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अमरावती (महाराष्ट्र) : योग वेदान्त सेवा समिति एवं विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंके संयुक्त तत्वावधान में ‘मातृ-पितृ दिन’ संपन्न !

हर महिला ‘जिजाबाई’ होनेपर ही हर घर में ‘शिवाजी’ जन्म लेगा ! – श्री योगेश महाराज साळेगावकर, राष्ट्रीय कीर्तनकार

बाएं से श्रीमती ज्योतीताई इंगळे, श्री योगेश महाराज साळेगावकर और श्री. श्रीकांत पिसोळकर

अमरावती (महाराष्ट्र) : धर्मद्वारा बताए गए नियमोंका पालन करना, प्रत्येक महिला का ‘आद्द्य’ कर्तव्य है। हyogesh-maharajर महिला को पहले स्वयं ‘जिजाबाई’ बनने का प्रयास करना चाहिए। तभी हर घर में ‘शिवाजी’ जन्म लेगा !

पूज्यपाद संतश्री आसारामजी बापू ने समाज की भयावह स्थिति को ध्यान में लेकर विगत १० वर्ष पूर्वही ‘मातृ-पितृ दिन’ मनाना प्रारंभ किया। आज के बच्चोंको संस्कारित होना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन परभणी स्थित राष्ट्रीय कीर्तनकार श्री. योगेश महाराज साळेगावकर ने किया।

योग वेदान्त सेवा समिति, भगवा सेना, हिन्दु महासभा, हिन्दु जनजागृति समिति एवं सनातन संस्था इन सभी हिन्दुत्ववादी संगठनोंने मिलकर १४ फरवरी के दिन सायंकाल ५ से ८ बजे तक स्थानीय ब्रिजलाल बियाणी महाविद्यालय के प्रांगण में ‘मातृ-पितृ दिन’ मनाया। इस अवसरपर वे बोल रहे थे।

इस कार्यक्रम में ५ से ७ मान्यवरोंका मार्गदर्शन हुआ। उसके पश्‍चात १ घंटे तक सभींने ‘माता-पिता’ का पूजन किया। ‘वैलेंटाइन डे’ के दुष्परिणाम एवं ‘मातृ-पितृ दिन’ का महत्त्व इस विषयपर हिन्दु जनजागृति समिति के विदर्भ समन्वयक श्री. श्रीकांत पिसोळकर एवं विख्यात भागवत कथाकार श्रीमती ज्योतीताई इंगळे इन्होंने उपस्थितोंको मार्गदर्शन किया।

आनेवाली पिढी को बनाने के लिए महिलाने समय दिया, तो भविष्यकालीन समाज एवं पिढी सुसंस्कारित होगी ! – श्रीमती ज्योतीताई इंगळे, योग वेदान्त सेवा समिति एवं विख्यात भागवत कथाकार

हर महिला को धर्म के निर्देशोंके अनुसार अपने कर्तव्य को निभाना चाहिए। अगली पिढी को बनाने के लिए उसने योग्य पद्धति से समय दिया, तो हमारा भविष्यकालीन समाज एवं पिढी सुसंस्कारित होगी !

पूज्यपाद संतश्री आसारामबापूजी को बंदी बनाने पर हम निराधार हुए थे। हमें सर्वत्र अंधकार दिखाई दे रहा था, उस समय केवल सनातन संस्था ने हमें आधार देने का काम किया; इसलिए हम सनातन संस्था के बहुत ऋणी हैं !
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अवश्य पढें, ‘वैलेंटाइन डे’ के बारे में, सच . . .
हिंदुओ, ब्रिटिशोंका जूठा खानेकी अपेक्षा महान हिंदु संस्कृतिका आदर्श सामने रखकर उसका पालन करें !
‘वैलेंटाईन डे’ की पश्‍चिमी कुप्रथा छोडें !
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स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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