नदियों को बचाने के लिए उसपर बांध बनाना रोकें ! – शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, ज्योतिष पीठ
प्रयागराज – आज तक सरकारी एवं सामाजिक स्तरों पर अनेक उपाययोजनाएं बनाने के पश्चात भी श्रीगंगा एवं अन्य नदियां शुद्ध नहीं हो पाईं हैं । यही आज की वास्तविकता है । अनेक तीर्थक्षेत्रों पर नदियों का पानी इतना अल्प है कि साधु-संत और संन्यासी स्नान-संध्या, साधना, तपस्या, धार्मिक विधि, जल अनुष्ठान आदि नहीं कर पाते । गंगा एवं अन्य सभी नदियों के अस्तित्व के लिए उनका प्रवाह प्राकृतिक और निर्मल रखना अत्यावश्यक है, अन्यथा नदियां प्रदूषित हो जाती हैं । ऐसा होते हुए भी नदियों पर बांध बनाए जा रहे हैं । इसलिए सरकार और समाज, दोनों ही नदी के प्रदूषित होने के लिए उत्तरदायी हैं । गंगाजी और अन्य नदियों को बचाने के लिए उन पर बांध बनाना रोकना चाहिए और इसके साथ ही प्लास्टिक के उपयोग पर ही नहीं, अपितु उसकी निर्मिति पर भी प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए । ऐसा वक्तव्य ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने यहां किया ।
वे कुंभक्षेत्र पर २० जनवरी को आयोजित किए गए ‘नदी संवाद’ के कार्यक्रम में बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारूदत्त पिंगळे, देहली के यमुना नदी की स्वच्छता के लिए कार्यरत निरा मिश्रा, महामंडलेश्वर महादेव बाबाजी आदि मान्यवर उपस्थित थे । उत्तरप्रदेश के पुलिस उपमहानिरीक्षक श्री. जुगल किशोर तिवारी ने नेतृत्व लेकर इस कार्यक्रम का आयोजन करवाया था ।
धर्मशिक्षा द्वारा हिन्दुओं के मन पर नदियों का आध्यात्मिक महत्त्व अंकित करना ही नदियों को बचाने का सर्वोत्तम उपाय है ! – सद्गुरु डॉ. चारूदत्त पिंगळे
इस अवसर पर उपस्थितों को मार्गदर्शन करते हुए सद्गुरु डॉ. चारूदत्त पिंगळेजी बोले, ‘‘श्रीगंगामाता, भारत की आध्यात्मिक एवं भौतिक जीवनरेखा है । सनातन हिन्दू संस्कृति का अविभाज्य घटक और पापमुक्त कर मोक्ष प्रदान करनेवाली गंगानदी का अस्तित्व, हम सभी के लिए सदा ही सर्वोच्च है । केवल श्रीगंगा नदी ही नहीं, अपितु सभी सप्तनदियों को बचाना आवश्यक है । यह सर्वसामान्यों को घर-घर जाकर धर्मशिक्षा के माध्यम से सिखाना आवश्यक है । इसलिए सरकार को वैसी व्यवस्था करनी होगी । हिन्दुओं को धर्मशिक्षा लेकर गंगानदी को बचाने के लिए सर्वोपरी प्रयत्न करना आवश्यक है । गंगा के किनारे हिन्दुओं के अनेक तीर्थक्षेत्र और मंदिर हैं । इसलिए प्रत्येक हिन्दू के लिए दोषमुक्ति, साधना और तपस्या करने के लिए गंगानदी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । ‘नदियों का आध्यात्मिक महत्त्व और उसे बचाने की आवश्यकता’, इस विषय में विद्यार्थी जीवन से ही शिक्षा दी जानी चाहिए । गंगा तट मद्य-मांस मुक्त करना, यह उपाय नदी की शुद्धि के लिए आवश्यक है । सरकार, प्रशासन और समाज के प्रत्येक घटक को इसमें अपना योगदान देना, यही गंगानदी बचाने का सर्वोत्तम उपाय है । हमें स्वयं नदियों को प्रदूषित नहीं करना चाहिए और यदि कोई कर रहा हो, तो उसे रोकना चाहिए !”
क्षणिका
इस कार्यक्रम के संयोजकों द्वारा कार्यक्रम के लिए उपस्थित लोगों को सनातन का ‘श्री गंगाजी की महिमा’ इस हिन्दी भाषा के ग्रंथ का वितरण किया गया ।