बिकानेर (राजस्थान) – हिन्दू धर्म में पटाखे जलाने का कोई आधार नहीं है; यह विदेशी प्रथा है । पटाखों के कारण बडी मात्रा में वायु एवं ध्वनि प्रदूषण होता है तथा समाज के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को हानि पहुंचती है । केवल दीपावली के अवसर पर भारत में लगभग ४ हजार करोड रुपयों के पटाखे जलाए जाते हैं । इस धन का राष्ट्रकार्य के लिए उपयोग करने से अनेक समस्याएं सुलझ सकती हैं; इसलिए शासन देवता और राष्ट्रपुरुषों के चित्रवाले पटाखों के साथ प्रदूषणकारी पटाखों पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाए, ऐसी मांग का ज्ञापन हिन्दू जनजागृति समिति ने आज अतिरिक्त जिल्हाधिकारी श्री. हरिप्रसाद पिपरालिया जी को सोंपा। इस समय श्री.भवानीशंकर परिहार, श्री. सावन सोनी, श्री. मनोज सिंह, श्री. राजेंद्र सिंह, श्री. गजानन केसकर एवं श्री. आनंद जाखोटिया उपस्थित थे ।
पटाखों के कारण जलना, बहरापन, श्वसनतंत्र के विविध रोग, निद्रानाश, रोगियों एवं बालकों को प्रचण्ड कष्ट, प्रतिष्ठानों में आग लगना; पटाखों के कारखानों में विस्फोट होकर अनेक लोगों की जलकर मृत्यु होना आदी अनेक दुष्परिणाम होते हैं । उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियन्त्रण मंडल के अभ्यासानुसार पटाखों के निर्माण हेतु उपयोग में आनेवाली विषैली धातु एवं रासायनिक पदार्थ से पटाखे जलाने के उपरांत १,६०० मेट्रीक टन घातक कचरा तैयार होता है । जो अन्न, मिट्टी, वायु तथा जलमें मिलने से बडी मात्रा में प्रदूषण होता है तथा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को हानि पहुंचती है। यह स्थिति एक राज्य की है, तो हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते कि देशभर में ऐसे लाखों टन विषैले कचरे से कितना प्रदूषण होता होगा। इसलिए ऐसे पटाखों के उत्पादन पर प्रतिबन्ध लगाना आवश्यक है। गत ९ वर्षों से हिन्दू जनजागृति समिति पटाखों से होनेवाले प्रदूषण तथा देवताओं का अनादर रोकने के लिए कार्यरत है तथा देशभर में एक अभियान प्रारम्भ किया है ।
पटाखों के वेष्टन पर (पैकिंग) श्रीलक्ष्मी, श्री