Menu Close

‘हवस का पुजारी’ जैसे शब्दों का उपयोग क्यों ? हवस के पादरी अथवा मौलाना क्यों नहीं ? – पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री

छतरपुर (मध्य प्रदेश) – बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने कहा कि वासना का पुजारी’ क्यों कहा जाता है ? इसे वासना का पादरी अथवा मौलाना क्यों नहीं कहा जाता ?’ उनके इस वक्तव्य के पश्चात कुछ नास्तिकों ने उनकी आलोचना की ।

पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने कहा,

१. सनातन धर्म में पुजारी का पद बहुत महत्वपूर्ण है । उन्हें ‘वासना का पुजारी’ कहकर लक्ष्य बनाया जा रहा है ।

२. हिन्दू अपने धर्म के रीति-रिवाजों का उपहास करते हैं; लेकिन अन्य धर्मों को ऐसा करते कभी नहीं देखा गया । मुसलमान कभी भी अपने मौलवियों का अनादर नहीं करते । जबकि, हिन्दू संतों तथा तीर्थस्थलों का तिरस्कार करते हैं ।

३. कई हिन्दू हिन्दू धार्मिक गुरुओं द्वारा संचालित संप्रदायों अथवा मंदिरों को ‘विधर्मियों की दुकानें’ मानते हैं ।

४. हमें अपने धर्म में बताई गई परंपराओं का पालन करना चाहिए । यही परंपरा हमारी पहचान है । इनका संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है ।

५. मैंने किसी भी धर्म के विरुद्ध कुछ नहीं कहा है ।’ ‘इसे वासना का मौलवी क्यों नहीं कहा जाता ?’ एक मौलवी ने इस प्रश्न पर आपत्ति जताई । फिर मैंने उन्हें उत्तर दिया । सभी पुजारी ग़लत नहीं हैं । तो प्रत्येक को लक्ष्य क्यों बनाया जाता है ?

स्रोत : हिंदी सनातन प्रभात

Related News