तमिलनाडु सरकार से हिंदू जनजागृति समिति का सवाल
मद्रास उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका की सुनवाई के बाद, सद्गुरु जग्गी वासुदेव के कोयंबटूर स्थित ‘ईशा फाउंडेशन’ के आश्रम में पुलिस ने छापा मारा। दो वयस्क लड़कियों द्वारा संन्यास लेने के कारण उनके पिता ने ‘हैबियस कॉर्पस’ केस दायर किया था। इस मामले में तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने लगभग 150 पुलिसकर्मियों का दस्ता आश्रम भेजा। सिर्फ इसलिए कि किसी लड़की ने संन्यास लिया, क्या इतनी बड़ी पुलिस कार्रवाई आवश्यक थी? जिस तरह से इस मामले में पूरे आश्रम की जांच की गई, क्या कभी किसी चर्च और मदरसे में छापा मारकर स्टालिन सरकार ने ऐसा किया है, ऐसा सवाल हिंदू जनजागृति समिति ने उठाया है। तमिलनाडु की ‘स्टालिन सरकार’ सनातन धर्म विरोधी है, इसी कारण ऐसी कार्रवाई की गई। हिंदू बहुल देश में हिंदू आश्रमों पर संन्यास लेने के कारण छापा मारा जाता है, यह बेहद निंदनीय है, और हिंदू जनजागृति समिति इस घटना की कड़ी निंदा करती है।
When will the #DMK led Stalin Govt raid churches & madarasas on the same lines as raids conducted on #IshaFoundation ? – @sgn_hjs@HinduJagrutiOrg condemns the action of TN Police as an attempt to tarnish the image of the ashram & appeals to Central Govt to initiate an enquiry pic.twitter.com/c33Sd7gee3
— HJS Karnataka (@HJSKarnataka) October 3, 2024
सद्गुरु जग्गी वासुदेव और उनकी ‘ईशा फाउंडेशन’ सामाजिक, राष्ट्रीय और आध्यात्मिक क्षेत्र में बड़ा योगदान देकर भारत का नाम विश्वभर में उज्ज्वल कर रहे हैं। इस फाउंडेशन द्वारा देशभर में समाजहित के लिए कई उपक्रम चलाए जाते हैं। ऐसी संस्थाओं पर जैसे कि वे आतंकी ठिकाने हों, इस तरह छापे मारे जाते हैं, यह संदेहास्पद है और यह हिंदू संस्थाओं की समाज में जानबूझकर बदनामी करने का प्रयास है, समिति ने ऐसा कहा है।
हाल ही में 14 साल की लड़की पर लगभग दो साल तक अत्याचार करने वाले रघुराजकुमार नामक पादरी पर पोक्सो अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज होने के बावजूद, तमिलनाडु पुलिस ने एक महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की, और वह पादरी फरार हो गया। एक तरफ नाबालिग लड़की पर दो साल तक अत्याचार के बावजूद पुलिस की उदासीनता, और दूसरी तरफ एक वयस्क लड़की द्वारा स्वेच्छा से संन्यास लेने पर 150 पुलिसकर्मियों का छापा! इससे तमिलनाडु सरकार का सनातन हिंदू धर्म के प्रति द्वेष और ईसाई तुष्टीकरण स्पष्ट होता है। इसके साथ ही ‘साइरो मलनकारा कैथोलिक चर्च’ के पादरी बेनेडिक्ट अंटो पर महिलाओं के साथ अत्याचार करने का आरोप भी लगा था। तमिलनाडु में ईसाई पादरियों द्वारा महिलाओं का यौन शोषण करने की कई घटनाएं सामने आई हैं; लेकिन तमिलनाडु सरकार ने ऐसे कितने चर्चों पर छापे मारे हैं? सनातन धर्म को डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारी की उपमा देकर सनातन धर्म को खत्म करने की बात करने वाली तमिलनाडु की स्टालिन सरकार और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डी.एम.के.) से और क्या उम्मीद की जा सकती है? इसलिए ईशा फाउंडेशन पर की गई इस द्वेषपूर्ण कार्रवाई की केंद्र सरकार से जांच कराने की मांग भी समिति ने की है।