अन्य धर्मों के प्रार्थना स्थल सरकार के अधीन नहीं हैं, तो हिंदुओं के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करो! – पू. रामगिरी महाराज, अहिल्यानगर
शिर्डी – प्रतिकूल परिस्थितियों में संतों ने मंदिरों की संस्कृति को बनाए रखा। वर्तमान स्थिति में हिंदू केवल तीर्थक्षेत्र जाते हैं; लेकिन अगर उन तीर्थक्षेत्रों की पवित्रता नष्ट हो रही है, तो वे उस पर ध्यान नहीं देते हैं। अध्यात्म हमारे श्वास और रक्त के प्रत्येक बूंद में होना चाहिए। अगर हिंदू धर्म के बारे में निष्क्रिय रहे, तो भविष्य में जीना कठिन होगा। भारत में एक भी मस्जिद या चर्च को सरकार ने अपने अधीन नहीं लिया है, जबकि करोड़ों रुपये के लेनदेन होते हुए भी। अन्य धर्मों के प्रार्थना स्थल सरकार के अधीन नहीं हैं, लेकिन हिंदुओं के मंदिर ही क्यों सरकार के अधीन हैं? इसलिए अब हिंदुओं के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए, यह मांग अहिल्यानगर के सद्गुरु गंगागिरी महाराज संस्थान के मठाधिपति पू. रामगिरी महाराज ने की। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ, विरार के श्री जीवदानी देवी संस्थान, श्री ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर देवस्थान, श्री साई पालखी निवारा और हिंदू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्वावधान में श्री साई पालखी निवारा, शिर्डी में आयोजित तीसरे ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’ के पहले दिन वे बोल रहे थे। इस परिषद में पूरे महाराष्ट्र से 750 से अधिक आमंत्रित मंदिरों के विश्वस्त, प्रतिनिधि, पुरोहित, मंदिरों के संरक्षण के लिए लडने वाले वकील, अध्येता आदि शामिल हुए हैं।
परिषद का शुभारंभ श्रीक्षेत्र बेट कोपरगांव के राष्ट्रसंत जनार्दन स्वामी (मौनगिरीजी) महाराज समाधि मंदिर के पू. रमेशगिरी महाराज, कोपरगांव के श्रीक्षेत्र राघवेश्वर देवस्थान के मठाधिपति पू. राघवेश्वरानंदगिरी महाराज, सनातन संस्थान के सद्गुरु सत्यवान कदम, मुंबई के समस्त महाजन संघ के अध्यक्ष श्री. गिरीष शहा, श्री जीवदानी देवी संस्थान के अध्यक्ष श्री. प्रदीप तेंडोलकर और मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक श्री. सुनील घनवट के हाथों दीप प्रज्वलन करके किया गया। इसके बाद सनातन संस्थान के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले द्वारा दिए गए संदेश को सद्गुरु सत्यवान कदम ने पढा। उन्होंने अपने संदेश में कहा, भारत में सच्चे अर्थों में रामराज्य लाना है, तो प्रत्येक मंदिर को राष्ट्र और धर्म के संरक्षण के लिए आवश्यक मंदिर संस्कृति का पुनरुद्धार करना अनिवार्य है।
उपस्थित लोगों का स्वागत श्री. प्रदीप तेंडोलकर ने किया। इस अवसर पर श्री. तेंडोलकर ने कहा, मंदिरों का संरक्षण भगवान का काम है। इसलिए इस काम के लिए ईश्वर ने ही हमें एक साथ लाया है। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के माध्यम से पिछले 3 वर्षों में हुए कार्य निश्चित रूप से उल्लेखनीय हैं। इस परिषद के माध्यम से सभी विश्वस्तों को एक मंच प्राप्त हुआ है। मंदिर महासंघ का कार्यात्मक आकलन महासंघ के राष्ट्रीय संगठक श्री. सुनील घनवट ने प्रस्तुत किया। इस दौरान श्री. घनवट ने आगे कहा कि, लोकसभा चुनाव में कट्टरपंथीओं ने अपनी रणनीति मस्जिदों में तय की। मतदान किसे करना है, इसके लिए फतवे जारी किए गए, तो फिर हिंदू धर्म और राष्ट्र के बारे में रणनीति मंदिरों में क्यों नहीं तय की जाए? इस परिषद में एकत्रित हुए हजारों विश्वस्तों ने सड़क पर उतरकर मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करने की मांग की, तो सरकार को मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करना ही होगा। इस तरह प्रत्येक विश्वस्त ने ‘अपने मंदिर से हिंदू संगठन कैसे किया जा सकता है?’, इस पर विचार करके कार्य किया, तो भविष्य में हिंदुओं को सुरक्षा देने का काम भी मंदिरों द्वारा किया जा सकता है।
मंदिरों से ही संस्कार किए जाएंगे, तभी राष्ट्रप्रेमी पीढी का निर्माण होगा! – श्री. गिरीष शहा
एक महीने पहले मैं अबुधाबी में श्री स्वामीनारायण मंदिर देखने गया था। वहां की व्यवस्था बहुत अच्छी थी। रोजाना 10 से 20 हजार यात्री दर्शन करने आते हैं, साथ ही वहां आकर संस्कार और संस्कृति के बारे में ज्ञानवर्धन भी होता था। वास्तव में यह ज्ञान हमारे पास पहले से ही है। नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों की पुस्तकें, हमारे वेद, योग, न्याय प्रणाली, गणित, आयुर्वेद ये सभी हमारी मंदिर संस्कृति से उत्पन्न हुए हैं। भारतीय संस्कृति में पहले से ही हिंदुओं के मंदिर गुरुकुल थे। शिक्षण पद्धति थी। वर्तमान स्थिति क्या है? केवल मंदिर हमारा है। इसके आसपास ऐसा कुछ नहीं है। हमें इससे बाहर निकलना होगा। मंदिर में 16 में से 15 संस्कार करने की व्यवस्था होनी चाहिए। अगर गर्भाधान संस्कार जैसे संस्कार मंदिर में हुए, तो आने वाली पीढी राष्ट्रप्रेमी होगी, यह समस्त मुंबई के समस्त महाजन संघ के अध्यक्ष श्री. गिरीष शहा ने कहा।
मंदिरों का संरक्षण प्रत्येक हिंदू का सामूहिक दायित्व है! – प.पू. रमेशगिरी महाराज, कोपरगांव
वर्तमान स्थिति में मठ, मंदिर, देवस्थान के उचित प्रबंधन और उनके संरक्षण के लिए महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद का आयोजन किया गया है। सनातन संस्था भी इसके लिए कार्यरत है। सभी हिंदुओं को स्वयं को सीमित सोच छोड़ देनी चाहिए। मंदिर हिंदुओं के सामूहिक उपासना केंद्र हैं। भजन, नामजप, प्रार्थना के माध्यम से मंदिरों में सामूहिक उपासना की जाती है। ऐसे मंदिरों का विनाश होना हिंदू धर्म पर हमला है। इसलिए मंदिरों के संरक्षण के लिए सभी हिंदुओं को एकजुट होकर सनातन संस्कृति का झंडा फहराना चाहिए, यह आह्वान श्रीक्षेत्र बेट कोपरगांव के राष्ट्रसंत जनार्दन स्वामी (मौनगिरीजी) महाराज समाधि मंदिर के पू. रमेशगिरी महाराज ने इस दौरान किया।
मंदिर अभ्यासक श्री. संदीप सिंह ने कहा, मंदिर यह कमाई का साधन नहीं है, बल्कि यह भक्ती का केंद्र है, यह समझना आवश्यक है। मंदिर हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ है। दुनिया भर में कई औद्योगिक शहर अब खत्म हो रहे हैं; इसके विपरीत भारत में उज्जैन, पाटलीपुत्र, रामेश्वरम, काशी जैसी तीर्थस्थल वाली शहरें हजारों सालों से जीवित हैं; क्योंकि ये सभी मंदिरों की अर्थव्यवस्था पर निर्भर थीं। इस देश की अर्थव्यवस्था मंदिरों के कारण खड़ी है।
धर्मशिक्षा के साथ धर्मरक्षण का कार्य भी मंदिरों को करना चाहिए! – सद्गुरु स्वाती खाडये
सद्गुरु स्वाती खाडये, सनातन संस्था मंदिरों के माध्यम से हिंदू समाज का जन्महिंदु से कर्महिंदु में रूपांतरण करना एक महान कार्य था। मंदिर हिंदू धर्म की आधारशिला हैं। इसलिए धर्मरक्षण के संदर्भ में मंदिरों से उनके सामर्थ्यानुसार कुछ कदम उठाए जाने चाहिए। यह आधारशिला तभी सच्चे अर्थ में होगी, जब मंदिरों से धर्मरक्षण के संदर्भ में ठोस कदम उठाए जाएंगे और जागरूकता फैलाई जाएगी। भविष्य में अगर मंदिरों को धर्मशिक्षा का केंद्र बनाना है, तो धर्मशिक्षा के साथ धर्मरक्षण का कार्य भी साथ-साथ लेना जरूरी है, ऐसा आह्वान इस अवसर पर सनातन संस्था की सद्गुरु स्वाती खाडये ने किया।
प्रमुख उपस्थिती : मुंबई में स्वतंत्ऱ्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष श्री. रणजीत सावरकर, शिर्डी निर्वाचन क्षेत्र के सांसद श्री. भाऊसाहेब वाघचौरे, श्री ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर देवस्थान के वकील श्री सुरेश कौदरे, पूर्व धर्मादाय आयुक्त श्री दिलीप देशमुख, ओझर के श्री विघ्नहर गणपति देवस्थान ट्रस्ट के उपाध्यक्ष श्री. तुषार कवड़े, व्यवस्थापक श्री. अशोक देवराम घेगडे, जेजुरी के विश्वस्त श्री. राजेंद्र खेडे, पुणे के ग्रामदैवत श्री कसबा गणपति की सौ. संगिताताई ठकार और रांजणगाव के विश्वस्त श्री. तुषार पाटील।
इस अवसर पर शिर्डी निर्वाचन क्षेत्र के सांसद श्री. भाऊसाहेब वाघचौरे ने कहा , पिछले कुछ वर्षों में मैंने 550 से अधिक मंदिरों का जीर्णोद्धार किया है और भविष्य में अन्य मंदिरों का भी जीर्णोद्धार करने का निर्णय लिया है।
परिषद में विशेष घटनाएँ : शिर्डी के पास पुणतांबा में श्री महादेव मंदिर में मूर्तियों की अपमानजनक घटना घटी है। इस घटना की मंदिर परिषद में निंदा की गई और आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग राज्य सरकार से की गई।