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बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के डर से इस वर्ष दुर्गा पूजा मंडपों की संख्या १००० से भी कम

कम से कम १० स्थानों पर देवी प्रतिमाओं का अपमान, लेकिन कार्यवाही में उदासीनता!

ढाका (बांग्लादेश) – ‘शुभो महालया’ (सर्वपितृ अमावस्या) के बाद बंगाली हिन्दुओं का सबसे बड़ा धार्मिक त्योहार दुर्गा पूजा ३ अक्टूबर को बांग्लादेश में शुरू हुआ। इस तरह महालया की रात ही कम से कम १० जगहों पर देवी दुर्गा की कई मूर्तियां तोड़ दी गईं । इसके विरुद्ध पुलिस की कार्यवाही में भी उदासीनता देखी गयी । हिन्दू डर के साये में दुर्गा पूजा उत्सव मना रहे हैं । ‘बांग्लादेश पूजा उत्सव समिति’ के अनुसार पिछले वर्ष ३२ सहस्र ४०८ मंडपों में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया था । हालांकि इस वर्ष यह आंकड़ा कम से कम १ सहस्र से भी कम बताया जा रहा है ।

१. इस संबंध में बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई ओइक्या परिषद के कार्यवाहक महासचिव मणींद्र कुमार नाथ ने कहा कि चट्टोग्राम, खुलना और ढाका जिलों में कई स्थानों पर दुर्गा पूजा मंडपों का आयोजन नहीं किया गया है। १०-१२ स्थानों पर मूर्तियों को खंडित किया गया। इसके बाद सरकार ने आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही में उदासीनता दिखाई ।

२. पिछले २ महीने से लगातार हो रहे हिन्दुओं पर हमले के बाद से हिन्दुओं में डर का माहौल है । फरीदपुर, बरगुना, गौनीपुर, किशोरगंज, नरेल, पावना तथा अन्य स्थानों पर मूर्तियाँ तोड़ी गईं। पिछले २ महीनों में कम से कम २ सहस्र १० जगहों पर हिन्दुओं पर हमले हुए हैं ।

३. चट्टोग्राम विश्वविद्यालय में संस्कृत के सहायक प्रोफेसर कुशल बरन चक्रवर्ती ने कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं कि इस वर्ष हमारे शहर में कम से कम १०० स्थानों पर दुर्गा पूजा का आयोजन नहीं किया जाएगा।”

४. हालाँकि सुरक्षा कारणों से हर जगह भय का माहौल है, फिर भी राजधानी ढाका मे दुर्गा माता के स्वागत के लिये रमना स्थित काली मंदिर से लेकर ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर, राजारबाग काली मंदिर, रामकृष्ण मिशन और सिद्धेश्वरी काली मंदिर में मूर्ति निर्माण सहित सजावट का काम चल रहा है ।

५. रमना कालीमंदिर के पुजारी हरिचंद चक्रवर्ती ने बताया कि ९ अक्टूबर को महाषष्ठी, १० अक्टूबर को महासप्तमी, ११ अक्टूबर को महाअष्टमी और १२ अक्टूबर को महानवमी मनाई जाएगी ।

स्रोत : हिंदी सनातन प्रभात

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