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हिंदू समाज को लगातार गलत वक्तव्य से गुमराह करनेवाले धर्मविरोधी प्रो. भगवान के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए – हिंदू जनजागृति समिति

प्रो. भगवान ने “हिंदू” शब्द को अपमानजनक एव नीचा दिखानेवाला बताया !

एक बार फिर, धर्मविरोधी प्रो. भगवान ने हिंदू धर्म के विरुद्ध उकसाने वाले बयान दिए हैं। रायचूर के पास तीन दिवसीय हालुमत संस्कृती वैभव कार्यक्रम में उन्होंने, “कश्मीरी शैव शास्त्रों में ‘हिंदू’ शब्द याने, जो अपमानित या निचा दिखाए गए थे। इसलिए, ‘हिंदू’ शब्द अत्यधिक अपमानजनक है। रामायण, महाभारत, पुराणों और वेदों में ‘हिंदू’ शब्द का कोई उल्लेख नहीं है।” ऐसे कहा है । हिंदू जनजागृति समिति इन बयानों की कड़ी शब्दों में निषेध करती है।

प्राचीन ग्रंथों में ‘हिंदू’ शब्द का उल्लेख

वास्तव में, आठवीं सदी में लिखित शैव ग्रंथ मेरुतंत्र में कहा गया है: ‘हीनश्च दूषयप्येव स हिन्दुरित्युच्यते प्रिये’ याने “जो नीच कर्मों और गुणों का त्याग करता है, वह हिंदू कहलाता है।” इसी तरह, पाणिनी के शब्दकल्पद्रुम में कहा गया है: हीनं दूषयति इति हिन्दु जाति विशेषः “जो नीचता का परित्याग करता है, वह हिंदू के रूप में जाना जाता है।” इसके अतिरिक्त, ‘हिंदू’ शब्द का स्पष्ट उल्लेख कई प्राचीन सनातन धर्म ग्रंथों में मिलता है, जैसे कि परिजात हरण, माधव विजय और ऋग्वेद में।

प्रो. भगवान ने इन संदर्भों को विकृत करके हिंदू समाज के विरुद्ध नकारात्मक बयान दिए हैं, जो पूरी तरह से निंदा योग्य हैं! प्रो. भगवान के पास इन धार्मिक ग्रंथों और पुराणों से संबंधित कोई उत्तर है, ? यह हमारा प्रो. भगवान से प्रश्न है । ऐसे धर्मविरोधी व्यक्तित्व हिंदू समाज को बार-बार उकसाते हैं। यह पहली बार नहीं है । उन्होंने पहले भी भगवान राम और देवी सीता का अपमान किया है। बार-बार अपराध करने के उपरांत उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? इसलिए, हिंदू समाज की ओर से, हिंदू जनजागृति समिति राज्य सरकार से एक बार फिर प्रो. भगवान के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई की मांग करती है।

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