Menu Close

अहिल्यानगर के कनीफनाथ मंदिर की ४० एकड भूमि पर वक्फ बोर्ड का दावा

  • दावा है कि भूमि दरगाह की है !

  • वक्फ न्यायाधिकरण ने मंदिर ट्रस्ट एवं ग्राम पंचायत सदस्यों को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया!

कैसे कट्टरपंथी एवं वक्फ बोर्ड हिन्दू मंदिरों की भूमि निगल रहे हैं ? यही इससे दिख रहा है । हिन्दुओं को एकजुट होकर सरकार से वक्फ बोर्ड पर कार्यवाही करवाने का प्रयास करना होगा ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति

अहिल्यानगर – यहां राहुरी तालुका के मौजे गुहा में श्री कनीफनाथ मंदिर की ४० एकड़ भूमि को लेकर वक्फ बोर्ड तथा मंदिर संस्थान के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। वक्फ बोर्ड का दावा है कि यह भूमि एक दरगाह की है और वर्ष २००५ में वक्फ अधिनियम के तहत पंजीकृत थी। ‘कनीफनाथ मंदिर ट्रस्ट’ का दावा है कि उनके पास इस जमीन पर ब्रिटिश काल के पूर्व स्वामित्व साबित करने के लिए ऐतिहासिक कागज हैं। कनीफनाथ मंदिर को तोड़कर दरगाह में बदलने के प्रयासों से विवाद और गरमा गया है । मामला वक्फ न्यायाधिकरण को भेजा गया। उन्होंने कनीफनाथ मंदिर के डिजाइन में कोई बदलाव न करने का आदेश दिया है । इसके साथ ही १९ मंदिर ट्रस्ट और ग्राम पंचायत सदस्यों को वहां प्रवेश करने से रोक दिया गया ।

कनीफनाथ मंदिर ट्रस्टी श्रीहरि अम्बेकर की प्रतिक्रिया

Tकनीफनाथ मंदिर के ट्रस्टी श्रीहरि अंबेकर ने बताया कि यह भूमि पहले शंकर भाई की पत्नी बिबन को सेवा के लिए दी गई थी । इसके बाद वर्ष २००५ में कुछ स्थानीय मुस्लिम निवासियों ने वक्फ अधिनियम की प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए इस भूमि को वक्फ के नाम पर दर्ज करा दिया । मंदिर ट्रस्टियों को पंजीकरण की जानकारी नहीं दी गई। उस समय भी राहुरी जिला न्यायालय ने कहा था कि यह जमीन कनीफनाथ मंदिर की है और आप केवल प्रबंधक हैं और इस पर आपका कोई अधिकार नहीं है ।

कनीफनाथ महाराज ने अपनी अलौकिक शक्ति से मंदिर में गुप्त भ्रमण के लिए भूमिगत मार्ग भी सिद्ध किया था । वह अभी भी है । आज भी यह बना हुआ है; इसलिए मौजे गुहा गांव का नाम इस सबवे के नाम पर पड़ा। इसके बारे में पूरी जानकारी हिन्दू धर्मग्रंथ ‘श्री नवनाथ भक्तिसार’ में वर्णित है। यह महत्वपूर्ण साक्ष्य है । चूंकि कनीफनाथ महाराज वहां रुके थे, इसलिए भक्तों ने उनके ध्यान के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया। बाद में औरंगजेब के उस स्थान पर आक्रमण के बाद उसने भक्तों का धर्म परिवर्तन कराया और उन्हें वह भूमि उपहार में दे दी। धर्मपरिवर्तन से वे मुसलमान बन गये; लेकिन वे मूलतः मराठा (हिन्दू) हैं।

स्रोत : हिंदी सनातन प्रभात

Related News