आश्विन कृष्ण पक्ष द्वितीया, कलियुग वर्ष ५११६
कराड (महाराष्ट्र) – भक्तोंद्वारा बहते पानीमें सात दिनोंके भगवान श्री गणेशजीकी मूर्तियोंका विसर्जन भावपूर्ण पद्धतिसे किया गया । इस अवसरपर सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति, श्री शिवप्रतिष्ठान तथा हिन्दू एकताके कार्यकर्ताओंद्वारा कृष्णामाई घाटपर भक्तोंका प्रबोधन किया । इस प्रबोधनके कारण ९७ प्रतिशत मूर्तियोंका बहते पानीमें fिवसर्जन किया गया । इस अवसरपर यहां ‘कराड नगरपालिका’ एवं ‘एन्वायरोनेचर फ्रेंड्स क्लब’द्वारा पर्यावरणपूरक मूर्तिविसर्जनके नामपर कृत्रिम जलकुंभोंका आयोजन किया गया था, जिसमें कन्या प्रशालाके विद्यार्थी कुछ श्रद्धालुओंको कृत्रिम तालाबमें मूर्र्तिविसर्जन करने हेतु एकपर एक मूर्र्ति विसर्जित करने तथा नदीपर लोहोटी करने हेतु रोक रही थीं । यह देखकर सनातन संस्थाकी श्रीमती नील देसासने उन छात्राओंकी शिक्षिकाओंका प्रबोधन करनेका प्रयास किया; परंतु वे सुननेकी स्थितिमें नही थीं । तत्पश्चात समितिके श्री. मनोहर जाधव, श्री शिवप्रतिष्ठानके श्री. योगेश शेट्ये तथा भाजपाके श्री. गणेश कापसेने विद्यालयके मुख्याध्यापकोंसे विचार-विमर्श किया; परंतु उन्होंने भी शास्त्र समझकर नहीं लिया । (हिन्दुओंमें धर्मशिक्षाके अभावके कारण ऐसे शिक्षक विद्यार्थियोंपर भी कुसंस्कार कर पापके धनी होते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत: दैनिक सनातन प्रभात
अद्ययावत
९ सितंबर २०१४, आश्विन कृष्ण पक्ष द्वितीया, कलियुग वर्ष ५११६
इराणी खनमें न्यून जलसंग्रहके कारण विसर्जित मूर्तियोंके अवशेष पानीके बाहर आए !
- महापालिका प्रशासनद्वारा गणपतिके अनादरकी ओर दुर्लक्ष !
- इसीलिए हिन्दू जनजागृति समिति पिछले अनेक वर्षोंसे धर्मशास्त्रके अनुसार गणेशमूर्तियोंका बहते पानीमें विसर्जन करनेका आग्रह करती है !
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) – इराणी खनमें आवश्यक जलसंग्रह न रहनेके कारण तथा यह खन संपूर्ण रूपसे गारेसे भरा रहनेके कारण इस वर्र्ष इराणी खनमें गणेशमूर्तियोंका विसर्जन करना असंभव होनेकीr परिस्थिति थी । तब भी श्रद्धालुओंने इस खनमें मूर्तियोंका विसर्जन किया । अब पानीके अभावमें इस खनमें विसर्जित मूर्तियोंके अवशेष दिखने लगे हैं । अनेक मूर्तियां पानीके बाहर आई हैं । यदि इन मूतिर्योंका पुनः विसर्जन नहीं किया गया, तो वे मूर्तियां वैसे ही रहेंगीं जिससे गणपतिका अनादर होनेकी संभावना उत्पन्न हो गई है । अतः श्रद्धालु इस खनकी मूर्तियां बाहर निकालकर उन्हें नदीमें विसर्जित करनेकी मांग कर रहे हैं । (इसके लिए कारणभूत महानगरपालिका प्रशासनसे संबंधित अधिकारियोंपर कठोर कार्यवाही होने हेतु क्या हिन्दू संगठित होंगे ? अन्यथा भगवान श्रीगणेशजीकी मूर्तियोंका निरंतर अनादर होता रहेगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात