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आळंदी में हुए अधिवेशन में वारकरी समुदाय ने ‘धर्मजागरण’ का एकमत से संकल्प लिया!

हिंदुओं को जात-पात और संप्रदाय से ऊपर उठकर राष्ट्र और धर्मकार्य के लिए हिंदुत्व की मजबूत मुट्ठी बनानी चाहिए! – प. पू. गोविंददेव गिरी, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास

पुणे : महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पहली बार हिंदुओं ने जात-पात और संप्रदाय से परे हटकर हिंदुत्व के मुद्दे पर मतदान किया। जो लोग हिंदू धर्म की रक्षा करते हैं, उन्हें सत्ता तक पहुँचाना ही आज के समय में धर्मसंस्थापना का प्रतीक है। वर्तमान में बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं, और इसका खतरा अब हमारे दरवाजे तक पहुँच गया है। इसलिए भविष्य में हिंदुओं को सजग रहते हुए जात-पात और संप्रदाय से ऊपर उठकर राष्ट्र और धर्मकार्य के लिए हिंदुत्व की मजबूत मुट्ठी बनानी होगी। यह आवाहन अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष प. पू. गोविंददेव गिरी महाराज ने किया।

26 नवंबर को आळंदी स्थित श्री देविदास धर्मशाला तथा वै. मामासाहेब दांडेकर स्मृति मंदिर, गोपाळपुरा में आयोजित 18वें वारकरी महाअधिवेशन और धर्मसभा में उन्होंने यह बात कही। हिंदू जनजागृति समिति, राष्ट्रीय वारकरी परिषद और वारकरी संप्रदाय के संयुक्त आयोजन में पू. अमृताश्रम स्वामी महाराज (दंडी स्वामी) की अध्यक्षता में हुए इस अधिवेशन में वारकरी समुदाय ने ‘धर्मजागरण’ का एकमत से संकल्प लिया। अधिवेशन का संचालन राष्ट्रीय वारकरी परिषद के प्रवक्ता ह.भ.प. निवृत्ति महाराज हल्लाळीकर ने किया।

प.पू. गोविंददेव गिरी ने आगे कहा : “समाज और देश को जागृत करने के लिए ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ यह एक नाम पर्याप्त है। इसी भावना से मैंने ‘शिवचैतन्य जागरण यात्रा’ प्रारंभ की है। महाराष्ट्र में पिछले 700 वर्षों से वारकरी संप्रदाय और संत परंपरा ने समाज को जागृत करने का बड़ा कार्य किया है। प्रधानमंत्री द्वारा ‘वक्फ बोर्ड’ समाप्त करने की घोषणा के बाद कुछ लोगों ने इसके विरोध में प्रदर्शन की तैयारी शुरू की है। इसलिए हिंदुओं को भी अब उसी भाषा में जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही, हमें ‘हिंदू-हिंदू, भाई-भाई’ का नारा बुलंद करना चाहिए।”

पू. अमृताश्रम स्वामी महाराज (दंडी स्वामी) : “स्वामी विवेकानंद ने धर्मयोद्धा का कार्य किया, वैसा ही कार्य आज प. पू. गोविंददेव गिरी महाराज कर रहे हैं। इस अधिवेशन से प्रेरणा लेकर हम सबको धर्मकार्य में जुट जाना चाहिए।” हिंदूभूषण श्री भारतानंद सरस्वती महाराज (पालघर): “हमने पालघर जैसे क्षेत्रों में हिंदुत्व का कार्य जारी रखा है। इस अधिवेशन के माध्यम से निरंतर धर्मजागृति के प्रयास हो रहे हैं। हमें अब संघटित होकर कार्य करना होगा।”

अधिवेशन में पारित विभिन्न प्रस्ताव : ‘हरिद्वार’ और ‘ऋषिकेश’ की तर्ज पर श्रीक्षेत्र पंढरपुर, देहु, आळंदी, पैठण आदि तीर्थक्षेत्रों को 100% मद्य-मांस मुक्त किया जाए। चंद्रभागा (पंढरपुर) और इंद्रायणी (आळंदी) नदियों में प्रदूषण और गंदा पानी डालने पर रोक लगाई जाए। हिंदू भूमि और मंदिरों पर कब्जा करने वाले ‘वक्फ’ कानून को समाप्त किया जाए। देश में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाए। अधिवेशन का समापन विभिन्न प्रस्तावों के वाचन और पसायदान से हुआ।

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