भाद्रपद शुक्ल १ , कलियुग वर्ष ५११५
देश-विदेशमें अनेक पादरियोद्वारा नन एवं बालकोंके लैंगिक शोषणकी घटनाएं हुई हैं । ऐसा होते हुए भी उनके संदर्भमें कोई ‘स्टिंग आपरेशन’ क्यों नहीं करता ? जिहादी आतंकवादी मदरसे एवं मस्जिदमें छिपे रहते हैं । इन मस्जिदों एवं मदरसोंका ‘स्टिंग आपरेशन’ क्यों नहीं किया जाता ?
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हिंदुओ, हिंदूद्रोही प्रसारमाध्यमोंका बहिष्कार करें !
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राजनेता एवं धनवानोंके दास बने प्रसारमाध्यमोंका हिंदूविरोधी षडयंत्र !
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प.पू. आसारामबापूकी अत्यधिक अश्लाघ्य भाषामें आलोचना
मुंबई (वार्ता.) – हिंदूद्रोही प्रणाल ‘आजतक’ ने ५ जून २०१० को प.पू. आसारामबापूके विरुद्ध कथित ‘स्टिंग आपरेशन’ कर झूठे आरोप लगाए थे । उस समय इन आरोपोंके कारण प.पू. आसारामबापूकी कीर्तिपर कोई परिणाम नहीं हुआ । इसलिए जोधपुरकी घटनाके संदर्भमें उस कथित ‘स्टिंग आपरेशन’ का उपयोग कर प.पू. आसारामबापूकी नीतिमत्तापर संदेह उपस्थित कर उन्हें प्रतिभूति न मिलनेके प्रयास किए जा रहे हैं । इसीलिए कथित ‘सबसे बडा खुलासा’ के नामपर ‘आपरेशन आसाराम’ नामसे पुनः पुराना ही चित्रीकरण एवं सत्यको छुपाकर १ सितंबरको रात्रि ९.३० से चर्चासत्र आयोजित किया गया था ।
इस चर्चासत्रमें सनातन संस्थाके प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक, मनोविकारतज्ञ डॉ. जयंती दत्ता, ‘आज तक’ के उपसंपादक दीपक शर्मा, भूतपूर्व सनदी अधिकारी किरण बेदी, ‘स्टिंग आपरेशन’ में सम्मिलित पत्रकार युवतीr, शहाजहांपुरकी अल्पायु लडकीके पिता, डॉ. प्रकाश कोठारी आदि उपस्थित थे । इस अवसरपर पुण्यप्रसून वाजपेयी, शर्मा एवं पत्रकार युवतीने प.पू. आसारामबापूकी अत्यधिक अश्लाघ्य आलोचना की ।
श्री. अभय वर्तकने कहा……
१. अनेक बार स्पष्ट हुआ है कि इस प्रकारके ‘स्टिंग आपरेशन’ झूठे हैं । यदि ‘फॉरेन्सिक लैब’ में ऐसे ‘स्टिंग आपरेशन्स’ की जांच की गई, तो वे न्यायालयमें नहीं टिकते ।
२. यदि ‘आजतक’ के पास यह चित्रीकरण था, तो उन्होंने उसे उसी समय न्यायालयमें क्यों नहीं प्रविष्ट किया ।
३. प.पू. आसारामबापूद्वारा स्वदेशीको स्वीकार करनेके कारण भारतमें विक्रय करने हेतु माल लेकर आए विदेशी आस्थापन प.पू. आसारामबापूके शत्रु बन गए थे । इसलिए उनपर लगाए गए आरोपोंके पीछे हिंदूविरोधी षडयंत्र है ।
४. आज समाचार प्रणाल पर प.पू. आसारामबापूकी निंदा करनेवाली २-४ महिलाओंका चित्रीकरण कर उसे दर्शा रहे हैं; परंतु प.पू. आसारामबापूने अच्छा कार्य किया ऐसा कहनेवाली भी सहस्रों महिलाएं मिलेंगी; किंतु कोई प्रसारमाध्यम उसे दिखानेके लिए सिद्ध नहीं है ।
५. प्रसारमाध्यम ईसाई अथवा मुसलमान मौलवीके संदर्भके सूत्रोंपर आवाज क्यों नहीं उठाते ?
६. हिंदूविरोधी अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्रके अंतर्गत जगद्गुरु शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती तथा प.पू. रामदेवबाबाके विरुद्ध जानबूझकर आरोप लगाए गए; परंतु पश्चात प.पू. रामदेवबाबा निर्दोष सिद्ध हुए, तो शंकराचार्यके विरोधमें रहनेवाले अनेक प्रत्यक्षदर्शियोंने उनपर दबावतंत्रोंका उपयोग कर जवाब लिखकर लिया है । (हिंदुओ, यह ध्यानमें रखें कि सनातन संस्थाको ईश्वरीय अधिष्ठान है तथा साधक योग्य मार्गसे साधना कर रहे हैं । इसीलिए सनातन संस्था सदैव एवं सफलतापूर्वक सत्यका समर्थन कर सकती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
‘आज तक’ वालोंके हिंदूद्रोही कृत्य एवं वक्तव्य
१. प.पू. आसारामबापूके पौरुषत्वकी जांच सकारात्मक आई, तो उस विषयमें वाजपेयीने संदेह उपस्थित किया । उन्होंने इस प्रकारके प्रश्न पूछे कि क्या केवल १५-१६ वर्षकी कोमल आयुकी बच्चियोंका पता कर उन्हें कष्ट देनेके पीछे कोई विकृत मानसिकता है ? (हिंदुओ, आपके संतोंपर इस प्रकारसे अश्लाघ्य निंदा करनेवाले व्यक्तियोंकी विकृत मानसिकताको जानें ! अहिंदूओंके मौलवी अथवा पादरीके विषयमें क्या कोई इस प्रकारकी आलोचना करता है ? यदि आलोचना की, तब भी उसके दुष्परिणाम ज्ञात रहनेके कारण ही प्रसारमाध्यम केवल असंगठित हिंदुओंके आस्थास्थानोंकी आलोचना करते हैं ! – संपादक, दैनिक लोकमत )
२. डॉ.कोठारीको चुभने जैसे प्रश्न पूछ कर ‘कोई एक नशा किया हुआ व्यक्ति ही इस प्रकारसे अल्पायु लडकियोंके साथ लैंगिक हरकतें कर सकता है’, ऐसा कहलवा लिया गया ।
३. पत्रकार युवती एवं अन्य कुछ युवतियोंने कहा कि प.पू. आसारामबापू प्रत्येक युवतीको कहते थे कि मैं कृष्ण हूं एवं आप पिछले जन्मकी गोपी हो । (कृष्ण एवं गोपी के संबंध शुद्ध थे । उसमें लैंगिकताका गंध भी नहीं था । अतः ऐसे संबंध रहनेमें कुछ भी अनुचित नहीं है; परंतु अध्यात्मका अभ्यास न रहनेवाली पत्रकार युवतीसमान व्यक्तियोंको यह संबंध कैसे समझमें आएगा ? जिनकी मानसिकता ही वासनांध एवं संदेहास्पद है, उन्हें विश्व वैसाही दिखाई देता है, यह इसका ही उदाहरण है – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. किरण बेदीने कहा कि इस युवतीको यह चित्रीकरण पुलिसमें देना चाहिए । प.पू. आसारामबापूके विरुद्धका प्रकरण इससे और दृढ होगा । इस संदर्भमें पुनर्जांच होना आवश्यक है, जिसके कारण प.पू.आसारामबापूको ३ वर्षकी सजा होनेकी संभावना है । (किरण बेदी केवल पत्रकार युवतीके संदिग्ध चित्रीकरणके आधारपर इस प्रकार कैसे कह सकती हैं ? बेदीने ऐसा प्रश्न क्यों नहीं पूछा कि `स्टिंग आपरेशन’ करनेवाले लोगोंने ३ वर्ष पूर्व इस संदर्भमें अपराध क्यों नहीं प्रविष्ट किया ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
५. संपूर्ण कार्यक्रममें प.पू. आसारामबापूका इकहरा (इकतरफा) उल्लेख कर अत्यधिक घिनौनी आलोचना की गई । बार-बार वही चित्रीकरण दर्शाकर ३० मिनटोंका कार्यक्रम डेढ घंटे चलाया गया । (यह है वर्तमान समयके माध्यमोंकीr हिंदूद्रोही मानसिकता ! इन माध्यमोंने ४ करोड भक्तगणवाले संतोंकी निंदा कर अत्यधिक निम्नस्तरीय मानसिकताका परिचय दिया है । हिंदू संतोंके विरुद्ध विषवमन करने हेतु इन माध्यमोंको विदेशसे आर्थिक सहायता मिलती है, यह सत्य जानकर हिंदुओंको ऐसे माध्यमोंका बहिष्कार ही करना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
‘स्टिंग आपरेशन’ का झूठ एवं आज तकका विषवमन !
इस अवसरपर दिखाए गए कथित ‘स्टिंग आपरेशन’ में…
१. कुल संभाषणसे स्पष्ट हो रहा था कि पत्रकार युवतीने स्वयं ‘विदेशमें अपराध किया है’, ऐसा कहकर प.पू. आसारामबापूसे आश्रय मांगा था । इसलिए उन्होंने पिताकी हैसियतसे निस्संकोच रूपसे रहनेका परामर्श दिया था । (मनोविकारतज्ञ डॉ. जयंती दत्ताने इस चर्चासत्रके समय इस बातकी पुष्टि की है ।) परंतु निवेदक इसको अश्लीलताका रूप देकर अश्लाघ्य भाषामें आलोचना कर रहे थे ।
२. ऐसा कहा जा रहा था कि प.पू. आसारामबापूने युवतीका हाथ पकडा था; परंतु चित्रीकरणमें दिखाई दे रहा था कि प.पू. आसारामबापूने हाथ नहीं पकडा है । वे दूरसे ही हाथ देख रहे हैं ।
३. निवेदक कह रहे थे कि प.पू. आसारामबापूने इस युवतीको आग्रहपूर्वक नौकामें बैठनेको कहा; परंतु प्रत्यक्षमें उस प्रकारका कोई भी चित्रीकरण अथवा आवाज उपलब्ध नहीं थी ।
४. प.पू. आसारामबापूने उस युवतीको, ‘मेरे साथ सोजाओ’ ऐसा कहनेका आवाज सुनाया गया; परंतु इसका चित्रीकरण ‘आजतक’ वालोंके पास नहीं था । केवल ऐसा दिखाया गया कि अंधेरेमें कोई कुछ बोल रहा है ।
५. पत्रकार युवतीने कहा कि प.पू. आसारामबापूसे आश्रममें रहनेवाले सभी महिलाओंकी मिलीभगत है । इससे स्पष्ट होता है कि उस पत्रकार युवतीको यह भान ही नहीं था कि वह उन महिलाओंके चारित्रिक तथा धार्मिक स्वतंत्रतापर आघात कर रही है ।
इन सभी बातोंसे सिद्ध होता है कि यह ‘स्टिंग आपरेशन’ झूठा था ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात