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कर्नाटक में अब आंगनबाडी शिक्षकों के लिए कन्नड के साथ उर्दू अनिवार्य

भाजपा ने लगाया तुष्टिकरण का आरोप

कर्नाटक के चिकमंगलुरू जिले के भीतर आँगनबाड़ी शिक्षक बनने के लिए उर्दू जानना जरूरी कर दिया गया है, यह आरोप भाजपा ने राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार पर लगाया है। भाजपा ने कहा है कि कॉन्ग्रेस में निजाम की आत्मा घुस गई है क्योंकि वह भी कन्नड़ के विरुद्ध था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कॉन्ग्रेस सरकार ने हाल ही में एक आदेश में कहा है कि चिकमंगलुरु जिले के मुडिगिरी में आँगनबाड़ी में शिक्षक पद पर आवेदन करने वालों को उर्दू जरूर आनी चाहिए। यह आदेश राज्य के महिला और बाल कल्याण एवं विकास विभाग (DCW) ने दिया है।

विभाग ने कहा कि जिस इलाके में स्थानीय जनसंख्या में अल्पसंख्यकों का हिस्सा 25% से अधिक है वहां शिक्षकों को कन्नड़ के साथ ही अल्पसंख्यकों की भाषा जाननी होगी। मुडिगिरी में मुस्लिम जनसंख्या 31% है इसलिए यहाँ उर्दू जानने वाले शिक्षकों की भर्ती करने का निर्णय लिया गया है। कॉन्ग्रेस इस निर्णय के बाद बैकफुट पर है।

भाजपा कॉन्ग्रेस पर इस निर्णय के बाद तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है। भाजपा ने इस फैसले पर कहा, “कन्नड़ जमीन पर उर्दू का बोलबाला है, कॉन्ग्रेस सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने चिकमंगलूर जिले के मुडिगिरी में आँगनबाड़ी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उर्दू अनिवार्य करने के लिए आधिकारिक आदेश जारी किया है। सीएम सिद्दारमैया और मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर इस बात को जान लीजिए, मुडिगिरी कर्नाटक में है, कन्नड़ कर्नाटक की आधिकारिक भाषा है, तब आखिर उर्दू अनिवार्य क्यों है, जवाब दीजिए।”

भाजपा नेता CT रवि ने इस पर कहा, “निजाम ने भी हैदरबाद और कर्नाटक में कन्नड़ पढ़ाने पर रोक लगा दी थी और उर्दू को बढ़ावा देने का प्रयास किया था, अब कॉन्ग्रेस में निजाम की आत्मा घुस गई है। टीपू सुल्तान ने भी यहाँ फ़ारसी भाषा थोपने की कोशिश की थी। आज कॉन्ग्रेस टीपू और निजाम के सपने को पूरा करने में लगी है।”

स्रोत : ऑप इंडिया

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