पूरे भारत के हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों का, कश्मिरी पंडितों के लिए बेंगलुरू में संगठित अविष्कार !
भाजपा शासन ने यदि कश्मिरी पंडितों की पनून कश्मीर की मांग अस्वीकृत की, तो पूरे देश में सहस्त्रों कश्मीर निर्माण होने का धोखा ! – श्री. प्रमोद मुतालिक
बेंगलुरू : कश्मिरी पंडितों की पनून कश्मीर इस स्वतंत्र केंद्रशासित प्रदेश के मांग की पुष्टि हेतु राष्ट्र जागृति समिति की ओर से राजाजी नगर के राममंदिर मैदान में आयोजित किए गए सामूहिक सभा में श्रीराम सेना के संस्थापक अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक वक्तव्य कर रहे थे।
उस समय उन्होंने यह बताया कि, ‘वर्ष १९९० में भारत के कश्मिरी हिन्दू जिहादी आतंकवाद के प्रथम शिकार हुए तथा उन्हें अपने प्राणों के साथ-साथ महिलाओं की अब्रू बचाने के लिए अपना भूमि छोडकर उर्वरित भारत में विस्थापित होना बाध्य हुआ। इन २६ वर्षों में देश में पृथक दलों के शासन सत्ता पर आएं, किंतु कश्मिर पंडितों की समस्या का निराकरण करने का प्रयास गंभीरता से नहीं किया गया। परिणामस्वरुप कश्मिरी पंडितों को कश्मीर में पुनः लौटकर जाना असंभव हुआ; किंतु कश्मीर का जिहादी आतंकवाद पूरे देश में फ़ैल चुका !
पूरे देश में सहस्त्रो कश्मीर निर्माण हो रहे हैं। अतः वहां से ही हिन्दुओं को शीघ्र ही विस्थापित होने की स्थिती निर्माण होगी ! केवल बेंगलुर समान महानगर का विचार किया गया, तो वहां शस्त्र धारण करनेवाले पुलिस को दिन में भी प्रवेश करना असंभव होता है, ऐसी ३२ जगहें बेंगलुरू में हैं ! साधारण लोगों ने जागृत होकर कर्कव्याधी समान (कॅन्सर के समान) फैलनेवाले इस देशद्रोह को प्रतिबंधित करना चाहिए !’
इस सभा के लिए पूरे देश के अनेकविध हिन्दूत्वनिठ संगठनों के प्रमुख उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री. मुतालिक ने इस बात पर असमाधान व्यक्त किया कि, देशद्रोही कन्हैया कुमार समान अपराधी को कारागृह में बंदी बनाने की अपेक्षा मेरे जैसे देशभक्त पर पुलिसद्वारा निर्बंध लगाए जा रहे हैं !
देशद्रोही कार्रवाईयां देखकर मुझ जैसे, (८५ वर्ष आयु रहनेवाले) व्यक्ति का भी रक्त खौलकर ऊठता है ! – डॉ. एम्. चिदानंदमुर्ति, जेष्ठ इतिहास संशोधक
इस अवसर पर वक्तव्य करते समय जेष्ठ इतिहास संशोधक डॉ. एम. चिदानंदमुर्ति ने बताया कि, आज भारत में आरंभ देशद्रोही कार्रवाईयां तथा लिखान देखकर आयु के ८५ वर्ष में भी मेरा रक्त खौलकर ऊठता है ! मेरे देह की आयु हुई है, मन की नहीं ! (डॉ. एम. चिदानंदमुर्ति के समान ‘धर्माभिमान तथा धर्मरक्षा की लगन’ यदि हिन्दू युवकों में निर्माण हुई, तो शीघ्र ही ‘हिन्दू राष्ट्र’ निर्माण होगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) पूरे देश में धर्मांतरविरोधी अधिनियम लागू करना चाहिए। ब्रिटीशोंद्वारा घोषित की गई इतवार की छुट्टी सोमवार को ही देनी चाहिए। ‘इंडिया’ कहने की अपेक्षा ‘भारत’ ही कहना चाहिए !
विभाजन करनेवालों में अग्रस्थानी रह चुकी ‘पीडीपी’ के साथ की गई युती भाजपा को तोड देनी चाहिए ! – डॉ. अग्निशेखर, राष्ट्रीय समन्वयक, पनून कश्मीर
इस सभा के लिए जम्मू से उपस्थित पनून कश्मीर संगठन के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. अग्निशेखर ने इस समय ऐसा वक्तव्य किया कि, ‘वेदकाल से कश्मीर भारत के साथ जुडा हुआ है।
वहां की भाषा, संस्कृति, जनसाधारण, इतिहास सर्व भारत का है। कर्नाटक के राजकवी बिल्हण ‘कश्मीरी’ थे ! साथ ही कर्नाटक के संगीत का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होनेवाला ‘संगीत रत्नाकर’ ग्रंथ भी कश्मीर के शारंग देवद्वारा लिखा गया है। साथ ही आद्य शंकराचार्यद्वारा कश्मीर की श्री शारदा देवी को दक्षिण भारत में लाकर ‘शारदांबा’ के नाम से पूजा जाता है। अतः कश्मीर भारत का ही अविभाज्य हिस्सा है !
कश्मीर में हिन्दुओं का वास्तव्य, अर्थात भारत में ही वास्तव्य करना है। अन्यथा, वहां के विभाजनवादियों का षडयंत्र कुछ अलग ही है !
गत शासन की ओर से हमें ऐसी अपेक्षा नहीं थी; किंतु अब पीडीपी के साथ युती किए भाजपा का व्यवहार अनुचित ही है। यह युती करने के लिए २ मास के कालावधी की आवश्यकता क्यों पडी, इस संदर्भ में वक्तव्य करते समय जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबुबा मुफ्ती ने खुले आम यह बताया कि, ‘हमें विभाजनवादियों के साथ विचारविमर्श कर उनकी अनुमती प्राप्त करने के लिए यह देर हुई है !
अतः विभाजनवादियों का अग्रस्थानी रह चुकी ‘पीडीपी’ के साथ की गई युती भाजपा ने तोडनी चाहिए। आज विद्यमान शासन के ‘अजेंडा ऑफ अलायंस’ को (युती के प्रारुप को) हम अजेंडा ऑफ बिट्रेयल (दगलबाजी का प्रारूप) कहते हैं। जम्मू-कश्मीर के भाजप-पीडीपी युती का शासन यह कह रहा है कि, कश्मीरी पंडितों को हम उनके मूल घर में भेज कर धीरे-धीरे कश्मिरीयत में सम्मिलित करेंगे।
एक प्रकार से इस का अर्थ यह है कि, हमें वहां के आतंकवाद बहुल वातावरण में ढकेल कर हमारी धर्म-परंपराओं को उन्हें समाप्त करना है; क्योंकि ‘कश्मिरीयत’ ऐसा अलग कुछ भी नहीं है ! आज कश्मीर के एन्.आय.टी. के राष्ट्रप्रेमी छात्रों की पाकिस्तान जिंदाबाद की घोषणाओं को विरोध करने के कारण, साथ ही भारतमाता का जयघोष करने के कारण तीव्र पिटाई कर कष्ट दिए गए !
वहां हम भारतमाता के भक्त सुरक्षित कैसे रहेंगे; इसलिए हमें केंद्रशासित प्रदेश का स्तरवाला, जहां धारा ३७० लागू नहीं है, ऐसा ‘पनून कश्मीर’ चाहिए !’
इस सभा के लिए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने पनून कश्मीर के समर्थनार्थ पूरे देश में प्रारंभ किए जानेवाले ‘एक भारत आंदोलन’ की व्याप्ती बताकर उसमें सभी को सम्मिलित होने का आवाहन किया।
इस अवसर पर बेंगलुरु उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री. अमृतेश एन.पी., श्री करुणेश्वर मठ के सिद्धलिंग स्वामीजी, जेष्ठ अधिवक्ता श्री. एस. दोरेराजु, हिन्दू मक्कल कत्ची के श्री. अर्जुन संपथ, शिवसेना के तमिळनाडु राज्यप्रमुख श्री. राधाकृष्णन, शिवसेना के तेलंगण तथा आंध्रप्रदेश के राज्यप्रमुख श्री. टी.एन. मुरारी, फोरम फॉर हिन्दू जस्टिस के अधिवक्ता श्री. हरि शंकर जैन, ओडिशा से भारत रक्षा मंच के सर्वश्री मुरली शर्मा तथा अनिल धीर, साथ ही पनून कश्मीर के युवा शाखा के श्री. राहुल कौल तथा बेंगलुरू के कश्मीरी हिन्दुओं के नेता श्री. आर.के.मट्टू भी उपस्थित थे।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात