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सिंहगढ पर हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘एक दिन शिवाजी के सान्निध्य में’ मुहिम का सफल आयोजन !

सिंहगढ पर धर्मप्रेमियों को छत्रपति शिवाजी महाराज के सान्निध्य में अनुभव हू्आ शक्ति एवं भक्ति का अभूतपूर्व संगम !

श्री. दीपक आगावणे का मार्गदर्शन सुनते हुए उपस्थित धर्मप्रेमी

पुणे : हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से पुणे जिले के सिंहगढ में २४ नवंबर को ‘एक दिन शिवाजी के सान्निध्य में’यह मुहिम की गई । आदिशक्ति भवानीमाता के श्रीचरणों में, इसके साथ ही श्री कोंढाणेश्वर एवं श्री अमृतेश्वर के श्रीचरणों में सामूहिक प्रार्थना कर, इस मुहिम का आरंभ हुआ । नरवीर तानाजी मालुसरे के स्मारक को अभिवादन कर समिति के श्री. श्रीकांत बोराटे एवं श्री. दीपक आगावणे ने उपस्थितों का मार्गदर्शन किया । उपस्थित धर्मप्रेमियों ने ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ का नामजप किया और साथ ही रामराज्य स्थापना की प्रतिज्ञा ली । इस मुहिम में पुणे जिला, इसके साथ ही भोर, वाघळवडी, दौंड, नवलेवाडी आदि स्थानों के १७० से भी अधिक धर्मप्रेमी उपस्थित थे ।

उपस्थित धर्मप्रेमी एवं मावळे (सैनिक)

​तानाजी मालुसरे का जाज्वल्य इतिहास !

तानाजी कडा, बुलंद दरवाजा कल्याण दरवाजा, तानाजी मालुसरे का समाधि स्थान, कोंढाणेश्वर मंदिर समान अनेक स्थानों की जानकारी उपस्थित धर्मप्रेमियों को दी गई । छत्रपति शिवाजी महाराजजी और उनके मावळों ने आध्यात्मिक बल के आधार पर किसप्रकार धर्मकार्य किया, इस विषय में मार्गदर्शन हुआ ।

नरवीर तानाजी मालुसरे के स्मारक को हार पहनाते हुए धर्मप्रेमी
नरवीर तानाजी मालुसरे के स्मारक को अभिवादन करते हुए धर्मप्रेमी

​गढ-दुर्ग प्रेरणास्रोत बने, इसके लिए प्रयत्नशील समिति के उपक्रमों की प्रशंसा !

स्वरक्षा प्रात्यक्षिक प्रस्तुत करते हुए धर्मप्रेमी

मुहिम के अंतिम चरण पर सभी धर्मवीरों ने स्वरक्षा प्रात्यक्षिक प्रस्तुत किए । जिसप्रकार गढ पर मावळों (शिवाजी महाराज के सैनिक मावळे कहलाते थे ।) को गढ पर तलवारबाजी, दांडपट्टा, लाठी-काठी का प्रशिक्षण दिया जाता था, उसीप्रकार का प्रशिक्षण आज हमें इस काल में भी मिल रहा है, ऐसा सभी ने अनुभव किया ।

छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा से और मावळों के पवित्र रक्त से पावन होकर उनके अतुलनीय साहस, बलिदान का स्मरण करवानेवाले ये गढ-दुर्ग केवल पर्यटनस्थल न रहते हुए प्रेरणास्थल बनें, इसके लिए प्रयत्नशील समिति के इस उपक्रम का गढ पर उपस्थित पर्यटक, व्यावसायिक, शिवप्रेमी एवं दुर्गप्रेमियों ने प्रशंसा की ।

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