कर्नुल (आंध्रप्रदेश) : कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वसन हेतु एक विशाल जाहिर सभा का आयोजन
मुंबई : वर्ष १९९० में कश्मीरी हिन्दू जिहादी आतंकवाद के प्रथम बलि सिद्ध हुए। इन आतंकवादियों ने हत्या, बलात्कार तथा धमकियों के बल पर कश्मीर की घाटी से ४ लाख ५० सहस्र हिन्दुओं को निकालबाहर कर दिया।
इसलिए पिछले २६ वर्ष से कश्मीरी हिन्दू विस्थापितों का दुर्भाग्यपूर्ण जीवन जी रहे हैं !
इन कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वसन हेतु कश्मीर की घाटी में ही पनून कश्मीर (अपना कश्मीर) इस स्वायत्त क्षेत्र की निर्मिति करने हेतु विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओंद्वारा २७ दिसंबर २०१६ को ‘चलो जम्मू !’ अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान की पार्श्वभूमि पर २४ जुलाई को दोपहर ४ बजे आंध्रप्रदेश के कर्नुल की ललिता कला समिती (टी.जी.व्ही. कलाक्षेत्रम्) सी. कैम्प सेंटर, टी.टी.डी. कल्याण मंडपम् के सामने एक विशाल जाहिर सभा का आयोजन किया गया है।
इस सभा में शिवसेना के तेलंगाना एवं आंध्रप्रदेश राज्यप्रमुख श्री. टी.एन. मुरारी, श्रीराम सेना के संस्थापक-अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक, यूथ फॉर पनून कश्मीर के राष्ट्रीय समन्वयक श्री. राहुल कौल एवं हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे उपस्थित रहेंगे।
अब नहीं चाहिए खोखले आश्वासन, त्वरित करें कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वसन !
विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं की न्याय्यपूर्ण मांगें !
१. कश्मीरी हिन्दुओं का विस्थापन कुछ प्राकृतिक आपत्ति नहीं, अपितु वह आतंकवाद का दुष्परिणाम है। इसलिए केवल अर्थसहायता नहीं चाहिए, अपितु ‘पनून कश्मीर’ (धारा ३७० लागू न रहनेवाला स्वतंत्र केंद्रशासित प्रदेश) चाहिए।
२. कश्मीरी हिन्दुओं को देशांतर्गत विस्थापितों का स्तर देकर यह स्वीकार करें कि, वर्ष १९९० में जिहादियोंद्वारा आक्रमण केवल कश्मीरी हिन्दुओं के वंशविच्छेद के लिए था।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात