भाद्रपद अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, आपका धर्म एवं धर्मगुरुओंको नष्ट करनेका अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र निरस्त करने हेतु हिंदू राष्ट्रके अतिरिक्त पर्याय नहीं, यह जानें !
मुंबई (वार्ता.) – बाबागिरीके परदेमें भोलीभाली जनताको लूटनेवाले भोंदूबाबाकी संख्या बढ गई हैं । इनमें आसारामबापू अग्रेसर हैं । आसाराम एवं विवादका घनिष्ट संबंध है । उन्हें निरंतर विवादमें रहकर प्रसिद्धिमें रहनेकी आदत है । अब आसारामपर लैंगिक शोषणके आरोप हो रहे हैं तथा वे उन आरोपोंमें डुबकियां लगा रहे हैं; क्योंकि उनपर इन आरोपोंका कुछ भी परिणाम नहीं होता । वे आलोचना करनेवालोंसे नहीं डरते । आसाराम स्वयंको संत कहलाते हैं; किंतु स्वयंको भौतिक सुख सुविधाओंसे अलग नहीं रख सके । इसलिए उन्होंने अपने हेतु कई स्थानोंपर पंचतारांकित आश्रमोंका निर्माण किया है, ऐसे अत्यंत अश्लाघ्य शब्दोंमें ‘जय महाराष्ट्र’ वृत्तवाहिनीने संतश्रेष्ठ प.पू. आसारामबापूकी आलोचना की । इस वाहिनीने ‘श्रद्धा या शोषण ?’ नामसे विचारगोष्ठी आयोजित की । (इससे संतोंके संदर्भमें ‘तू तू-मैं मैं ’ कर बात करनेवाली वाहिनियोंका स्तर तथा नैतिकता ध्यानमें आती है । आसारामबापूके संदर्भमें उन्होंने विवाद नहीं उत्पन्न किए हैं, अपितु हिंदूद्वेषी प्रसारमाध्यमोंद्वारा ‘पीत पत्रकारिता’द्वारा उत्पन्न किए गए है । हिंदुओ, संगठित होकर आपके धर्म एवं धर्मगुरुपर अश्लाघ्य विषैला प्रयोग करनेवाली ऐसी वाहिनियोंका ही बहिष्कार करें ! हिंदुओ, आपत्काल प्रारंभ हो चुका है, यह ध्यानमें रखकर धर्मकी रक्षा हेतु संगठित होकर कृत्य करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
कहते हैं, आसारामबापू सबसे विकृत इन्सान ! – प्रगतिशील विचारोंके वार्ताकार जतिन देसाईकी कुसंस्कृति
प्रगतिशील विचारोंके वार्ताकार जतिन देसाईने कहा, प्रसारमाध्यम आसारामका निर्देश ‘संत’ अथवा ‘बापू’के नामसे न कर, आसाराम कहकर ही करें, क्योंकि वह एक झूठा एवं विकृत इन्सान हैं । उनके भक्त तथा गुंडोंने वार्ताकारोंकी पिटाई की । आसारामपर गंभीर आरोप होते हुए भी उन्हें हथकडी नहीं लगाई । क्या आसाराम कोई विशेष व्यक्ति हैं ? इस देशमें बाबागिरीका धंधा सबसे बडा धंधा बन गया है । उससे बडी मात्रामें धन कमाकर, साहस जुटाने हेतु भाजपा, संघ, सनातन संस्था, दैनिक सनातन प्रभात जैसी हिंदू जातीयवादी अर्थात ब्राह्मणवादी संगठनोंका समर्थन प्राप्त हो रहा है । (विकृत प.पू. आसारामबापू हैं, अथवा देसाई, यह बात सूज्ञ जनता उनकी भाषासे ही जान जाएगी । हिंदुओंके धर्मगुरुके विषयमें बोलने हेतु हिंदुओंके धर्मगुरुओंको बुलाना छोड, जतिन देसाई जैसे अधर्मियोंको बुलानेपर वे दूसरा क्या बोलेंगे ? उनके जैसे वार्ताकारोंको राहुल गांधी, राबर्ट वढेरा, जिनपर अनेक आरोप लगे हैं, ऐसे संसदके लोकप्रतिनिधि ही विशेष लगनेके कारण उनपर गंभीर आरोप होकर भी वे उन्हें लक्ष्य नहीं करते, क्या ऐसा कह सकते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इमाम बुखारीने लात-घूसोंसे वार्ताकारोंकी पिटाई की, तब जतिन देसाई कहां थे ? – अभय वर्तक
विचारगोष्ठीमें सनातन संस्थाके प्रवक्ता श्री. अभय वर्तकने कहा …
१. प्रसारमाध्यम निरंतर प.पू. आसारामबापूद्वारा होलीके अवसरपर पानीका दुरुपयोग करनेकी बात कहकर बातका बतंगड बना रहे हैं । वैसे देखा जाए तो ऐरोलीमें प.पू. बापूने होलीके अवसरपर केवल दो टैंकर पानीका उपयोग किया था । उसी दिन बीडमें इस्तेमामें दस लाख लिटर पानीकी बरबादी की गई । उसी कालावधिमें ‘आइपीएल्’ क्रिकेटके हर मैच हेतु पांच लाख लिटर पानीका उपयोग किया गया । इस देशमें हिंदू संतोंको पिंजरेमें बंद कर चारों ओरसे उनकी पिटाई कर, उनकी अपकीर्ति करनेका फॅड आरंभ हो गया है ।
२. प्रसारमाध्यमोंको अब विचारस्वातंत्र्यके अधिकारकी याद आ रही है । प.पू. आसारामबापूके भक्तोंने प्रसारमाध्यमोंकी पिटाई की, वह निंदनीय है; किंतु उसी समय देहलीमें जामा मस्जिदके शाही इमामने भरी वार्ताकार परिषदमें लात-घूसोंसे वार्ताकारोंकी पिटाई की थी; तब प्रसारमाध्यमोंने उसका वृत्त नहीं दिया, तथा जतिन देसाई जैसे वार्ताकार दरवाजा बंद कर घरमें बैठे थे । उसपर प्रतिक्रिया भी नहीं देते, यह इस देशकी त्रासदी है ।
३. शाही इमामपर हिरणकी हत्या करनेका आरोप है । आठ वर्ष पूर्व उनपर भी अप्र्रतिभू अपराध प्रविष्ट किया गया है; किंतु इस संदर्भमें किसी भी वाहिनीपर इस प्रकार ८-८ दिनोंतक निरंतर चर्चा नहीं होती; क्योंकि वृत्तवाहिनियोंद्वारा वह दिखानेपर मुसलमान उनकी वाहिनीका कार्यालय जला डालेंगे, वृत्तवाहिनियां यह जानती हैं । हिंदू शांत बैठेंगे यह १०० प्रतिशत विश्वास है; अत: वे हिंदू संतोंको लक्ष्य कर रहे हैं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात