धाराशिव जिलाधिकारी की मांग के विरोध में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा की गई याचिका पर निर्णय
संभाजीनगर – श्री तुळजाभवानीदेवी का सोना-चांदी पिघलाने की धाराशिव जिलाधिकारी की अनुमति अर्ज मुंबई उच्च न्यायालय के संभाजीनगर खंडपीठ द्वारा २३ जनवरी को अस्वीकार कर दी गई, ऐसी जानकारी इस संदर्भ में अभियोग लडनेवाले अधिवक्ता उमेश भडगावकर ने ‘सनातन प्रभात’को दी । यह आदेश न्यायमूर्ति मंगेश पाटील एवं न्यायमूर्ति शैलेश ब्रह्मे ने दिया है । इस संदर्भ में श्री तुळजाभवानी मंदिर संस्थान को न्यायालय ने सूचना दी कि ‘इस प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय में जाएं ।’ मंदिर का सोना-चांदी पिघलाने के निर्णय का विरोध करते हुए कुछ पुजारियों और हिन्दू जनजागृति समिति ने न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की थी । उस पर यह निर्णय दिया गया ।
इस संदर्भ में अधिक जानकारी देते हुए हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी ने ‘सनातन प्रभात’को बताया,
१. तुळजापुर देवस्थान में वर्ष १९९१ से २००९ तक तत्कालीन विश्वस्त, सरकारनियुक्त अधिकारी, लोकप्रतिनिधि, ठेकेदार आदि ने मिलकर ८ करोड ५० लाख रुपयों का लूट-खसोट की है । इतना सब होने के पश्चात भी प्रशासकीय स्तर पर उनके विरोध में अपराध प्रविष्ट करना अथवा आर्थिक वसूली करना इत्यादि नहीं हुआ । इसलिए इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय के संभाजीनगर खंडपीठ ने याचिका प्रविष्ट की थी ।
२. इस याचिका में ८ ठेकेदार, ८ सरकारनियुक्त प्रशासक एवं जिलाधिकारी एवं तहसीलदार के विरोध में अपराध प्रविष्ट करने की मांग की थी । उस पर न्यायालय ने निर्णय देते हुए ९ मई २०२४ को इन सभी के विरोध में फौजदारी अपराध प्रविष्ट करने के आदेश दिए थे । तदुपरांत वर्ष २००९ से २०२४ तक सोना, सिक्के पिघलाने की अनुमति मिले, ऐसी याचिका धाराशिव जिलाधिकारियों ने संभाजीनगर खंडपीठ से की । यह अनुमति न दी जाए, इसलिए समिति ने कडा विरोध किया है ।
३. समिति ने याचिका में कहा, ‘वर्ष १९९१ से २००९ तक जो गैरव्यवहार-भ्रष्टाचार हुआ है, उसका खुलासा न हो, और लूट-खसोट इसीप्रकार चलती रहे; इसीलिए बहुत गहरी संभावना है कि सोना पिघलाने की अनुूमति मांगी जा रही है ।´
४. इसके साथ ही संभाजीनगर खंडपीठ द्वारा इस भ्रष्टाचार (लूट-खसोट) के संदर्भ में अपराध प्रविष्ट करने के दिए गए आदेश के विरोध में सरकार सर्वोच्च न्यायालय में गई थी, परंतु उसकी सुनवाई अबतक लंबित है । इसलिए समिति की ओर से अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी एवं अधिवक्ता उमेश भडगावकर ने मांग की है कि धाराशिव के जिलाधिकारी को सोना पिघलाने की अर्ज सम्मत न की जाए ।