर्जन के समय कार्यकर्ताओं द्वारा हाथ में पकडे हुए फलक पढ रहे थे ।
३. एक धर्मप्रेमी ने कहा, ‘‘गत वर्ष हौद में श्रीगणेशमूर्ति का विसर्जन किया था; परंतु अगले दिन जब हमने आकर देखा तो गणपति की मूर्ति भग्नावस्था में थी । यह देखकर हमें बहुत बुरा लगा । इसलिए इस वर्ष हमने धर्मशास्त्रानुसार बहते पानी में गणेशमूर्ति का विसर्जन किया है !’
महापालिका की धर्मद्रोही नीतियों के उपरांत भी श्रद्धालुओं का झुकाव बहते पानी में ही मूर्ति का विसर्जन की ओर ही था । तीनों घाटों पर ऐसी ही स्थिति देखने मिली ।
विसर्जन के विषय में महापालिका प्रशासन की उदासीनता
१. एस्.एम्. जोशी पुल पर श्रद्धालु नदी में श्रीगणेशमूर्ति विसर्जित न करें, इसलिए नदी की ओर जानेवाले मार्ग पर लाईट की व्यवस्था नहीं की थी ।
२. नदीतक जानेवाला मार्ग बांस और पर्दा लगाकर बंद कर दिया गया; फिर भी श्रद्धालु छोटी-सी जगह से नदी तक पहुंचे और नदी में ही श्रीगणेशमूर्ति विसर्जित की ।
३. महापालिका द्वारा श्रीगणेशमूर्ति का पूजन करने के लिए केवल विसर्जन हौदों पर पटल (टेबल) की व्यवस्था की थी । नदी तक जानेवाले रास्ते पर आरती और पूजन करने के लिए कोई भी व्यवस्था न होने से भक्तों को श्रीगणेशमूर्ति नीचे रखकर पूजन करना पड रहा था । ओंकारेश्वर पुल पर महापालिका के कर्मचारी दादागिरी करते हुए कह रहे थे कि ‘यदि हौद में गणेशमूर्ति का विसर्जन नहीं करना है, तो घाट पर जाकर कहीं भी मूर्ति रखकर उसका पूजन करो । विसर्जन हौद के निकट रखे पटल पर नहीं करना है ।’
४. महापालिका प्रशासन की ओर से उद्घोषणा दी गई कि ‘खडकवासला बांध से मुठा नदी में पानी का विसर्ग किए जाने से नागरिक श्रीगणेशमूर्ति का विसर्जन नदी में न करते हुए घाटों पर रखे हौदों में करें !’,
पिंपरी -चिंचवड महापालिका की धर्मद्रोही कृति !
पिंपरी चिंचवड – यहां अधिकतर सभी स्थानों पर कृत्रिम हौद में विसर्जन किए बिना अन्य पर्याय उपलब्ध न होने से श्रीगणेशभक्तों को आखिर हौदों में ही श्रीगणेशमूर्ति का विसर्जन करना पड रहा था । बिरला घाट, जिजाऊ पर्यटन केंद्र विसर्जन घाट, वालेकर वाडी के घाट, श्रीगणेश तालाब प्राधिकरण, केशवनगर चिंचवड, मोरया घाट चिंचवड के साथ ही ऐसे अनेक घाटों पर नदीपात्र में श्रीगणेशमूर्ति का विसर्जन करने पर प्रतिबंध था । संपूर्ण घाट बंबू, लोहे की पाईप लगाकर बंद करने के साथ ही वहां पर पुलिस बंदोबस्त होने से कोई भी श्रद्धालु नदी में मूर्ति का विसर्जन नहीं कर पाया । सभी घाटों पर श्रद्धालुओं की बहुत भीड थी; परंतु उससे भी अधिक भीड विविध प्रतिष्ठानों के कार्यकर्ताओं की थी । इनमें निर्माल्य जमा करना, हौद में तीन बार डुबाने के पश्चात तुरंत ही मूर्ति ले लेना, इसके लिए मानो होड सी लगी थी ।
भोले-भाले श्रद्धालुओं को इस प्रकार विसर्जन करने के लिए बाध्य करने के लिए पिंपरी-चिंचवड महापालिका के धर्मद्रोही कत्य चर्चा का विषय बन गया है ।