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बांग्लादेश में ‘इस्कॉन’ के चिन्मय प्रभु की रिहाई के लिए आंदोलन कर रहे हिन्दुओं पर धर्मांधों का आक्रमण

धर्मांध आक्रमणकर्ता (बाएं) घायल हिन्दू (दाएं)

ढाका (बांग्लादेश) – बांग्लादेश में ‘इस्कॉन’ के सदस्य चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को देशद्रोह के आरोप में बंदी बनाए जाने के बाद ढाका, चिटगांव, दिनाजपुर आदि स्थानों पर हिंदुओं द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। ढाका के शाहबाग क्षेत्र में प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं पर कट्टरपंथी मुसलमानों ने आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में ५० से अधिक हिंदू घायल हो गए, जिन्हें उपचार के लिए चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। यह घटना शाहबाग पुलिस थाने से मात्र ३० मीटर की दूरी पर हुई। पुलिस एवं प्रशासन ने मूकदर्शक की भूमिका निभाई और कट्टरपंथियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। इससे यह स्पष्ट हुआ कि बांग्लादेश की पुलिस कट्टरपंथी मुसलमानों के आक्रमणों का समर्थन कर रही है।

१. ‘बांग्लादेश नेशनल पार्टी’ एवं ‘जमात-ए-इस्लामी’ के कट्टरपंथी मुसलमान कार्यकर्ताओं ने हिंदुओं पर आक्रमण किया। चिटगांव में २५ नवंबर की देर रात हजारों हिंदुओं ने ‘जय सिया राम’ और ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के साथ ‘मौलवी बाजार’ में मशाल रैली निकाली। हिंदुओं द्वारा प्रत्येक जिले में ‘शांति सभाओं’ का आयोजन किया गया था। इन शांति सभाओं पर भी कट्टरपंथियों ने आक्रमण किया।

२.  चिटगांव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कुशल बरन पर आक्रमण किया गया। इस आक्रमण में वे गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।

३. बांग्लादेश में सत्ता संघर्ष के समय ६ अगस्त को खुलना जिले के इस्कॉन मंदिर को निशाना बनाया गया था। इस आक्रमण में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति जला दी गई। इस आक्रमण के बाद चिन्मय दास ने चिटगांव के अन्य ३ मंदिरों को भी संकट में बताया था। उन्होंने हिंदू समाज को एकजुट करके इन मंदिरों की सुरक्षा के लिए काम किया। दास ने कहा था कि हिंसा से बचने के लिए हिंदू त्रिपुरा और बंगाल में शरण ले रहे हैं।

४.  बांग्लादेश में इस्कॉन के ७७ मंदिर हैं। बांग्लादेश के लगभग हर जिले में इस्कॉन के मंदिर हैं और इनसे करीब ५0,000 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं।

चिन्मय प्रभु के जमानत की अर्जी न्यायालय ने अस्वीकार की !

चिन्मय प्रभु को देशद्रोह के आरोप में बंदी बनाया गया है । न्यायालय ने उनके जमानत की अर्जी अस्वीकार की है । बांग्लादेश पुलिस ने चिन्मय प्रभु की पुलिस अभिरक्षा नहीं मांगी थी; इसलिए न्यायालय ने उन्हें न्यायालयीन अभिरक्षा (कस्टडी) में कारागार भेज दिया । न्यायालय ने कहा है कि कारागार में उन्हें सभी धार्मिक सुविधाएं दी जाएंगी ।

हिन्दू आंदोलन जारी रखें ! – चिन्मय प्रभु

पुलिस द्वारा न्यायालय ले जाते समय मार्ग में चिन्मय प्रभु ने प्रसार माध्यमों से कहा, ‘बांग्लादेश के हिन्दुओं से मैं अपील करता हूं कि वे योजनानुसार आंदोलन जारी रखें ।’

 

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