पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में विविध राज्यों में स्थित हिन्दुआें की असुरक्षितता के विषय में विचारविमर्श
विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी (गोवा) – युथ फॉर पनून कश्मीर के श्री. राहुल कौल ने पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के तृतीय दिवस के अंतिम सत्र में उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठोंको आवाहन करते हुए कहा, वर्ष १९९० में कश्मीर से हिन्दुआें को पलायन करनेपर विवश होने के पश्चात आज कैराना से हिन्दुआें को भागना पड रहा है । कश्मीर जैसी स्थिति भारत में सर्वत्र नहीं आ सकती, ऐसा कहनेवालों के ध्यान में धर्मांधों द्वारा उत्पन्न यह खतरा आया ही होगा ! आज कश्मीर का सूत्र सत्ताधारियों के लिए ना खा सकते हैं और ना निगल सकते हैं, ऐसा बन गया है । इसलिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का आरंभ करते समय पहले ध्येय के रूप में विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें का पुनर्वसन करने के लिए हम प्रयास कर सकते हैं । उसके लिए हम २७ दिसंबर २०१६ को देशभर में आंदोलन करनेवाले हैं । उस के पश्चात भी यदि शासन ने कश्मीरी हिन्दुआें का पुुनर्वास नहीं किया तो हम १९ जनवरी २०१७ को पूरे देशभर के हिन्दुआें को कश्मीर में जाकर रहना है, इस प्रकार का आंदोलन छेडेंगे । यह आह्वान पुणे के युथ फॉर पनून कश्मीर के राष्ट्रीय समन्वयक श्री. राहुल कौल ने किया । इस आह्वान का उपस्थितों ने बडी मात्रा में सकारात्मक प्रत्युत्तर देकर इस विषय में क्रियाशील नियोजन करने का आश्वासन दिया । वे २१ जून को अखिल भारतीय अधिवेशन के विविध राज्यों में ‘हिन्दुआेंकी असुरक्षितता’ इस विषय पर आयोजित सत्र में बोल रहे थे । इस समय सभागृह में फाऊंडेशन अगेन्स्ट कंटिन्युअस टेररिझम (फैक्ट) की ओर से कश्मीरी हिन्दुआें की दुःस्थिति का दर्शन करानेवाले छायाचित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई थी ।
श्री. राहुल कौल ने कश्मीर के हिन्दुआें की दुःस्थिति का किया हुआ विश्लेषण !
१. कश्मीरी हिन्दुआें के विस्थापन का प्रश्न देशभर के हिन्दुआें को जोडनेवाला सूत्र है ।
२. भाजपा ने कश्मीर में पीपल्स डेमोक्रटी पार्टी (पीडीपी) अर्थात विघटनकारियों से गठबंधन किया है । यह गठबंधन करते समय पीडीपी ने कश्मीरी हिन्दुआें के पुनर्वास के विषय में हम स्वयं निर्णय करेंगे, एेसा बताया है । इस निर्णय का अर्थ कश्मीरी हिन्दुआें के हत्यारों के हाथ में सत्ता देने जैसा है ।
३. इस प्रश्न में प्रमुख अडचन यह है कि, यहां का शासन कश्मीर के हिन्दुआें के वंशविच्छेद को वंशविच्छेद मानने के लिए ही सिद्ध नहीं है ।
४. आज जम्मू-कश्मीर शासन ने ७ विविध स्थानोंपर विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें का पुनर्वास करने का निर्णय घोषित किया; परंतु वहां कश्मीरी हिन्दुआें को रहने के लिए भेजने का अर्थ उनको कसाईयों के हाथों में दैने जैसा ही है ।
५. उसके कारण वहांपर हिन्दुआें का एक ही उपनिवेश सिद्ध हो, यह हमारी मांग है ।