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चिंतामणी देवालय, वडगाव, यवतमाळ में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की बैठक

मंदिर हिन्दू धर्मप्रचार के केंद्र होने हेतु मंदिर विश्वस्तों को संगठित प्रयत्न करने चाहिए ! – श्रीकांत पिसोळकर, विदर्भ समन्वयक, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ

महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की बैठक के लिए उपस्थित विश्वस्त

यवतमाळ – मंदिर हिन्दू धर्म की आधारशिला और चैतन्य का स्रोत हैं । मंदिर की रक्षा होकर उसकी पवित्रता टिकाए रखने के लिए सभी विश्वस्तों को प्रयत्न करना चाहिए । इस दृष्टि से महाराष्ट्र मंदिर महासंघ कार्यरत है । मंदिरों का सुव्यवस्थापन करना काल की आवश्यकता है । मंदिर हिन्दू धर्मप्रचार के केंद्र होने के लिए सभी मिलकर प्रयत्न करेंगे, ऐसा आवाहन महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के विदर्भ समन्वयक श्री. श्रीकांत पिसोळकर ने किया । वे महासंघ की ओर से यहां के श्री चिंतामणी देवालय में आयोजित मंदिर विश्वस्तों की बैठक में बोल रहे थे ।

शिर्डी मंदिर परिषद में सम्मिलित हुए विश्वस्तों ने अपने अनुभवकथन किए । मंदिर न्यास परिषद के संदर्भ में जानकारी की सीडी दिखाई गई । महासंघ द्वारा संगठित होकर कार्य करने का निर्धार ‘हर हर महादेव’के जयघोष से किया । इस बैठक में सनातन के धर्मप्रचारक पू. अशोक पात्रीकर की वंदनीय उपस्थिति थी ।

वनवासी मारुती देवस्थान के सचिव श्री गोपाळराव पांडे, सदस्य श्री. सुबोध राय, साई मंदिर के अध्यक्ष श्री. भगवानजी डगवार, चिंतामणी देवालय के श्री. रंगरावजी राऊत ने नेतृत्व लिया । बैठक के लिए यवतमाळ के अनेक मंदिर विश्वस्त-पुजारी उपस्थित थे ।

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