यह समाचार है तमिलनाडु स्थित विरुधुनगर का । गत अनेक वर्षों से अखिल भारत हिन्दू महासभा, हिन्दू जनजागृति समिति आदि हिन्दू संगठनो द्वारा, हिन्दू देवी-देवताआें के चित्रयुक्त पटाखों का प्रयोग न करने की मांग की जा रही है ।
इस संदर्भ में समिति की तमिलनाडू राज्य समन्वयक श्रीमती उमा रविचंद्रन ने कहा कि, पटाखे चलाने पर देवता के चित्रयुक्त कागद के टुकडे टुकडे होकर वे सडकों पर बिखर जाते हैं । लोग उन पर चलते हैं । फलस्वरूप, हिन्दुआें की धार्मिक भावनाआें को चोट पहुंचती है ।
हिन्दुत्वनिष्ठों की इस मांग को विरुधुनगर के जिला अधिकारियों ने मान लिया है । आपको बता दें की, विरुधुनगर जिले में शिवकाशी नामक नगर है जहां बहुत बडी संख्या में पटाखों का उत्पादन किया जाता है । विरुधुनगर के जिला राजस्व अधिकारी ने तमिलनाडु फायर क्रैकर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन को पत्र लिखा है । हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के आक्षेप को ध्यान में रखते हुए इस पत्र में हिन्दू देवी देवताआें के चित्रों का प्रयोग न करने के लिए कहा गया है । एसोसिएशन ने भी एक परिपत्र जारी करते हुए पटाखे बनानेवाले सारे कारखानों को इस संदर्भ में आदेश दिया है ।
हम विरुधुनगर के जिला राजस्व अधिकारी एवं तमिलनाडु फायर क्रैकर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन का अभिनंदन करते हैं कि उन्होंने हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की न्यायोचित मांग स्वीकारी है । – सम्पादक, हिन्दूजागृति
तमिलनाडु फायर क्रैकर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने संवाददाताआें से कहा कि पटाखा उद्योग अधिकारियों के निर्देशों का ठीक पालन करेगा । उन्होंने कहा कि, देवी देवताआें के चित्रों का प्रयोग वर्ष १९२४ से हो रहा है ।
इस समाचार से हिन्दुआें में धर्मशिक्षा का अभाव एवं अपने श्रद्धास्थानों के प्रति असंवेदनशीलता ही दिखाई देती है । हिन्दुआें में धर्मशिक्षा का अभाव ही इसके लिए उत्तरदायी है । – सम्पादक, हिन्दूजागृति