हिंदू जनजागृति समिति का सवाल
तथाकथित पर्यावरणप्रेमी, आधुनिकतावादी और नास्तिक केवल दिवाली आने पर ही पटाखों से प्रदूषण होने की बात करते हैं। हिंदुओं की महाशिवरात्रि आने पर दूध बर्बाद होने की आलोचना करते हैं; लेकिन ये आधुनिकतावादी बकरीद के समय खून बहाने पर कुछ नहीं कहते; क्रिसमस, 31 दिसंबर को होने वाले प्रदूषण पर कुछ नहीं कहते; अन्य कार्यक्रमों के दौरान होने वाले प्रदूषण या अन्न-धान्य की बर्बादी के बारे में कुछ नहीं कहते। यह दोहरी नीती क्यों अपनायी जाती है? केवल हिंदुओं के त्योहारों को निशाना बनाना हमें स्वीकार नहीं है। दिवाली के पटाखों से प्रदूषण होता है, यह रट लगाने वाले ढोंगी पर्यावरणप्रेमी और अंधश्रद्धा निर्मूलन वाले साल भर कहाँ रहते हैं, यह सीधा सवाल हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संघटक श्री सुनील घनवट ने पूछा है।
महाराष्ट्र में साल भर करोड़ों लीटर अत्यधिक प्रदूषित पानी और 8 हजार टन ठोस कचरा बिना किसी प्रक्रिया के सभी महानगरपालिकाओं द्वारा प्राकृतिक जल स्रोतों में छोड़ा जाता है। उस प्रदूषण के बारे में कोई क्यों नहीं बोलता? कई कत्लखाने के माध्यम से बड़ी मात्रा में रक्त मिश्रित पानी छोड़ा जाता है, फिर भी उसके बारे में बात नहीं की जाती; लेकिन हिंदुओं का त्योहार आने पर जानबूझकर प्रदूषण की बात कही जाती है। इससे तथाकथित आधुनिकतावादी में पर्यावरण के प्रति कितनी उपरी उपर चिंता है, यह स्पष्ट होता है। पिछले समय ‘आवाज फाउंडेशन’ ने उच्च न्यायालय में दिवाली के ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ याचिका दायर की थी; लेकिन इस साल दिवाली के ध्वनि प्रदूषण में कमी आने पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया; लेकिन यह ‘आवाज फाउंडेशन’ हो या कोई अन्य आधुनिकतावादी स्वयंसेवी संस्था, अन्य धर्मों के त्योहारों के दौरान ये कहां छिप जाते हैं? अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने ‘पटाखों से होने वाले प्रदूषण से बचें’ ऐसा आह्वान किया है; लेकिन बकरीद के समय कुछ पर्यावरणप्रेमियों ने ‘क्या आप मिट्टी की बकरी काटेंगे?’ पर्यावरण बचाएंगे? ऐसा आह्वान करने पर उस समय अंधश्रद्धालुओं ने लोगों को ज्ञान देते हुए कहा कि ‘अन्य धर्मों की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए’। कुल मिलाकर इनका पर्यावरण के प्रति जागरूकता और प्रेम ढोंगी है। जनता को इनसे सवाल पूछना चाहिए।
हिंदू जनजागृति समिति ने महाराष्ट्र भर में कई जगहों पर पटाखों के संदर्भ में अभियान चलाया है। इसमें श्रीलक्ष्मी पटाखा, श्री गणेश पटाखा, नेताजी पटाखा जैसे देवता-राष्ट्रपुरुषों की तस्वीर वाले पटाखे न फोड़ने के लिए जन जागरूकता निर्माण की है । पुलिस और दुकानदारों को ज्ञापन देकर आह्वान किया गया है। कई दुकानदारों ने समिति के प्रबोधन के बाद पटाखे रखना बंद कर दिया। लोगों में बदलाव दिखाई दे रहा है; और केवल दिवाली ही नहीं, होली पर खड़कवासला जलाशय संरक्षण अभियान, मस्जिदों पर लाउडस्पीकर, अन्य वर्ष भर आने वाले हर विषयो में हिंदुत्ववादी संगठन और समिति द्वारा जन जागरूकता की जाती है। आधुनिकतावादी और पर्यावरणप्रेमी ऐसा रवैया नहीं अपनाते। वे केवल हिंदुओं के त्योहारों को निशाना बनाते हैं। ऐसे तथाकथित पर्यावरणप्रेमियों से सावधान रहना चाहिए, ऐसा श्री घनवट ने अंत में कहा।