मंदिर सरकारीकरण, वक्फ बोर्ड अतिक्रमण और मंदिरों में अहिंदुओं के प्रवेश से संबंधित मुद्दों पर चर्चा !
बेंगलुरु : हमारे राजा-महाराजाओने मंदिरों का निर्माण किया। कदंब वंश से लेकर विजयनगर के शासकों तक, और हाल ही के मैसूर के महाराजाओं तक, हजारों मंदिरों का निर्माण हुआ और आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए गए कई मंदिरों को फिर से पुनर्निर्मित किया गया। किंतु आज, मंदिरों पर सेक्युलर सरकार का नियंत्रण हो गया है, जिसके कारण सरकारीकरण, भ्रष्टाचार, मंदिरों में अहिंदुओं का प्रवेश, वक्फ बोर्ड द्वारा मंदिर भूमि का अतिक्रमण, पैसे लेके वीआईपी दर्शन, मंदिर भूमि की हड़प, और मंदिरों में बढ़ती हुई चोरियां जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
ऐसे समय में, मंदिर संस्कृति की रक्षा हिंदू समाज की जिम्मेदारी बन गई है। मंदिरों से संबंधित समस्याओं का समाधान, श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता और मंदिर परंपराओं की रक्षा के लिए सभी ट्रस्टी, पुजारियों और श्रद्धालुओं का सामूहिक प्रयास आवश्यक है। इस दिशा में कर्नाटक मंदिर महासंघ और हिंदू जनजागृति समिति द्वारा ‘कर्नाटक राज्य द्वितीय मंदिर अधिवेशन 4 और 5 जनवरी 2025 को बेंगलुरु के गंगम्मा थिमैया कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया है। इस अधिवेशन में कर्नाटक राज्य भर के 1,000 से अधिक मंदिर ट्रस्टी, प्रतिनिधि, पुजारी और मंदिरों की रक्षा के लिए काम कर रहे वकील भाग लेंगे। यह जानकारी श्री मोहन गौड़ा, कर्नाटक मंदिर महासंघ के राज्य संयोजक ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी।
प्रेस कांफ्रेंस में प्रमुख व्यक्तित्वों ने भाग लिया, जिनमें आर.पी. रविशंकर, अध्यक्ष, आर्य वैश्या महासभा, अधिवक्ता हर्षा मुतालिक, डॉ. राघवेंद्र भट, अखिल कर्नाटक ब्राह्मण अर्चक और पुरोहित परिषद के राज्य अध्यक्ष, के.एस. श्रीधर, अध्यक्ष, श्रीराम सेवा मंडल, श्री सुनील घनवट, राष्ट्रीय समन्वयक, मंदिर महासंघ और श्री गुरुप्रसाद गौड़ा, राज्य समन्वयक, हिंदू जनजागृति समिति शामिल थे।
श्री मोहन गौड़ा ने आगे कहा कि ‘कर्नाटक राज्य प्रथम मंदिर अधिवेशन’ 16 दिसंबर 2023 को बेंगलुरु में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था। गोवा और महाराष्ट्र में भी इस तरह के अधिवेशन आयोजित किए गए। तब से महासंघ की गतिविधियों में तेजी से वृद्धि हुई है और अब यह राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुका है। पिछले दो वर्षों में महासंघ ने कर्नाटक के 250 से अधिक मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू की है और देशभर में 15,000 से अधिक मंदिरों को एकजुट किया है।
श्री सुनील घनवट, राष्ट्रीय समन्वयक, मंदिर महासंघ ने कहा कि मंदिर महासंघ पांच मुख्य सिद्धांतों पर आधारित होकर कार्य करता है, जिनमें मंदिर ट्रस्टीयों का संगठन, मंदिरों का कुशल प्रबंधन, मंदिरों की सुरक्षा, मंदिरों और समुदाय के बीच समन्वय स्थापित करना, मंदिरों को सनातन धर्म के प्रचार के केंद्र बनाना यह है । उन्होंने यह भी कहा, “राम मंदिर का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, लेकिन देश भर में 4 लाख से अधिक मंदिर, जिनमें काशी और मथुरा जैसे प्रमुख मंदिर भी शामिल हैं, अभी भी सरकार के नियंत्रण में हैं। मंदिर महासंघ का मुख्य उद्देश्य इन मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर इनका प्रबंधन भक्तों को सौंपना है।” उन्होंने यह भी जोर दिया कि महासंघ इस मिशन के साथ कार्य कर रहा है और पूरे देश में मंदिरों की मुक्ति और पुनरुद्धार के लिए समर्पित है।
श्री गुरुप्रसाद गौड़ा ने यह भी बताया कि इस सम्मेलन में प्रसिद्ध स्वामीजी जैसे श्री स्वयम्प्रकाश सचिदानंद सरस्वती स्वामीजी (हरिहरपुर मठ), पूर्व धार्मिक संस्थान विभाग के आयुक्त श्री नंदकुमार आईएएस, वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण श्याम और प्रमिला नेसर्गी, और श्री अभिनव शंकर भारती महास्वामीजी (श्रृंगेरी कुडली मठ) भी भाग लेंगे।
इस सम्मेलन में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की जाएगी:
मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना, मंदिरों में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाना, मंदिरों को सनातन धर्म प्रसार का केंद्र बनाना, वक्फ एक्ट के तहत मंदिर संपत्तियों पर अतिक्रमण और भूमि हड़पने से निपटना, मंदिरों और तीर्थ स्थलों के आसपास शराब और मांसाहार पर प्रतिबंध लगाना, उपेक्षित मंदिरों का पुनर्निर्माण।
यह अधिवेशन केवल आमंत्रित व्यक्तियों के लिए है। जो लोग इसमें भाग लेना चाहते हैं, वे कृपया 7204082609 पर संपर्क करें। इसके अतिरिक्त, इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण Hindujagruti.org/Kannada वेबसाइट पर सभी हिंदुओं के लिए किया जाएगा।